logo

ट्रेंडिंग:

बेतिया विधानसभा: रेनू देवी बचाएंगी BJP का किला या कांग्रेस पलटेगी गेम?

बेतिया विधानसभा पर पिछले 6 चुनाव में सिर्फ एक बार कांग्रेस पार्टी जीत पाई है। कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि वह यहां जीत हासिल करके अपनी सीटें बढ़ाए।

bettiah vidhan sabha bihar

बेतिया विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

बिहार की बेतिया विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले और बेतिया लोकसभा क्षेत्र में आती है। पश्चिम और पूर्वी चंपारण के ठीक बीच में स्थित यह विधानसभा सीट ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई घटनास्थल इस क्षेत्र में हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से मशहूर रहे बेतिया राज के साथ-साथ चंपारण सत्याग्रह का भी गवाह रहा है। बेतिया के सरैया में स्थित में शिव पार्वती मंदिर और प्राकृतिक झील भी है। कभी ऐतिहासिक घटनाओं की वजह से मशहूर रहा यह क्षेत्र आज भी कई मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझता है। हर चुनाव में ये मुद्दे उठते हैं लेकिन अगले चुनाव तक गूंजते ही रह जाते हैं।

 

इस सीट पर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच है। 2015 में जीतने वाली कांग्रेस वापसी के लिए बेताब है तो बीजेपी को अपना किला बचाए रखना है। वहीं, जन सुराज की एंट्री ने यहां का मामला रोमांचक कर दिया है। प्रशांत किशोर ने इस क्षेत्र में खूब पसीना बहाया है, ऐसे में हर पार्टी के टिकट बंटवारे पर यहां नजर जरूर रहेगी।

 

स्थानीय स्तर पर सड़क की स्थिति, कई जगहों पर पुल निर्माण की मांग और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आज भी बेतिया के लोगों को परेशान करती है। छोटी-छोटी नदियों जैसे कि कोहड़ा, चंद्रावत आदि में सफाई न होने के चलते कई बार थोड़ी सी बारिश भी उफान का कारण बन जाती है और नालों का पानी लोगों के घरों और रास्तों पर आ जाता है। महाराजा स्टेडियम की हालत अभी भी खस्ताहाल होने के बावजूद इस पर काम नहीं हो पाया है जबकि जीर्णोद्धार प्रोजेक्ट को स्वीकृति भी मिल चुकी है।  बेतिया में भी मझौलिया स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव का मुद्दा लोगों के लिए चिंता का विषय है।

 

यह भी पढ़ें- सोनबरसा: PK या तेजस्वी, हैट-ट्रिक लगा चुकी JDU को कौन देगा चुनौती?


मौजूदा समीकरण

 

पार्टी में कद और जीत के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो बीजेपी की ओर से पहली और प्रबल दावेदार रेनू देवी ही हैं। 2015 में रेनू देवी को हराने वाले मदन मोहन तिवारी एक बार फिर से टिकट पाने की आस में हैं। कांग्रेस को उन पर भरोसा भी खूब है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम चंपारण सीट पर कांग्रेस ने मदन मोहन तिवारी को ही उतारा था लेकिन वह बीजेपी के संजय जायसवाल से 1.36 लाख वोटों के अंतर से हार गए थे। इसके बावजूद मदन मोहन तिवारी का दावा सबसे मजबूत है।

 

यह भी पढ़ें: बनमनखी विधानसभा: विपक्ष के सामने BJP के दबदबे को तोड़ने की चुनौती

 

जन सुराज से अजय कुमार गिरि भी तैयारी कर रहे हैं। जन सुराज के वहीं, बीजेपी से ही दीपेंद्र सर्राफ भी खूब सक्रिय हैं। हालांकि, उनका नंबर तभी आने की उम्मीद है जब रेनू देवी को कोई और भूमिका दे दी जाए। लोकसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा थी की रेणू देवी को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि, आखिर में दिलीप जायसवाल पर ही बीजेपी ने फिर से दांव लगाया और वह चुनाव जीत भी गए।

2020 में क्या हुआ?

 

साल 2000 से ही बेतिया में बीजेपी के टिकट पर जीतती आ रहीं रेनू देवी 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी से हार गई थीं। हार का अंतर मामूली ही था लेकिन रेनू देवी को 5 साल इंतजार करना पड़ा। 2020 के चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से रेनू देवी पर ही भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया। वहीं कांग्रेस ने अपने तत्कालीन विधायक मदन मोहन तिवारी को फिर से उम्मीदवार बनाया।

 

चुनाव के नतीजे आए तो रेनू देवी अपनी पिछली हार का बदला लेने में कामयाब हुईं। मदन मोहन तिवारी को 2015 की तरह 66 हजार वोट ही मिले। इस बार रेनू देवी 84,496 वोट पाकर चुनाव जीतने में कामयाब हुईं। 

विधायक का परिचय

 

साल 2000 में पहली बार विधायक बनीं रेनू देवी, कई बार बिहार सरकार में मंत्री बन चुकी हैं। साल 2020 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी थी तब वह डिप्टी सीएम भी बनी थीं। उसी दौरान उन्होंने बिहार सरकार में पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रही थीं। कुछ समय के लिए उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग, उद्योग मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और कला-संस्कृति और युवा मामलों का मंत्रालय भी संभाला।

 

यह भी पढ़ें: महनार: RJD की बीना सिंह जीतेंगी बाजी या NDA को मिलेगी कामयाबी?

 

नोनिया जाति से आने वाली रेनू देवी ने बिहार की बाबा साहब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उनके पति दुर्गा प्रसाद कोलकाता में इंश्योरेंस इंस्पेक्टर हुआ करते थे। शुरुआती दिनों में विश्व हिंदू परिषद की दुर्गा वाहिनी से जुड़ी रहीं रेनू देवी ने आगे चलकर बीजेपी के महिला मोर्चा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1981 से ही बीजेपी के साथ काम कर रहीं रेनू देवी लंबे समय तक चंपारण में महिला मोर्चा का काम देखती रहीं। 1995 में उन्होंने पहला चुनाव नौतन विधानसभा सीट से लड़ा लेकिन तब वह चुनाव हार गईं। 2000 में मिली पहली जीत के साथ उन्होंने अपना सफर शुरू किया और वह अभी भी जारी है। बिहार में डिप्टी सीएम बनने के अलावा वह बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

विधानसभा का इतिहास

 

यह विधानसभा क्षेत्र लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1952 से लेकर 1990 तक सिर्फ एक बार कांग्रेस पार्टी यहां 1967 के चुनाव में हारी थी। 1990 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार कांग्रेस को हरा दिया। उस हार के बाद 20156 में ही कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी ने मामूली अंतर से बीजेपी को जीत दिलाई थी। 2000 के बाद से रेनू देवी लगातार बीजेपी को जीत दिलाती रही हैं और फिलहाल वही बेतिया की विधायक हैं।

 

1952- प्रजापति मिश्र-कांग्रेस 
1952- केतकी देवी-कांग्रेस (उपचुनाव)
1957- जय नारायण प्रसाद-कांग्रेस
1957- जगन्नाथ स्वतंत्र-कांग्रेस
1962- जय नारायण प्रसाद-कांग्रेस
1967- एच पी शाही- निर्दलीय
1969- गौरी शंकर पांडेय-कांग्रेस
1972- कृष्ण मोहन पांडेय-कांग्रेस
1977-गौरी शंकर पांडेय-कांग्रेस
1980-गौरी शंकर पांडेय-कांग्रेस
1985-गौरी शंकर पांडेय-कांग्रेस
1990-मदन प्रसाद जायसवाल-बीजेपी
1995-बीरवल यादव-जनता दल
2000-रेनू देवी-बीजेपी
2005-रेनू देवी-बीजेपी
2005-रेनू देवी-बीजेपी
2010-रेनू देवी-बीजेपी
2015-मदन मोहन तिवारी-कांग्रेस
2020-रेनू देवी-बीजेपी

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap