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टिकट के टिक-टिक से भी सियासी दलों में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू

बिहार विधानसभा चुनाव में सभी दल टिकट बंटवारे में फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं। पार्टियां इस बार प्रत्याशी चुनने में कोई गलती नहीं करना चाहती हैं।

bihar assembly election seat sharing

नीतीश कुमार, लालू प्रयाद यादव और नरेंद्र मोदी। Photo Credit- PTI

संजय सिंह, पटना। चुनाव आयोग के अधिकारियों के दौरे के साथ ही बिहार चुनाव का सियासी पारा चढ़ने लगा है। बीजेपी और जेडीयू अपने प्रत्याशियों का फीडबैक ले रही है। उधर महागठबंधन में भी वामपंथी दलों के साथ सीट शेयरिंग का मुद्दा नहीं सुलझ पा रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (पारस) को भी महागठबंधन में ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है। पारस का सुर बदला हुआ नजर आ रहा है। जेडीयू नेताओं का कहना है कि चुनावी परिदृश्य साफ होने में फिलहाल दस दिनों का समय लग सकता है।

 

इस चुनाव में हर दल की कोशिश है कि चुनाव जीतने वाले चेहरों पर दांव लगाया जाय। यही कारण है कि प्रत्याशियों के चयन में सभी दल को समय लग रहा है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार संभावित उम्मीदवारों का फीडबैक स्वयं ले रहे हैं। उन्होंने लगभग एक हजार लोगों से मुलाकात करके प्रत्याशियों का फीडबैक लिया है। आने वाले समय में इस कार्य में और गति आने की संभावना है।

 

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जेडीयू में बदल सकते हैं दस चेहरे

बेहतर फीडबैक पाने वाले प्रत्याशियों को ही सीट की गारंटी है। जिनका फीडबैक बेहतर नहीं है, उनसे सवाल जवाब भी पूछा जाता है। संबंधित क्षेत्र के कार्यकर्ता और जिला प्रभारियों से भी फीडबैक लिया जा रहा है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि 2020 के चुनाव में जो प्रत्याशी कम वोट से पराजित हुए थे, उनके दावों पर भी विचार किया जा रहा है। इस दौरान यह बात भी उभरकर सामने आई है कि लंबी पारी खेल चुके राजनीति के महारथियों को अब विश्राम देकर नए चेहरे को मौका दिया जाय। इस क्रम में दस नये चेहरे संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं। टिकट कटने वाले प्रत्याशी इस उम्मीद में बैठे हैं कि जल्द पार्टी टिकट का फैसला करे, ताकि टिकट न मिलने पर उन्हें इधर-उधर हाथ पांव मारने का मौका मिले। 

पारस पड़ गए अलग-थलग

लोजपा (पारस) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस इस विधानसभा चुनाव में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बात करने के बाद उन्होंने महागठबंधन का दामन थामा था। उन्हें उम्मीद थी कि आरजेडी में शामिल होने के बाद सम्मानजनक सीटें मिलेंगी, लेकिन महागठबंधन में फिलहाल उन्हें तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। उनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि, वे अपने पुत्र यशराज पासवान को अलौली से टिकट दिलवाना चाहते हैं। आरजेडी इस सीट को किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है।

 

हालांकि, पशुपति पारस स्वयं अलौली से सात बार विधायक रह चुके हैं। तब उनके साथ रामविलास पासवान की ताकत थी। पारिवारिक कलह के बाद पारस अलग थलग पड़ गए हैं। पारस अब यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि उनका भतीजा चिराग पासवान यदि मुख्यमंत्री बनता है तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हें होगी। पारस के इस बयान को अलग-अलग राजनीति के चश्मों से देखा जा रहा है।

 

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50 सीटों पर आरजेडी के प्रत्याशी तय

आरजेडी ने लगभग 40 प्रतिशत सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर लिए हैं। अभी नामों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन ऐसे प्रत्याशियों को क्षेत्र में घूमने और मतदाताओं से संपर्क करने का संकेत दे दिया गया है। जिन सीटों पर आरजेडी ने उम्मीदवार का नाम तय किया है वह उसके प्रभाव वाला सीटें हैं। यहां 'माई' समीकरण को लेकर ही हार जीत होती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी भले ही उम्मीदवारों से बातचीत करें, लेकिन टिकट पर अंतिम निर्णय आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ही होता है। आरजेडी 130 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। फिलहाल 50 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल हो चुके हैं। जिनके नाम फाइनल हो चुके हैं, उन्होंने क्षेत्र में चुनाव प्रचार शुरु कर दिया है। 

सहयोगी दलों के साथ अदला बदली?

कुछ सीटों पर सहयोगी दलों के साथ अदला बदली भी हो सकती है। आरजेडी एनडीए उम्मीदवारों पर भी नजर रखे हुए है। इधर कांग्रेस ने पार्टी की ओर से 41 पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है। उधर वाम दल अपने-अपने दलों के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। सीट शेयरिंग को लेकर वामपंथी दलों के साथ अबतक फाइनल बात नहीं हुई है। आरजेडी सूत्रों का कहना है कि समय पर सब कुछ फाइनल हो जाएगा।

बीजेपी फूंक-फूंककर रख रही है कदम

बीजेपी का चुनावी रणनीति अन्य दलों से अलग है। पार्टी एक-एक कदम फूंक-फूंककर रख रही है। अबतक विभिन्न स्तरों से छह से सात बार सर्वे कराया जा चुका है। टिकट देने के पहले भी जातीय समीकरण, क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति और वोटरों की नाराजगी का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इस बीच यह भी चर्चा है कि इस बार के चुनाव में पार्टी के विधान पार्षदों को भी मैदान में उतारा जाय। सभी तरह की समीक्षा के बाद फाइनल सूची लगभग तैयार हो चुकी है। पार्टी को वैसे कुछ स्थानों पर समस्या हो रही है, जहां एक ही सीट पर दो तीन दावेदार चुनाव लड़ने को तैयार हैं। सभी का अपना समीकरण और दावा है। घटक दलों के साथ बातचीत के बाद जल्द ही प्रत्याशियों के नाम उजागर कर दिए जाएंगे।

 

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