संजय सिंह, पटना। चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का धन बल और बाहुबल की पूछ बढ़ ही जाती है। किसी भी दल के नेताओं को ऐसे लोगों को टिकट देने से गुरेज नहीं होता है। वोटरों का वोट भी बाहुबलियों पर जमकर बरसता है। कानून व्यवस्था में सुधार के कारण अब चुनावी हिंसा और बूथ लूट की घटनाओं में भारी कमी आई है। एक जमाना था जब वोट लुटेरों को उम्मीदवार पैसा देकर एक से दूसरे जगहों पर ले जाते थे।
अब चुनाव में स्थानीय पुलिस के साथ साथ केंद्रीय बल के जवानों को भी लगाया जाता है। नक्सली घटनाओं में भी कमी आने से प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। राजनीतिक दलों के बीच हर चुनाव में आपराधिक छवि के लोगों को चुनाव से दूर रखने की चर्चा तो होती है, लेकिन ऐन केन प्रकारेण ये लोग चुनावी मैदान में उतर ही जाते हैं।
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66 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले
2020 के चुनाव में 66 फीसद ऐसे विधायकों ने जीत हासिल की थी, जिनके खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज था। 16 विधायकों के नाम हत्या जैसे संगीन मामले में शामिल थे। इस मामले का खुलासा इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की जारी रिपोर्ट से हुआ है। संगठन के पदाधिकारियों ने रिपोर्ट की कॉपी विभिन्न दलों के अध्यक्षों को भी भेजी है। पार्टी अध्यक्षों से अनुरोध किया गया है कि दागदार छवि वाले लोगों को टिकट देने से बचें। इससे राजनीति में स्वच्छ छवि के लोगों को आने का मौका मिल सकेगा।
विश्लेषण से तैयार हुआ डेटा
एडीआर की रिपोर्ट में विधायकों के आपराधिक मामले का विश्लेषण कर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 2020 में चुनाव जीतने वाले विधायकों में से 158 ने अपने ऊपर आपराधिक मामला घोषित किया था। इस बार जन सुराज पार्टी ने इस बात की घोषणा कर रखी थी कि किसी भी कीमत पर उनके दल से दागदार छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी की इस घोषणा से दागदार छवि वाले नेता जन सुराज की ओर मुखातिब नहीं हुए। अन्य दलों ने इस मामले में कोई परहेज नहीं किया। कुछ दलों ने बाहुबलियों के बदले उनके बेटे, बेटियों या पत्नियों को टिकट दिया।
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मोकामा की पूर्व विधायक नीलम सबसे अमीर
मोकामा की विधायक और बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी का नाम सबसे अमीर विधायकों में शुमार है। उनके पास 80 करोड़ की संपत्ति है। इस बार उनके पति अनंत सिंह स्वयं चुनाव मैदान में उतरे हैं। अनंत सिंह को मोकामा में छोटे सरकार कहा जाता है। दूसरे स्थान पर बेलागंज की विधायक मनोरमा देवी हैं। इनकी चल अचल संपत्ति 72 करोड़ है। तीसरे नंबर पर भागलपुर शहरी क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक अजीत शर्मा का नाम है। इनके पास लगभग 43 करोड़ की संपत्ति है। गरीब विधायकों की सूची में सबसे पहला नाम खगड़िया के अलौली विधायक रामवृक्ष सदा का है। यह क्षेत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का है। दूसरे स्थान पर फुलवारी शरीफ के विधायक गोपाल रविदास हैं और तीसरे स्थान पर पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ हैं।
इस बार भी एक दर्जन दबंगों को मिला टिकट
इस बार के चुनाव में भी अलग-अलग दलों के लगभग एक दर्जन दबंगों का नाम टिकट पाने वालों की सूची में है। मोकामा से जेडीयू के प्रत्याशी अनंत सिंह की दबंगई पूरे प्रदेश में जगजाहिर है। कुछ दलों ने दबंगों को टिकट ना देकर उनके बेटे, बेटियों और पत्नियों को देकर पुरस्कृत करने का काम किया है। कोसी के दबंग आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद सांसद हैं। उनके बेटे चेतन आनंद पहले आरजेडी से विधायक थे। अब उनका नाम जेडीयू की सूची में दर्ज है। पूर्णिया के दबंग सांसद पप्पू यादव भी कांग्रेस से अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं। इस तरह की सूची में कई और भी नाम हैं।