संजय सिंह, पटना। चुनावी मैदान में हर राजनीतिक दल आधी आबादी के लिए तरह-तरह के लोक लुभावन वायदा करता है। आधी आबादी के वोट से ही सरकार बनने और बिगड़ने का खेल शुरु होता है। आधी आबादी का वोट बटोरने के लिए हर दल भरपूर कोशिश में लगा है, लेकिन टिकट बांटते समय हर दल के हाथ महिलाओं के मामले में तंग हो जाते हैं। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 34 और महागठबंधन के विभिन्न दलों ने मात्र 30 महिलाओं को टिकट दी। उसमें भी विरासत देखकर महिला उम्मीदवारों का चेहरा तय किया गया।
बीजेपी में बेटी-बहुओं को प्राथमिकता 
बीजेपी ने कटिहार के प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से निशा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। निशा के पति बिनोद सिंह पहले मंत्री थे। जमुई विधानसभा क्षेत्र से श्रेयसी सिंह को मैदान में उतारा है। इनके पिता दिग्विजय सिंह केंद्र में मंत्री भी थे। औराई से कैप्टन जयनारायण निषाद की बहू और मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी चुनाव लड़ रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान अजय निषाद कांग्रेस में चले गए थे। जिला परिषद छपरा की अध्यक्ष छोटी कुमारी भी चुनाव मैदान में हैं। इनके पति भाजपा के स्थानीय नेता हैं। 
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जदयू में भी राजनीतिक घरानों का बोलबाला
मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा क्षेत्र से कोमल कुमारी चुनाव लड़ रही हैं। इनकी मां वीणा देवी लोजपा (आर) के सांसद हैं। पिता दिनेश सिंह जदयू के एमएलसी हैं। टिकट कटने के पूर्व यहां खूब राजनीतिक ड्रामा हुआ था। मधुबनी के फुलपरास विधानसभा क्षेत्र से शीला मंडल को उम्मीदवार बनाया गया है। वे मंत्री भी रही हैं। इनके ससुर धनिकलाल मंडल कद्दावर नेता थे, उन्हें राज्यपाल और स्पीकर बनने का मौका मिला। 
 
पूर्व विधायक रामबालक सिंह की पत्नी रवीना कुशवाहा को विभूतिपुर से उम्मीदवार बनाया गया। समस्तीपुर से अश्वमेघा देवी चुनाव लड़ रही हैं। वह महिला आयोग की चेयरमैन भी रह चुकी हैं। इनके पति उस इलाके के प्रतिष्ठित समाजसेवी थे। अररिया के जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से शगुफ्ता अजीम को उम्मीदवार बनाया गया है। इनके ससुर इस इलाके के विधायक रह चुके हैं, पति भी राजनीति से जुड़े हैं। शिवहर विधानसभा क्षेत्र से वहां के चर्चित डॉक्टर वरुण कुमार की पत्नी श्वेता गुप्ता पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। अन्य महिला उम्मीदवारों में मीना कामत (बाबूबरही), विभा देवी (नवादा), लेसी सिंह (धमदाहा), मनोरमा देवी (बेलागंज) का रिश्ता राजनीतिक परिवारों से रहा है। 
महागठबंधन ने भी दिया रिश्तों को महत्व 
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और राजद ने भी टिकटों में राजनीतिक रिश्तों को महत्व दिया है। हिसुआ से कांग्रेस ने नीतू सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस प्रत्याशी के ससुर आदित्य सिंह मंत्री रह चुके हैं। बेगूसराय से कांग्रेस उम्मीदवार अमिता भूषण की मां सांसद रह चुकी हैं। इधर, भागलपुर के बिहपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू सांसद अजय मंडल की भांजी दिव्या गौतम वीआईपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। 
 
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राजद भी राजनीतिक रिश्ते को निभाने में पीछे नहीं है। बनियापुर से विधायक रहे अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी चुनावी मुकाबले में है। अतरी से रणजीत यादव की पत्नी बैजंती देवी को मौका दिया गया है। रंजीत स्वयं भी विधायक रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पोती करिश्मा राय परसा से चुनाव मैदान में डटी हैं। उधर, लालगंज से शिवानी शुक्ला चुनाव लड़ रही हैं। इनके माता-पिता दोनों विधायक रह चुके हैं। 
मांझी और उपेंद्र को परिवार पर भरोसा
हम के संरक्षक जीतन राम मांझी को अपने परिवार पर ज्यादा भरोसा है। उन्होंने अपनी बहू को इमामगंज से और समधन को बाराचट्टी से उम्मीदवार बनाया है। उधर, रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को सासाराम से टिकट दिया है। गोविंदपुर से चुनाव लड़ रहीं विनीता मेहता नवादा जिला भाजपा अध्यक्ष की पत्नी हैं। जहानाबाद के मखदुमपुर से चुनाव लड़ रहीं रानी कुमारी जिला परिषद अध्यक्ष हैं।