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10 फीसदी आबादी को NDA की 35% टिकट, BJP के आधे उम्मीदवार सवर्ण

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। गठबंधन ने सवर्ण और पिछड़े वर्ग को तरजीह दी है, जिसमें 85 उम्मीदवार फॉरवर्ड कैटेगरी से हैं, जबकि उनकी आबादी राज्य में केवल 10.56% है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit- Social Media

बिहार विधानसभा चुनावों के एलान के बाद सबसे पहले नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (एनडीए) गठबंधन ने बाजी मारी। NDA गठबंधन ने सबसे पहले अपनी सीटों का बंटवारा कर लिया। अब इस गठबंधन ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशियों का भी एलान कर दिया हैदिलचस्प बात यह है कि गठबंधन ने सवर्णों और OBC को साधने का पूरा प्रयास किया है। 243 में से 162 कैंडिडेट सवर्ण और पिछड़े वर्ग (OBC) तबके से हैं। इसमें सबसे ज्यादा 85 कैंडिडेट फॉरवर्ड कैटेगरी से हैं। आखिर ऐसा क्यों है कि 10.56% आबादी वाले फॉरवर्ड को NDA ने 35% टिकट दे दी?

 

NDA ने सवर्णों को 34.97% टिकट दिए हैं। इसका मतलब है कि हर तीसरा कैंडिडेट फॉरवर्ड समाज से है। इसमें 37 राजपूत, 32 भूमिहार, 14 ब्राह्मण और 2 कायस्थ हैं। NDA के 77 कैंडिडेट OBC से आते हैं। इसमें 24 कुशवाहा, 20 वैश्य, 19 यादव और 14 कुर्मी हैं।

 

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SC-ST, EBC और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व

राज्य में 40 सीटें रिजर्व हैं जिसमें 38 अनुसूचित जाति (SC) और 2 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए है। गठबंधन ने 40 टिकट महादलित और ST को दिया है। NDA ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से 36 कैंडिडेट को टिकट दिया है। वहीं, NDA ने 5 मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया है। इसमें से JDU की तरफ से 4 और चिराग पासवान की तरफ से एक। भाजपा, HAM और RLM ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया है।

 

बिहार जातीय सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में सबसे अधिक 4.70 करोड़ (36.1%) आबादी अति पिछड़ा वर्ग की है। इसके बाद पिछड़ा वर्ग 3.54 करोड़ (27%) यानी और जनरल 2.02 करोड़ (15.52%) मतलब हैं।

NDA ने सवर्णों और पिछड़ों को ज्यादा टिकट क्यों दिया?

यह समझने के लिए यह जानना भी जरूरी है कि NDA के कोर वोटर किस वर्ग से आते हैं। विधानसभा चुनाव 2020 के बाद सेंटर फॉरस्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज यानी CSDS के सर्वे के जारी डेटा के अनुसार-

 

  • 52% ब्राह्मणों ने NDA को वोट किया था। केवल 15% लोगों ने महागठबंधन को वोट किया था। चिराग पासवान की पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा था। इनकी पार्टी को 7% लोगों ने वोट किया। NDA और चिराग के वोट को मिला दे तो यह आंकड़ा 59% हुआ ।
  • 51%  भूमिहारों ने NDA को और चिराग को 3% वोट किया था जबकि 19% लोगों ने महागठबंधन को वोट किया था।
  • राजपूत लोगों ने NDA को 55% और चिराग को 4% वोट दिया था जबकि महागठबंधन को 9% लोगों ने वोट किया।
  • कायस्थों ने  NDA को 59% और महागठबंधन को 19% लोगों ने वोट किया था।

 

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  • OBC की 3 जातियों का वोटिंग पैटर्न भी ऐसा ही कुछ रहा। उन्होंने भी एक तरफा वोट किया था।
  • 83% यादव समाज के लोगों ने महागठबंधन को वोट किया था जबकि NDA को केवल 5% लोगों ने वोट किया था। यादव लालू और तेजस्वी के कोर वोटर है।
  • नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं। 2020 के चुनाव में कुर्मी समाज ने 81% वोट NDA को दिया था। 11% लोगों ने महागठबंधन को वोट किया था।

 

2020 चुनाव में 51% कोइरी/कुशवाहा लोगों ने NDA को और 16% ने महागठबंधन को वोट किया था। उस समय उपेंद्र कुशवाहा तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़े थे। उनके गठबंधन को 8% लोगों ने वोट किया था।

 

अपर कास्ट NDA का कोर वोटर है। नीतीश कुमार और बीजेपी 20 साल से इनके भरोसे ही सत्ता पर काबिज है। पिछले 4 चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर का 16 से 18 % के बीच रहा था। केवल 2015 के चुनाव को छोड़ दे तो हमेशा ऐसी ही स्थिति रहती है। वहीं, EBC में आने वाली जातियों की संख्या बिखरी हुई है। एक फीसदी से कम आबादी वाली 100 जातियां हैं। उनको एक साथ करना बहुत मुश्किल है। केवल इसलिए पार्टियां उनका टिकट देने से बचती है।

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