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बिस्फी विधानसभा: बीजेपी या आरजेडी इस बार किसकी होगी जीत?

बिस्फी विधानसभा की 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है और यहां पर पलायन का मुद्दा काफी महत्त्वपूर्ण है।

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बिहार के मधुबनी जिले की बिस्फी विधानसभा सीट सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है और मैथिली भाषा का प्रमुख केंद्र है। मिथिला की इस धरती को विद्वानों और साहित्यकारों की भूमि माना जाता है। बिस्फी और आसपास के इलाकों में मैथिली साहित्य और लोकसंस्कृति की गहरी जड़ें हैं। यहां की लगभग 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, और सीमावर्ती नेपाल से इसकी निकटता इसके भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को गहराई से प्रभावित करती है। बाढ़, बेरोजगारी, जर्जर सड़कें और शिक्षा-स्वास्थ्य की कमजोर स्थिति यहां की प्रमुख समस्याओं में गिनी जाती हैं।

 

बिस्फी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 30 से अधिक पंचायतें आती हैं, जो बिस्फी और खजौली प्रखंडों में फैली हुई हैं। यह क्षेत्र मिथिला के प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र मधुबनी शहर के पास स्थित है, लेकिन इसके बावजूद यहां विकास की गति काफी धीमी रही है। यहां की लगभग 70 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है, और बड़ी संख्या में युवा रोज़गार की तलाश में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मुंबई जैसे महानगरों की ओर पलायन करते हैं। प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, मक्का, अरहर और सब्जियों की खेती शामिल है। बिस्फी और खजौली की हाट बाजारें आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों का काम करती हैं।

 

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सीट का समीकरण

बिस्फी विधानसभा सीट का जातिगत समीकरण बेहद दिलचस्प है। यह सीट यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं के त्रिकोणीय समीकरण के कारण हमेशा राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में रहती है। ब्राह्मणों की भी अच्छी-खासी संख्या है, जो परंपरागत रूप से बीजेपी या कांग्रेस का समर्थन करते रहे हैं। यही कारण है कि हर पार्टी यहां जातिगत संतुलन को ध्यान में रखकर ही उम्मीदवार चुनती है। पिछले कई चुनावों में आरजेडी और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला रहा है।

मौजूदा विधायक का परिचय

वर्तमान विधायक हरि भूषण ठाकुर बचोल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से ताल्लुक रखते हैं। वे एक फायरब्रांड नेता माने जाते हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के फैयाज अहमद को शिकस्त दी। वे अक्सर अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। होली के वक्त उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को अगर रंग से परहेज तो उन्हें अपने घरों में रहना चाहिए। हरि भूषण ठाकुर पेशे से शिक्षक रह चुके हैं और लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। 2020 में दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार, उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है और उनके पास लगभग 1.25 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उन पर कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, लेकिन उनके कई बयान राज्य की राजनीति में विवादों का कारण बनते रहे हैं।

2020 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बिस्फी सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। बीजेपी के हरि भूषण ठाकुर बचोल ने आरजेडी के फैयाज अहमद को 10,251 सीटों से हराकर जीत हासिल की थी। हरि भूषण ठाकुर को कुल 86,574 वोट मिले थे, जबकि सिद्दीकी को 76,333 वोट प्राप्त हुए थे। कुल मिलाकर 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से अधिकतर की जमानत जब्त हो गई थी।

विधानसभा सीट का इतिहास

इस सीट पर शुरूआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन समय के साथ जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), और भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसे दलों ने भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज की।

 

1980 और 1990 के दशक में जनता दल और बाद में RJD ने इस सीट पर कब्जा जमाया, खासकर लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में यादव और मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन से। 2000 के बाद, BJP और जेडीयू गठबंधन ने कई बार जीत हासिल की। 2010 और 2015 के चुनावों में आरजेडी के डॉ. फैयाज अहमद ने जीत दर्ज की, लेकिन 2020 में BJP के हरिभूषण ठाकुर ने बाजी मारी।

 

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कब कौन जीता

2020 - हरिभूषण ठाकुर बचोल- बीजेपी

2015- फैयाज अहमद- आरजेडी

2010- फैयाज अहमद- आरजेडी

2005- गौतम सिंह - जेडीयू

2000- रवींद्र नाथ मिश्रा- निर्दलीय

1995- बूढ़न प्रसाद यादव- कांग्रेस

1990- हजारी सिंह- जेडीयू
1985- बूढ़न प्रसाद यादव - निर्दलीय
1980- रामेश्वर दत्त शर्मा- कांग्रेस
1977- राम बहादुर सिंह- जनता दल



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