छातापुर विधानसभा: बीजेपी की मजबूत पकड़, RJD कितनी देगी चुनौती?
चुनाव
• PATNA 28 Jul 2025, (अपडेटेड 29 Jul 2025, 2:23 PM IST)
छातापुर विधानसभा सीट 2015 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है। यहां से नीरज कुमार सिंह लगातार तीन बार से विधायक विधायक हैं।

छातापुर विधानसभा, Photo Credit- Khabargaon
छातापुर विधानसभा सीट सुपौल जिले में आती है। छातापुर, सुपौल के पूर्वी भाग में पड़ता है, जिसकी सीमाएं अररिया और मधेपुरा जिलों को छूती हैं। इसके अलावा भारत-नेपाल सीमा यहां से पास है। यह पूरा इलाका कोसी नदी के बाढ़ क्षेत्र में आता है, बारिश के समय में छातापुर के कई इलाके बाढ़ के पानी की मार झेलते हैं। हालांकि, यहां के लोगों ने कोसी के साथ में अपने आपको ढाल लिया है। ज्यादातर ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। धान, मक्का और दालें यहाँ की प्रमुख फसलें हैं।
यहां छातापुर सरकारी बस स्टैंड, सरकारी छातापुर अस्पताल, छातापुर ब्लॉल कार्यालय, सरकारी स्कूल मौजूद हैं। यहां सरकारी अस्पताल होने की वजह से लोगों को इलाज के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता। छातापुर में प्रसिद्ध हनुमान और दहरिया का दुर्गा मंदिर हैं। इसके अलावा यहां चकला मस्जिद भी मौजूद है। हालांकि, छातापुर में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ में यहां उच्च शिक्षा के लिए ढांचे की मांग होती रही है।
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मौजूदा समीकरण?
छातापुर विधानसभा सीट 2015 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है। यहां से नीरज कुमार सिंह लगातार तीन बार से विधायक विधायक हैं। नीरज 2010 में छातापुर से जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थे। नीरज इससे पहले 2005 में भी एमएलए थे। 2020 में उन्होंने छातापुर से आरजेडी को हराया था। 2015 में जेडीयू-आरजेडी के मजबूत गठबंधन होने के बावजूद दोनों क्षत्रप पार्टियों को हरा दिया था। 2015 के चुनाव में नीरज कुमार ने आरजेडी के ज़हूर आलम को 9,292 वोटों से मात दी थी। छातापुर विधानसभा सीट में अनुसूचित जाति और मुसलमान वोटरों की अच्छी-खासी तादात है। यहां अनुसूचित जाति 18.94 फीसदी और 24.1 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
छातापुर पर नीरज कुमार सिंह की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। उनकी पकड़ को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि इस बार भी बीजेपी उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाएगी। ऐसे में आरजेडी को यहां से हराने के लिए नीरज कुमार सिंह के मुकाबले कोई मजबूत कैंडिडेट उतारना होगा।
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2020 में क्या हुआ था?
छातापुर विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) दूसरे नंबर पर रही थी। इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। बीजेपी के नीरज कुमार सिंह ने 46.39 फीसदी मत हासिल करते हुए 93,755 वोटों के साथ सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। उन्होंने आरजेडी के विपिन कुमार सिंह को 20,635 वोटों के अंतर से हराया था। यहां आरजेडी को 36.18 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, इस सीट पर असद्दुदीन औवैसी की पार्टी AIMIM के प्रत्याशी आलम को 1990 और बीएसपी के मोहम्मद मतीन अंसारी को 1762 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
छातापुर के मौजूदा विधायक नीरज कुमार सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2010 में जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थे। इसे पहले 56 साल के नीरज कुमार 2005 में जेडीयू के टिकट पर राघोपुर-सुपौल निर्वाचन क्षेत्र से उदय कुमार गोइत को हराकर विधायकी जीती थी। बाद में वे जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। नीरज कुमार सिंह सुपौल और इस क्षेत्र के मजबूत कपड़ वाले दिग्गज नेता माने जाते हैं। नीरज कुमार सिंह इस समय नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं।
नीरज कुमार सिंह की पढ़ाई की बात करें तो ADR की रिपोर्ट के आधार पर वह अंडर ग्रेजुएट हैं। वहीं, 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और कृषि है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 14,08,53,117 रुपये की संपत्ति है। इसके अलावा उनके ऊपर 1,48,42,812 की देनदारियां हैं।
विधानसभा सीट का इतिहास
छातापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जिसकी स्थापना 1967 में हुई थी। शुरुआत में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया। इस पर अभी तक कुल 15 चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 45 है। विधानसभा में छातापुर और बसंतपुर प्रखंड हैं।
1967- कुंभ नारायण सरदार (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1969- कुंभ नारायण सरदार (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1972- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)
1977- सिताराम पासवान (जनता पार्टी)
1980- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)
1985- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)
1990- योगेंद्र नारायण सरदार (जनता दल)
1995- विश्व मोहन भारती (जनता दल)
2000- गीता देवी (आरजेडी)
2002- गौरी शंकर सरदार (आरजेडी)
2005- महेंद्र नारायण सरदार (आरजेडी)
2005- विश्व मोहन भारती (जेडीयू)
2010- नीरज कुमार सिंह (जेडीयू)
2015- नीरज कुमार सिंह (बीजेपी)
2020- नीरज कुमार सिंह (बीजेपी)
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