कालकाजी सीट का नाम देवी काली के कालकाजी मंदिर के नाम पर पड़ा है। यह मंदिर साउथ दिल्ली में नेहरु प्लेस के पास है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर देवी कालका की एक छवि खुद प्रकट हुई थी।
कालकाजी सीट से मुख्यमंत्री आतिशी विधायक हैं। 2020 के चुनाव में आतिशी ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार धरमवीर को हराया था।
इस बार कौन-कौन मैदान में?
कालकाजी सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। मुख्यमंत्री आतिशी दूसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहीं हैं। उनके सामने बीजेपी ने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उतारा है। कांग्रेस ने अल्का लांबा को टिकट दिया है।
कालकाजी की समस्याएं क्या?
कालकाजी में रहने वालों की बड़ी परेशानियों में से एक खराब सड़कें हैं। टूटी सड़कों की वजह से यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। पानी की समस्या भी बनी हुई है। इनके अलावा आवारा पशुओं की भी समस्या बनी हुई है। लोगों का कहना है कि सरकार ने कहा था कि यहां शेल्टर होम बनाए जाएंगे लेकिन अब तक बने नहीं हैं।
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2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने आतिशी को यहां से उतारा था। आतिशी को 55,897 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर बीजेपी के धरमवीर सिंह रहे थे, जिन्हें 44,504 वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस की शिवानी चोपड़ा महज 4,965 वोट ही हासिल कर सकी थीं।
क्या है इस सीट का इतिहास?
कालकाजी पर एक वक्त कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। 2013 में आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद कांग्रेस यहां से गायब हो गई है। 2008 में परिसीमन के बाद कालकाजी विधानसभा का नए सिरे से गठन हुआ था। 1993 में पहले चुनाव में यहां से बीजेपी की पूर्णिमा सेठी विधायक चुनी गई थीं। उसके बाद अगले तीन चुनाव- 1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस के सुभाष चोपड़ा यहां से जीते। 2013 के चुनाव में अकाली दल के हरमीत सिंह कालका की यहां से जीत हुई। 2015 में आम आदमी पार्टी के अवतार सिंह और 2020 में आतिशी यहां से जीतीं।
क्या है जातिगत समीकरण?
कालकाजी की 40 फीसदी आबादी झुग्गी-झोपड़ी में रहती है। यहां 25 फीसदी पंजाबी और 22 फीसदी ओबीसी हैं। ब्राह्मण 10 फीसदी, वैश्य 9 फीसदी और दलित 15 फीसदी हैं। मुस्लिमों की आबादी 6 फीसदी के आसपास है।