EVM से कैसे गिनते हैं वोट, कितनी देर चलती है बैटरी, हर सवाल का जवाब
दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए बुधवार को मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब 8 फरवरी को इन वोटों की गिनती की जाएगी। जानते हैं EVM से जुड़ी खास बातें।

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: PTI File Photo)
बुधवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर 60.39% मतदाताओं ने अपना मतदान अधिकार का इस्तेमाल किया। अब सभी की नजर 8 फरवरी के दिन आने वाले नतीजों पर है। बता दें कि भारत में चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल किया जाता है। यह वोट डालने का आसान और आधुनिक है और इससे गिनती भी जल्दी हो जाती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि EVM कैसे काम करती है, इसकी बैटरी कितनी देर तक चलती है, कौन-सा मॉडल उपयोग किया जाता है और वोटिंग प्रक्रिया से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू क्या हैं।
EVM से वोटिंग कैसे होती है?
जब कोई मतदाता वोट डालने आता है, तो सबसे पहले चुनाव अधिकारी उसका नाम वोटर लिस्ट में देखते हैं। पहचान पत्र की पुष्टि होने के बाद, वोटर की उंगली पर एक स्याही से निशानी लगाई जाती है। इसके बाद मतदान अधिकारी EVM की कंट्रोल यूनिट में उसका वोट दर्ज करने की अनुमति देता है।
EVM दो हिस्सों से बनी होती है –
कंट्रोल यूनिट (जो मतदान अधिकारी के पास होती है)
बैलट यूनिट (जहां वोटर अपना वोट डालता है)
वोटर बैलेट यूनिट में अपनी पसंदीदा पार्टी या उम्मीदवार के सामने लगे बटन को दबाता है। इसके दबाते ही एक बीप की आवाज आती है, जिससे यह पुष्टि होती है कि वोट सफलतापूर्वक दर्ज हो गया है।
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कैसे पता चलता है कि सही वोट डाला या नहीं?
VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) नाम की एक मशीन EVM के साथ जुड़ी होती है, जिससे वोट डालने के बाद एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में मतदाता द्वारा चुने गए उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह कुछ सेकंड के लिए दिखाई देता है, फिर यह पर्ची मशीन के अंदर सुरक्षित रख दी जाती है। इससे मतदाता को भरोसा हो जाता है कि उसका वोट अपनी पसंदीदा पार्टी को गया है।
EVM बैटरी कितने देर काम करती है?
EVM बैटरी से चलने वाली मशीन है, जिसे बिजली की जरूरत नहीं होती। यह खासकर दूर-दराज के गांवों और पहाड़ी इलाकों में बेहद उपयोगी साबित होती है। इसकी बैटरी एक बार चार्ज होने के बाद पूरे मतदान के दौरान आसानी से चल सकती है, जो आमतौर पर 12-16 घंटे तक चलने के लिए बनाई जाती है।
EVM का कौन-सा मॉडल इस्तेमाल किया जाता है?
वर्तमान में M3 मॉडल की EVM का इस्तेमाल किया जाता है। यह सबसे लेटेस्ट मॉडल है, जिसमें सुरक्षा के कई नए फीचर्स जोड़े गए हैं। यह मशीन किसी भी छेड़छाड़ (tampering) को तुरंत पकड़ सकती है और गलत तरीके से वोटिंग की संभावना को खत्म करती है। इसके साथ वोटिंग करते समय यदि कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार बटन दबाता है तो वोट दर्ज नहीं होता है।
एक EVM में अधिकतम कितने वोट डाले जा सकते हैं?
एक EVM में अधिकतम 3840 वोट डाले जा सकते हैं। बैलेट यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम होते हैं, लेकिन अगर उम्मीदवार ज्यादा होते हैं तो एक से ज्यादा बैलेट यूनिट जोड़ दिए जाते हैं। इस तरह, अधिकतम 384 उम्मीदवारों तक के नाम EVM में जोड़े जा सकते हैं।
वोटिंग खत्म होने के बाद EVM का क्या होता है?
मतदान खत्म होने के बाद, चुनाव अधिकारी EVM को सील कर देते हैं और इसे सुरक्षा बलों की निगरानी में कड़ी सुरक्षा के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। गिनती के दिन तक इसे किसी को छूने की अनुमति नहीं होती।
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EVM से वोटों की गिनती कैसे होती है?
मतदान पूरा होने के बाद, ईवीएम को कड़ी सुरक्षा में सील कर दिया जाता है और इन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। गिनती के दिन, सभी मशीनों को जिला निर्वाचन अधिकारी और सुरक्षा बलों की निगरानी में काउंटिंग सेंटर लाया जाता है। वहां, सभी मशीन की सील को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है।
गिनती शुरू करने से पहले, चुनाव अधिकारी हर मशीन का नंबर और सील की स्थिति की जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई छेड़छाड़ न हुई हो। इसके बाद, कंट्रोल यूनिट को गिनती टेबल पर रखा जाता है। मशीन में मौजूद रिजल्ट बटन दबाते ही स्क्रीन पर सभी उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या दिखाई देती है। इस आंकड़े को काउंटिंग एजेंट्स के सामने नोट किया जाता है और एक आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।
किसी उम्मीदवार को यदि संदेह होता है, तो वे VVPAT की पर्चियों से मिलान की मांग कर सकते हैं। गिनती समाप्त होने के बाद, अंतिम परिणाम की घोषणा की जाती है। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है और चुनाव आयोग की सख्त निगरानी में पूरी की जाती है।
गिनती के समय कौन-कौन मौजूद होता है?
गिनती के दौरान चुनाव अधिकारी, उम्मीदवारों के प्रतिनिधि (एजेंट), निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक, पुलिस और अन्य आधिकारिक लोग मौजूद होते हैं। मीडिया भी वहां मौजूद रहती है ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
EVM खराब हो जाती है या रिजेक्ट हो जाती है तो क्या होता है?
अगर मतदान के दौरान कोई EVM खराब हो जाती है या काम नहीं करती, तो तुरंत दूसरी मशीन से उसे बदला जाता है। साथ ही यदि गिनती के समय कोई EVM खराब हो जाती है, तो उसके अंदर के डेटा को सुरक्षित निकाला जाता है। VVPAT मशीनों की पर्चियों को मिलाकर भी वोटों की पुष्टि की जाती है ताकि किसी भी तरह की गलती की संभावना न रहे।
कब EVM का डेटा डिलीट करते हैं?
EVM में दर्ज वोटों का डेटा गिनती खत्म होने के बाद भी सुरक्षित रहता है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, गिनती पूरी होने के बाद और परिणाम आने के कम से कम 45 दिन तक EVM का डेटा सुरक्षित रखा जाता है। ऐसा इसलिए भी किया जाता है ताकि किसी उम्मीदवार को चुनाव परिणाम पर आपत्ति है या न्यायालय में याचिका दायर की है, तो वोटों की दोबारा जांच संभव हो सके। जब यह तय हो जाता है कि कोई कानूनी मामला लंबित नहीं है, तब चुनाव आयोग की अनुमति से EVM का डेटा रीसेट कर दिया जाता है ताकि अगली बार फिर से इसका इस्तेमाल किया जा सके।
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