फारबिसगंज विधानसभा अररिया जिले का एक कस्बा और छोटा सा शहर है। यह इलाका नेपाल की सीमा के बहुत करीब है। नेपाल की सीमा यहां से मात्र 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। ब्रिटिश काल में फारबिसगंज ईस्ट इंडिया कंपनी के एक जिला था। फारबिसगंज को इसका वर्तमान नाम इसके ब्रिटिश जिला कलेक्टर अलेक्जेंडर जॉन फोर्ब्स के नाम पर दिया गया है। इसके उत्तर में नेपाल है, जबकि अररिया शहर की दूरी 36 किलोमीटर दूर है।
फारबिसगंज में पंचमुखी हनुमान मंदिर कटरा, भागकोहेलिया काली मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। यहां फारबिसगंज कॉलेज, जीरा देवी शीतल महिला कॉलेज से पढ़ाई के लिए संस्थान हैं। फारबिसगंज जंक्शन रेलवे स्टेशन से देश के लगभग सभी बड़े शहरों के लिए ट्रेंन मिलती हैं। वहीं, फारबिसगंज में आज भी लोगों के लिए मूलभूत सुविधाएं अहम मुद्दे हैं।
फारबिसगंज एक शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्र होने के अलावा, इस छोटे से शहर की अर्थव्यवस्था उर्वरक उत्पादन, चावल उत्पादन, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मटेरियल सप्लाई के साथ में अन्य छोटे उद्योगों से चलती है। इसके अलावा फारबिसगंज में मखाना का उत्पादन होता है, मखाने के पैकेट तैयार करके ट्रेन से दूसरे शहरों में भेजे जाते हैं।
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मौजूदा समीकरण?
फारबिसगंज विधानसभा सीट 2005 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है। यहां से विद्या सागर केसरी लगातार दो बार से विधायक हैं। 2020 में उन्होंने फारबिसगंज से कांग्रेस के ज़ाकिर हुसैन खान को हराया था। 2015 में जेडीयू-आरजेडी के मजबूत गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने दोनों क्षत्रप पार्टियां को हरा दिया था। फारबिसगंज एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है। इस सीट की स्थापना 1951 में हुई थी और तब से अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं। फारबिसगंज में अभी तक कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा रहा है। विधानसभा में 33 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
2020 में क्या हुआ था?
फारबिसगंज सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी के विद्या सागर केसरी ने कांग्रेस के ज़ाकिर हुसैन खान को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 19,702 वोटों का था। जेडीयू के विद्या सागर केसरी ने 49.5 फीसदी वोट पाते हुए 1,02,212 वोट हासिल किया था, जबकि ज़ाकिर हुसैन खान को 82,510 वोट मिले। वहीं, इस सीट निर्दीय प्रत्याशी प्रदीप कुमार देव तीसरे नंबर पर रहे थे। उनको 6,452 वोट मिले, जबकि बीएसपी के राजा रमन भास्कर को 5,818 वोट मिले थे।
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विधायक का परिचय
मौजूदा बीजेपी विधायक विद्या सागर केसरी फारबिसगंज से लगातार दो बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2015 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे। विद्या सागर अपने छात्र जीवन से ही राजनीति क्षेत्र में सक्रिय हैं। 63 साल के विद्या सागर केसरी अररिया जिले के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैं।
विद्या सागर केसरी की पढ़ाई की बात करें तो वह ग्रेजुएट हैं। फारबिसगंज कॉलेज से साल 1982 में ग्रेजुएशन किया था। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, कृषि और व्यापार है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 5.76 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
फारबिसगंज विधानसभा अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। इस सीट पर सहसे पहली बार साल 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। फारबिसगंज में अभी तक कुल 17 चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 36 है। विधानसभा में फारबिसगंज डेवलपमेंट ब्लॉक है।
1952- बोकई मंडल (कांग्रेस)
1957- डूमर लाल बैठा (कांग्रेस)
1962- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1967- सरयू मिश्रा (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
1968- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1972- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1977- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1980- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1985- सरयू मिश्रा (कांग्रेस)
1990- मायानंद ठाकुर (बीजेपी)
1995- मायानंद ठाकुर (बीजेपी)
2000- ज़ाकिर हुसैन खान (बीएसपी)
2005- लक्ष्मी नारायण मेहता (बीजेपी)
2005- लक्ष्मी नारायण मेहता (बीजेपी)
2010- पदम पराग रॉय (बीजेपी)
2015- विद्या सागर केसरी (बीजेपी)
2020- विद्या सागर केसरी (बीजेपी)