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बारामती: 'भतीजे' को 'चाचा' ने हरा ही दिया, वह भी 1 लाख वोट से

बारामती विधानसभा से नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने अपने भतीजे युगेंद्र पवार को 1,00,899 वोटों से हरा दिया है।

Yugendra Pawar and Ajit Pawar

युगेंद्र पवार और अजित पवार। (तस्वीर- फेसबुक)

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महाराष्ट्र की सियासत में पवार परिवार की फूट पर खूब चर्चा हुई। अजित पवार के खिलाफ उनके चाचा शरद पवार ने बारामती विधानसभा सीट से अपने पोते युगेंद्र पवार को उतारा था। युगेंद्र पवार, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) से चुनाव लड़े थे, उन्हें 80,233 वोट पड़े। लोकसभा चुनाव 2024 में अजित पवार की पत्नी, सुनेत्रा पवार यहां से चुनाव लड़ी थीं, उन्हें उनकी चचेरी नदद सुप्रिया सुले ने हरा दिया था।

पवार परिवार की सियासी फूट में 'चाचा' अजित पवार ने साबित कर दिया है कि वे 'भतीजे' युगेंद्र पवार पर भारी हैं। बारामती, अजित पवार की कार्यस्थली रही है। वे इस इलाके में खूब सक्रिय रहे हैं और अलग-अलग समितियों के वे निर्णायक नेता रहे हैं। 
 
कितने सीटों से हारे अजित पवार के भतीजे?
अजित पवार, पुणे जिले की इस सीट से 8 बार चुनाव लड़ चुके हैं। उन्हें कुल 1,81,132 वोट मिले, जबकि युगेंद्र पवार को 80,233 वोट मिले। युगेंद्र, अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। ठीक 5 महीने पहले, बारामती लोकसभा सीट से सुनेत्रा पवार, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से 1.5 लाख वोटों के अंतर से हार गई थीं।

परिवार की लड़ाई, भावनाओं का ज्वार, चाचा ने जीत ली बाजी
दोनों दलों ने इस सीट पर जमकर चुनाव प्रचार किया था। शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार और सुप्रिया सुले की बेटी रेवती भी युगेंद्र पवार के लिए प्रचार करती नजर आईं थीं। यह सीट सियासी और पारिवारिक दोनों तरह की लड़ाई का अखाड़ा बन गया। अजित पवार बारामती में अपनी अंतिम रैली में मां को लेकर आए थे।  शरद पवार ने बारामती के लोगों से भावुक अपील करते हुए कहा था कि अब लोगों को युवा नेतृत्व चाहिए, वहीं अजित पवार ने कहा कि लोग भावनात्मक होकर वोट न करें।

शरद पवार के 'उत्तराधिकारी' बन गए अजित पवार!
अब अजित पवार, महाराष्ट्र के सियासी नतीजों से बेहद खुश हैं। वे सत्ता में आने जा रहे हैं। जनता ने उनकी पार्टी को अच्छी सीटें दी हैं। सुनेत्रा पवार राज्यसभा जा चुकी हैं। एनसीपी मूल रूप से शरद पवार की पार्टी थी, साल 1999 में उन्हें इसे बनाया था। अजित पवार, उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी समझे जाते थे लेकिन साल 2023 में उन्होंने शरद पवार से वैचारिक अलगाव दिखाते हुए उन्होंने महायुति गठबंधन से रिश्ता बनाया, जिसके धुर विरोधी शरद पवार हैं। महाराष्ट्र में अजित पवार को लोग दादा के नाम से भी बुलाते हैं।


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