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चिराग पासवान मानेंगे या नहीं, NDA में सीट शेयरिंग पर क्या चल रहा?

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। अभी तक एनडीए में सीटों पर सहमति नहीं बन सकी है। चिराग पासवान 25 सीटों पर अड़े हैं। इस बीच उन्हें एक नया ऑफर दिया गया है। अब सबकी निगाह चिराग की प्रतिक्रिया पर है।

Chirag Paswan.

चिराग पासवान। ( Photo Credit: X/@iChiragPaswan)

संजय सिंह, पटना। बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट शेयरिंग का मामला अंतिम चरण में है। बीजेपी को लोजपा (राम विलास) के नेता चिराग पासवान को मनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी तो महागठबंधन में वीआईपी के नेता मुकेश सहनी अब भी राजी नहीं है, लेकिन दोनो गठबंधन के नेता कहते हैं आल इज वेल। चर्चा है कि चिराग को बीजेपी ने राज्यसभा और विधान परिषद की भी सीट देने की बात कही है। एनडीए सूत्रों का कहना है कि चिराग इस मामले पर गृह मंत्री अमित शाह की गारंटी चाहते हैं। 

छह सीटों पर चिराग का फोकस

एनडीए नेताओं और चिराग पासवान के बीच सीटों को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। भाजपा 22 सीटें देने को तैयार हैं, लेकिन चिराग 25 सीट पर अड़े हैं। अगर चिराग को 25 सीट दी गई तो एनडीए के अन्य सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की नाराजगी बढ़ेगी। चिराग ने एनडीए के समक्ष एक और मुश्किल पैदा कर दी है। वे अपनी छह पसंदीदा सीटें मटिहानी, सिकंदरा, गोविंदगंज, ब्रह्मपुरा, महनार और लालगंज से अपना उम्मीदवार उतारना चाहते हैं, लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर दूसरे दल का कब्जा है। 

 

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  • बेगूसराय के मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा उम्मीदवार राजकुमार सिंह चुनाव जीते थे। चुनाव जीतने के बाद वे जदयू में शामिल हो गए। जदयू अब इस सीट को छोड़ना नहीं चाहती।

 

  • गोबिंदगंज सीट पर भाजपा का दावा है। चिराग के दल के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी इसी इलाके के रहनेवाले है। वे यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस सीट के लिए भाजपा राजी हो जाएगी।

 

  • जमुई की सिकंदरा सीट पर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रत्याशी प्रफुल्ल मांझी पिछले चुनाव में विजयी हुए थे। जमुई में चिराग के बहनोई अरुण भारती सांसद हैं। उन्होंने सिकंदरा और चकाई सीट पर दावा ठोका है। जीतनराम मांझी किसी भी कीमत पर सिकंदरा की सीट छोड़ने को तैयार नहीं है।

 

  • उधर चकाई सीट पर सुमित कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव जीते थे। वे जदयू के साथ हैं और राज्य सरकार के मंत्री रहे हैं। इन दोनो सीटों पर भी पेंच फंसा हुआ है। महनार और लालगंज सीट पर भी लोजपा की नजर है। इन्हीं सीटों की वजह से एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला अटका है। 

चिराग को भाजपा का नया प्रस्ताव

चिराग अपने को प्रधानमंत्री का हनुमान बता चुके हैं, लेकिन उनके हनुमान कद से सबसे ज्यादा परेशानी एनडीए को ही हो रही है। चिराग के पार्टी के पांच सांसद हैं। एक विधानसभा क्षेत्र में औसतन छह सीटें आती है। इस कारण वे 30 सीटों की मांग कर रहे हैं। पर उनकी मांग को पूरा कर पाना भी भाजपा के लिए संभव नहीं है। अगर भाजपा मान भी जाती है तो दूसरे दलों की सीटें घटेंगी और नाराजगी बढ़ेगी। 

 

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चुनाव के समय कोई रिस्क लेना नहीं चाहता। इधर चर्चा है कि बीजेपी ने चिराग को क्षतिपूर्ति के लिए राज्यसभा और विधान परिषद में जगह देने का ऑफर दिया है। भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद ताबड़े का कहना है कि एनडीए में सबकुछ पॉजिटिव है। किसी तरह की नाराजगी की बात पूरी तरह गलत है। शनिवार या रविवार को सब कुछ फाइनल हो जाएगा।

अटकलों पर लगा विराम

लोजपा (रामविलास) के सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनने पर तरह-तरह की अटकलें चल रही हैं। कुछ लोग अनुमान लगा रहे थे कि चिराग जन सुराज के साथ जा सकते हैं। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी किसी के साथ समझौता नहीं करेगी। एमआईएमआईएम भी जन सुराज के साथ राजनीतिक तालमेल करना चाहती थी, लेकिन जन सुराज में इंट्री नहीं मिली। 

 

तेजस्वी यादव स्वयं मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में चिराग वहां जाना पसंद नही करेंगे। उनके कार्यकर्ता स्वयं चिराग को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। महागठबंधन में भी वीआईपी पर पेंच फंसा है। पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी अपने को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने पर अड़े हैं। कांग्रेस इस तर्क से सहमत नहीं है।

 

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