प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने बिहार की शिवहर विधानसभा सीट से नीरज सिंह को उतारा है। टिकट मिलने के बाद से नीरज सिंह की सक्सेस स्टोरी की चर्चा चारों तरफ है। कैसे गांव में डीजल-पेट्रोल बेचने वाला लड़का आज 400 करोड़ रुपये का मालिक है? कभी झारखंड से दिल्ली और वहां से पुणे की खाक छानने वाले नीरज सिंह को असली सफलता उनके ही प्रदेश बिहार में मिली।
शिवहर जिले के मथुरापुर गांव में जन्मे नीरज सिंह की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। यही कारण था कि साल 2000 में मैट्रिक पास करने के बाद काम की तलाश में झारखंड पहुंचे, लेकिन निराशा हाथ लगी। गांव लौटे तो यहां डीजल और पेट्रोल बेचने लगे। मगर उससे परिवार का गुजारा चलाना आसान नहीं था। उन्होंने 2003 में दिल्ली का रुख किया। यहां सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। ज्यादा दिन मन नहीं लगा तो अगले साल यानी 2004 में नौकरी छोड़ दी और महाराष्ट्र के पुणे पहुंचे। यहां नीरज को पहले ऑफिस बॉय का काम मिला। बाद में एचआर असिस्टेंट की जिम्मेदारी मिली।
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2010 में नीरज ने शुरू किया अपना काम
करीब छह साल तक नीरज ने नौकरी चली। 2010 में नौकरी को अलविदा कह दिया और अपना कुछ करने की ठानी। 2010 में मोतिहारी में किसानों से अनाज खरीदना और बेचना शुरू किया। कड़ी मेहनत के दम पर व्यापार बढ़ चला। इसके बाद मोतिहारी में उषा इंडस्ट्रीज नाम की एक कंपनी बनाई। आज इस कंपनी में 2,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। 400 करोड़ रुपये का सलाना कारोबार है। नीरज की कपंनी टाइल्स, ईंट, बिल्डिंग ब्लॉक्स और अन्य सिरेमिक प्रोडक्ट बनाती है।
साइकिल नहीं थी, अब लग्जरी कारों का काफिला
डीजल-पेट्रोल बेचना नीरज सिंह का पुराना सपना था। इस सपने को वे कभी भुला नहीं सके, तभी तो हाल ही में शिवहर-मोतिहारी सड़क पर अपना पेट्रोल पंप खोला है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक एक समय ऐसा भी था कि नीरज सिंह के पास खुद की साइकिल नहीं थी। अगर कोई काम होता था तो वह पड़ोसी की साइकिल मांगकर उसे करते थे। समय ऐसा पलटा कि आज उनके पास लग्जरी कारों का काफिला है। उनके पास रेंज रोवर के अलावा करीब आधा दर्जन लग्जरी कारें हैं।
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38 वर्षीय नीरज सिंह के पास कानून की डिग्री है। उन्होंने मुजफ्फरपुर स्थित बाबा साहब भीम राम आंबेडकर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। वह अपनी दो बेटों, पत्नी और माता-पिता के साथ रहते हैं। उनके दो भाई भी हैं।