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क्या जंगपुरा की जंग जीत पाएंगे मनीष सिसोदिया? दिलचस्प होगा मुकाबला

दिल्ली की राजनीति में जंगपुरा की सीट हमेशा अहम रही है। इस बार मनीष सिसोदिया के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

jangpura vidhan sabha seat

जंगपुरा विधानसभा सीट, Photo Credit: Khabargaon

दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से एक जंगपुरा है। यह दक्षिण पूर्व दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का भी एक हिस्सा है। जंगपुरा, दक्षिण दिल्ली का सबसे पॉश इलाका माना जाता है। यह जंगपुरा, जंगपुरा एक्सटेंशन, जंगपुरा ए और जंगपुरा बी में विभाजित है। यह निर्वाचन क्षेत्र मथुरा रोड, रिंग रेलवे लाइन, डिफेंस कॉलोनी फ्लाईओवर, सिल्वर ओक पार्क और बारापुला नाले से घिरा हुआ है। 

 

जंगपुरा की समस्याएं

पार्किंग की सुविधा नहीं, ऊबड़-खाबड़ सड़कें, सड़कों पर कूड़ा-कचरा, ध्वनि प्रदूषण, अस्वच्छ वातावरण, देर रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजाते रहना, अव्यवस्थित बुनियादी ढांचा और हरियाली की कमी जंगपुरा की सबसे मुख्य समस्याएं है। इसके अलावा जंगपुरा के कुछ लोगों का कहना है कि यहां हमेशा कोई न कोई गतिविधि चलती रहती है जैसे निर्माण कार्य या राजनीतिक रैलियां। इसके अलावा जंगपुरा एक्सटेंशन में शराब की बहुत सारी दुकानें हैं जिससे आसपास असामाजिक तत्व जमा होते रहते हैं। जलभराव भी एक यहां की मुख्य समस्याओं में से एक है। यहां अच्छे स्कूलों की कमी है और निजी स्कूल कम से कम 5-6 किलोमीटर दूर हैं। बुनियादी ढांचा 1950 के दशक में बनाया गया था और तब से आबादी चार गुना बढ़ गई है। 

 

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2020 में क्या हुआ था?

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जंगपुरा सीट से दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा था। 2015 में यहां AAP 20 हजार से ज्यादा और 2020 में 16 हजार से ज्यादा वोटों से जीती थी। वर्ष 2020 की बात करें तो जंगपुरा सीट से AAP के प्रवीन कुमार ने जीत हासिल की थी। उन्हें 45133 वोट मिले थे। वहीं BJP के इम्प्रीत सिंह बख्शी को महज 29070 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। ऐसे में  मनीष सिसोदिया के लिए यह सीट काफी सुरक्षित मानी जा रही है। 

 

जंगपुरा का इतिहास 

राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और कर्तव्यपथ जैसी कई इमारतें रायसीना हिल्स पर बनाई गई हैं। पहले यहां कई गांव बसे हुए थे जिसके तहत ब्रिटिश सरकार ने इन गांवों को खाली कराने का फैसला किया। दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर मिस्टर यंग को इस इलाके की जिम्मेदारी सौंपी गई। यंग ने कड़ा एक्शन लेते हुए गांवों को खाली कराकर लोगों को कहीं और शिफ्ट करा दिया। जिस जगह पर गावों को शिफ्ट कराया गया उसे यंगपुरा नाम दिया गया। हालांकि, बाद में यह इलाका आम बोलचाल की भाषा में जंगपुरा कहलाया जाने लगा। यह इलाका बाद में प्रसिद्ध कलाकारों की बस्ती बन गई। 1950-51 में इस इलाके का विस्तार होना शुरू हुआ। यहां भारत विभाजन के बाद दिल्ली पहुंचे कई प्रवासी भी बसे। 

जंगपुरा का जातीय-धार्मिक समीकरण क्या?

दक्षिणी पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली जंगपुरा विधानसभा सीट के तहत कुल आबादी में अनुसूचित जाति का अनुपात 17.71 फीसदी है। यहां मुस्लिम समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है। सिंह समुदाय 16,467 मतदाताओं के साथ दूसरे नंबर पर है। उसके बाद कुमार समुदाय 8,929 है। इसके अलावा जंगपुरा एक्सटेंशन में पंजाबी और सिखों की आबादी भी अधिक है, क्योंकि यहां रावलपिंडी जिले के गांवों से आकर कई लोग बसे हैं।

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