बिहार की काराकाट विधानसभा सीट रोहतास जिले का हिस्सा है। काराकाट विधानसभा के अलावा लोकसभा सीट भी है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से भाकपा (माले) के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। काराकाट सीट को वाम दलों का गढ़ माना जाता है। 1967 में विधानसभा सीट का गठन हुआ। बीजेपी को अपनी पहली जीत की तलाश है। इतिहास के अलग-अलग काल में काराकाट क्षेत्र में अलग-अलग साम्राज्यों का शासन रहा है। यहां की जनता ने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की क्रांति में हिस्सा लिया। काराकाट के पास से ही सोन नदी बहती है। क्षेत्र की मिट्टी उपजाऊ है। अधिकांश लोगों का जीवन यापन खेती-किसानी पर निर्भर है।
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मौजूदा समीकरण
2020 के चुनावी आंकड़ों के मुताबिक काराकाट विधानसभा सीट पर कुल 328648 मतदाता हैं। यहां अनुसूचित जाति के वोटर्स की हिस्सेदारी 17.61 फीसद है। वहीं अनुसूचित जनजाति के करीब 0.18 प्रतिशत मतदाता हैं। अगर मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो उनकी हिस्सेदारी 8.6 फीसद है। विधानसभा क्षेत्र के लगभग 88.87 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। सिर्फ 11.13 प्रतिशत वोटर्स ही शहरी क्षेत्र के निवासी हैं। विधानसभा क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत वोटर्स पासवान समुदाय से हैं। यादव मतदाताओं की हिस्सेदारी 1.2 फीसद है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में कुल 13 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। सीपीआई (माले) ने अरुण सिंह पर भरोसा जताया। उनके सामने बीजेपी ने राजेश्वर राज को टिकट दिया। अरुण सिंह को कुल 82,700 वोट मिले। वहीं राजेश्वर राज के खाते में 64,511 मत आए। बीजेपी प्रत्याशी को कुल 18,189 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। पिछले चुनाव में कुल 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी
मौजूदा विधायक का परिचय
सीपीआई (माले) नेता अरुण सिंह काराकाट से मौजूदा विधायक हैं। वह यहां से कुल चार बार चुनाव जीत चुके हैं। सबसे पहले 2000 में विधायक बने थे। 2005 तक उनकी जीत का सिलसिला जारी रहेगा। 2010 में जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजेश्वर राज ने अरुण सिंह के विजयी अभियान को रोका था। 10 साल बाद अरुण कुमार सिंह को पिछले चुनाव में चौथी बार जीत मिली। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक अरुण सिंह के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। 1993 में राम दहिन एमआईटीआर हाई स्कूल से 10वीं पास हैं। काराकाट थाने में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज हैं।
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विधानसभा सीट का इतिहास
काराकाट विधानसभा सीट पर अब तक कुल 14 चुनाव हो चुके हैं। पहले दो चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की। 1972 में कांग्रेस की टिकट पर पहली बार मनोरमा पांडे विधायक बनीं। 1977 और 1980 विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली। काराकाट विधानसभा सीट पर सबसे अधिक चार बार सीपीआई (माले) ने कामयाबी हासिल की। 1990 और 1995 के चुनाव में लगातार दो बार जनता दल के प्रत्याशी जीते। काराकाट विधानसभा सीट पर जेडीयू और आरजेडी को एक-एक बार जीत मिली।
काराकाट विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1967 |
तुलसी यादव |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 |
तुलसी यादव |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1972 |
मनोरमा पांडे |
कांग्रेस |
1977 |
त्रिभुवन सिंह |
जनता पार्टी |
1980 |
तुलसी यादव |
जनता पार्टी |
1985 |
शशि रानी मिश्रा |
कांग्रेस |
1990 |
तुलसी यादव |
जनता दल |
1995 |
तुलसी यादव |
जनता दल |
2000 |
अरुण सिंह |
सीपीआई (माले) |
2005 (फरवरी) |
अरुण सिंह |
सीपीआई (माले) |
2005 (फरवरी) |
अरुण सिंह |
सीपीआई (माले) |
2010 |
राजेश्वर राज |
जेडीयू |
2015 |
संजय यादव |
आरजेडी |
2020 |
अरुण सिंह |
सीपीआई (माले) |