बिहार की डेहरी विधानसभा सीट रोहतास जिले में पड़ती है। विधानसभा के अलावा डेहरी प्रखंड भी है। एक समय यह बिहार का अहम औद्योगिक क्षेत्र रहा है। मगर अब विधानसभा क्षेत्र की जनता तमाम समस्याओं से जूझ रही है। डेहरी विधानसभा सीट का गठन साल 1951 में हुआ। 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट काराकाट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गई। यहां के डालमियानगर की बिहार के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में गिनती होती थी। मगर अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है।
डेहरी विधानसभा सीट सोन नदी के किनारे बसा है। यहां की जनता लंबे समय से नदी किनारे मरीन ड्राइव बनाने की मांग कर रही है। डालमियानगर में रेल कारखाना भी शुरू नहीं हो सका। अकोढ़ी गोला में सरकारी डिग्री कॉलेज की मांग अधूरी है। पिछले चुनाव में डेहरी विधानसभा सीट पर हार जीत का फैसला महज 464 वोटो से तय हुआ था।
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मौजूदा समीकरण
2020 के चुनावी आंकड़े के मुताबिक डेहरी विधानसभा में 294837 कुल मतदाता हैं। क्षेत्र के करीब 65.27 फीसद वोटर्स ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले हैं। 34.73 फीसद वोटर्स शहरी हैं। विधानसभा क्षेत्र में 16.91 फीसद अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की सिर्फ 0.18 फीसद हिस्सेदारी है। अगर मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो वह करीब 10.06 प्रतिशत हैं।
2020 चुनाव का रिजल्ट
2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे। आरजेडी ने फते बहादुर को अपना उम्मीदवार बनाया। उनका मुकाबला बीजेपी के सत्यनारायण सिंह से था। फते बहादुर को कुल 64,567 वोट मिले। वहीं बीजेपी उम्मीदवार सत्यनारायण सिंह को 64,103 मत मिले। हार जीत का अंतर सिर्फ 464 मतों से तय हुआ। इस तरह आरजेडी ने चौथी बार डेहरी विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया। बीजेपी नेता सत्यनारायण ने 2019 के उपचुनाव में डेहरी से जीत हासिल की थी। मगर एक साल बाद ही जनता ने उन्हें नकार दिया।
मौजूद विधायक का परिचय
डेहरी से मौजूदा विधायक फते बहादुर सियासत में आने से पहले व्यवसायी थे। 2015 में उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से टिकट मांगा था। लेकिन पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी नहीं बनाया। पांच साल बाद 2020 में आरजेडी ने अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में फते बहादुर ने 464 मतों से जीत हासिल की। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक फते बहादुर के पास 14 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। 2 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। साल 1989 में सोनमती मांगुर हाई स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास की। उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
डेहरी विधानसभा के पहले दो चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी को पहली जीत 1962 में मिली। 1985 के बाद दोबारा नहीं जीती। कांग्रेस डेहरी से कुल पांच बार चुनाव जीत चुकी है। सोशलिस्ट पार्टी को दो बार कामयाबी मिली। दोनों बार बसावन सिंह ने जीत दिलाई। जनता पार्टी और जनता दल भी दो-दो बार जीत का परचम लहरा चुकी है। चार बार आरजेडी प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे। आरजेडी विधायक मोहम्मद इलियास हुसैन के अयोग्य घोषित होने के बाद 2019 के उपचुनाव में पहली बार बीजेपी ने जीत हासिल की।
डेहरी विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
पार्टी |
1952 |
बसावन सिंह |
सोशलिस्ट पार्टी |
1957 |
बसावन सिंह |
सोशलिस्ट पार्टी |
1962 |
अब्दुल कय्यूम अंसारी |
कांग्रेस |
1967 |
अब्दुल कय्यूम अंसारी |
कांग्रेस |
1969 |
रियासत करीम |
कांग्रेस |
1972 |
अब्दुल कय्यूम अंसारी |
कांग्रेस |
1977 |
बसावन सिंह |
जनता पार्टी |
1980 |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
जनता पार्टी |
1985 |
खालिद अनवर अंसारी |
कांग्रेस |
1990 |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
जनता दल |
1995 |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
जनता दल |
2000 |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
आरजेडी |
2005 (नवंबर) |
प्रदीप जोशी |
निर्दलीय |
2010 |
ज्योति रश्मि |
निर्दलीय |
2015 |
मोहम्मद इलियास हुसैन |
आरजेडी |
2019 |
सत्यनारायण सिंह |
बीजेपी |
2020 |
फते बहादुर सिंह |
आरजेडी |