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सासाराम विधानसभा: RJD और BJP में कांटे की टक्कर, अबकी कौन मारेगा बाजी?

सासाराम विधानसभा सीट पर बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। पिछले दो चुनाव से यहां आरजेडी का कब्जा है। अगले चुनाव में कौन बाजी मारेगा? इस पर सबकी नजर है।

Sasaram Vidhan Sabha.

सासाराम विधानसभा। (Photo Credit: Khabargaon)

लोकसभा के अलावा सासाराम एक विधानसभा सीट भी है। तिलौथू और सासाराम सामुदायिक ब्लॉक को मिलाकर विधानसभा सीट का गठन हुआ है। सासाराम सीट पर बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। पिछले दो चुनाव से सासाराम सीट पर आरजेडी का कब्जा है। सासाराम का ऐतिहासिक महत्व भी है। यह शहर कभी शेर शाह सूरी की राजधानी रहा है। 1972 में शाहाबाद जिले से अलग रोहतास जिले का गठन हुआ तो सासाराम को जिला मुख्यालय बनाया गया।

 

तमाम दावों के बावजूद सासाराम की जनता आज भी कई समस्याओं से जूझ रही है। शहर में ड्रेनेज सिस्टम फेज दो की फाइल अब भी सरकार के पास पड़ी है। कचरा डंपिंग स्टेशन का ख्वाब भी अधूरा है। रिंग रोड का काम भी आधा ही हुआ है। विधानसभा क्षेत्र में सदर प्रखंड की 10 और तिलौथू प्रखंड की 13 पंचायतें शामिल हैं। यहां की करीब 33.1 प्रतिशत आबादी शहरी है। बाकी लोग गांवों में रहते हैं। अधिकांश लोगों का जीवन यापन खेती-किसानी पर निर्भर है।

 

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मौजूदा समीकरण

सासाराम सीट पर कुशवाहा जाति का दबदबा है। 1990 से 2015 तक यहां कुशवाहा जाति के अलावा कोई अन्य उम्मीदवार नहीं जीता। विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी 17.55 फीसद है। वहीं 15.20 प्रतिशत वोटर्स मुस्लिम हैं। पासवान समाज की हिस्सेदारी 3.1 फीसद है। 2 फीसद यादव वोटर्स हैं। सासाराम विधानसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 3,39,218 है।

 

2020 चुनाव का रिजल्ट

पिछले चुनाव में कुल 20 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। मगर बाजी आरजेडी उम्मीदवार राजेश कुमार गुप्ता ने मारी। राजेश गुप्ता को कुल 83,303 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी जेडीयू उम्मीदवार अशोक कुमार को सिर्फ 56,880 मत मिले। उन्हें 26,423 मतों के भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा। लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार रामेश्वर प्रसाद को 21,426 वोट मिले। पिछले चुनाव में एलजेपी के एनडीए से अलग होकर लड़ने का नुकसान कई सीटों पर जेडीयू को उठाना पड़ा। अगर यहां भी दोनों दल गठबंधन में लड़ते तो हार-जीत का अंतर और भी घट सकता था।

मौजूदा विधायक का परिचय

2015 के चुनाव में आरजेडी की टिकट पर अशोक कुमार ने चुनाव जीता था। बाद में पाला बदलकर जेडीयू में चले गए। 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने राजेश कुमार गुप्ता पर भरोसा जताया और अशोक कुमार के सामने उतारा। आरजेडी का यह दांव बिल्कुल सटीक बैठा। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक राजेश गुप्ता के पास 3 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। 35 लाख रुपये का कर्ज है। ठेकेदारी को उन्होंने अपना पेशा बता रखा है। उनकी पत्नी ब्यूटी पार्लर और टेलरिंग से जुड़ी हैं। राजेश कुमार गुप्ता ने साल 1995 में श्री शंकर कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।

 

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विधानसभा सीट का इतिहास

सासाराम विधानसभा का गठन 1957 में हुआ। कांग्रेस को सिर्फ 1962 और 1967 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली। बिपिन बिहारी सिन्हा ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को दो बार जीत दिलाई। सबसे अधिक पांच बार बीजेपी ने सासाराम सीट पर जीत का परचम लहराया। आरजेडी को पहली बार 2000 में सफलता मिली। इसके बाद 2015 और 2020 के चुनाव में भी फतेह दर्ज की। जनता दल भी दो बार विधायक बनाने में कामयाब रही। किसान मजदूर प्रजा पार्टी और लोकदल को एक-एक बार जीत मिली। सासाराम सीट पर जेडीयू अभी तक नहीं जीती है। जवाहर प्रसाद कुशवाहा पांच और बिपिन बिहारी सिन्हा तीन बार विधायक रहे। अशोक कुमार कुशवाहा और राम सेवक सिंह दो-दो बार चुनाव जीते।

 

 सासाराम विधानसभा: कब-कौन जीता?
वर्ष विजेता दल
1957 बिपिन बिहारी सिन्हा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1962  दुखन राम कांग्रेस
1967  विनोद बिहारी सिंह कांग्रेस
1969  बिपिन बिहारी सिन्हा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1972 राम सेवक सिंह किसान मजदूर प्रजा पार्टी
1977 बिपिन बिहारी सिन्हा जनता पार्टी
1980 राम सेवक सिंह जनता पार्टी
1985 राम सेवक सिंह  लोकदल
1990 जवाहर प्रसाद कुशवाहा बीजेपी
1995 जवाहर प्रसाद कुशवाहा बीजेपी
2000 अशोक कुमार कुशवाहा आरजेडी
2005 (फरवरी) जवाहर प्रसाद कुशवाहा बीजेपी
2005 (नवंबर) जवाहर प्रसाद कुशवाहा बीजेपी
2010 जवाहर प्रसाद कुशवाहा  बीजेपी
2015 अशोक कुमार कुशवाहा आरजेडी
2020 राजेश कुमार गुप्ता 

आरजेडी

 

 

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