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किराड़ी में पार्टी बदलकर जीत पाएंगे अनिल झा या BJP मारेगी बाजी?

किराड़ी विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी रोमांचक है। दो बार AAP से चुनाव हारने वाले अनिल झा इस बार AAP के ही टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

kirari assembly

किराड़ी विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

दिल्ली की किराड़ी विधानसभा सीट पूर्वांचली मतदाताओं के लिए मशहूर है। दिल्ली के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में आने वाली यह विधानसभा लगभग बाहरी दिल्ली में ही आती है। अनधिकृत कॉलोनियां, छोटे-छोटे उद्योग, भारी भीड़ और कम विकसित इलाके इसकी पहचान हैं। इसी इलाके में एक रेलवे क्रॉसिंग पड़ती है जो लंबे समय से समस्या का कारण भी रही है। बीच में गुजरती रेलवे लाइन हर दिन लोगों को घंटों जाम में फंसाती है। कई बार इसको लेकर ऐलान भी हुए लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। शायद यही वजहें रहीं कि AAP ने अपने दो बार के विधायक ऋतुराज झा का टिकट यहां से काट दिया।


किराड़ी विधानसभा में मुबारकपुर डबास गांव, किराड़ी सुलेमान गांव, निठारी गांव, प्रेम नगर, प्रताप विहार, करण विहार और रमेश एन्क्लेव जैसे इलाके आते हैं। इस विधानसभा सीट में एमसीडी के कुल 5 वार्ड हैं। 2022 में हुए एमसीडी के चुनाव में 4 वार्ड में AAP ने और एक में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। हालांकि, मुबारकपुर वार्ड से AAP के पार्षद अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और उसी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। दो बार BJP के विधायक रहे अनिल झा इस बार AAP के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला, बीजेपी के बजरंग शुक्ला से है।

 

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किराड़ी की समस्याएं क्या हैं?

 

ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनियों को मिलाकर बनी यह विधानसभा सड़क, नाली और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी से ही जूझ रही है। जल निकासी का पर्याप्त इंतजाम न होने की वजह से पूरी विधानसभा के लोग सबसे ज्यादा इसी से परेशान होते हैं। बिना प्लानिंग के बने मकानों की वजह से इस इलाके में बड़ा नाला ही नहीं है। हर बार बारिश में खाली जमीनों पर पानी भर जाता है और ज्यादा बारिश की स्थिति में वही पानी लोगों के घरों में घुसने लगता है।

विधानसभा का इतिहास


किराड़ी विधानसभा सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। 2008 में जब इस सीट पर पहला चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर उतरे अनिल झा ने जीत हासिल की। 2013 में जब AAP की एंट्री हुई थी तब भी अनिल झा ने बाजी मार ली थी। हालांकि, 2015 में AAP ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और नए उम्मीदवार रितुराज गोविंद झा ने अनिल झा को हराकर बाजी पलट दी। 2020 में अनिल झा ने खूब मेहनत की लेकिन एक बार फिर वह चुनाव हार गए। इस बार रोचक बात यह है कि AAP ने उन्हीं रितुराज का टिकट काटकर पुराने भाजपाई अनिल झा को टिकट दे दिया है।

2020 में क्या हुआ?

 

2020 में  AAP के रितुराज गोविंद विधायक थे। टीम केजरीवाल से उनकी करीबी के चलते फिर से टिकट मिला। बीजेपी ने पिछला चुनाव हार चुके अनिल झा पर फिर से भरोसा जताया। अनिल झा ने इस बार जमकर मेहनत की, रितुराज गोविंद का खूब विरोध भी किया और मुकाबले कांटे का हुआ। हालांकि, अंतिम नतीजों में लगभग 6 हजार वोट के अंतर से रितुराज गोविंद विजयी हुए।

 

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समीकरण क्या है?

 

इस सीट पर लगभग एक तिहाई से ज्यादा मतदाता पूर्वांचली हैं। लगभग 20 पर्सेंट मुस्लिम, लगभग 31 पर्सेंट पूर्वांचली ब्राह्मण, 7 पर्सेंट जाट और बड़ी संख्या में SC और OBC मतदाता भी हैं। पूर्वांचली मतदाताओं की बड़ी संख्या की वजह से इस सीट पर बीजेपी और AAP ने यूपी और बिहार के नेताओं को भी प्रचार में उतार दिया है। AAP की ओर से यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी यहां चुनाव प्रचार करने आए।

 

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