देश की सियासत में मधेपुरा का जिक्र होना लाजिमी है। लालू प्रसाद यादव से शरद यादव तक का मधेपुरा से नाता रहा है। आपराधिक दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को कौन नहीं जानता? उनका भी संबंध इसी मधेपुरा से है। पिछड़ी जातियों की आरक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले बीपी मंडल की जन्मभूमि मधेपुरा है। मधेपुरा विधानसभा के अलावा जिला भी है। कोसी नदी क्षेत्र में बसा यह जिला अपनी उपजाऊ मिट्टी के लिए जाना जाता है।
दबंगों और बहुबलियों के उदय ने मधेपुरा को राजनीतिक विमर्श में ला दिया। 1999 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने मधेपुरा से ही लालू प्रसाद यादव को सियासी शिकस्त दी थी। अब एल्पस्टॉम लोकोमोटिव फैक्ट्री मधेपुरा की नई पहचान है। यहां 12,000 हॉर्सपावर के ट्रेन इंजन बनते हैं। विधानसभा क्षेत्र में मधेपुरा, गम्हरिया और घैलाढ़ सामुदायिक विकास खंड के अलावा मुरलीगंज सीडी ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतें आती हैं।
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सीट का समीकरण
मधेपुरा विधानसभा के लोगों के सामने बाढ़, पलायन और बेरोजगारी बड़ी समस्या के तौर पर उभरी है। अगर सीट के समीकरण की बात करें तो यहां यादव समुदाय का दबदबा है। यादव मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 32 फीसद है। 11.01 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। यादवों के बाद सबसे अधिक संख्या अनुसूचित जाति के मतदाताओं की है। मधेपुरा में करीब 17.51% एससी वोटर्स हैं। यहां यादव मतदाताओं का झुकाव जिधर होता है, जीत लगभग उसी की होती है। विधानसभा क्षेत्र के लगभग 88.78 फीसदी मतदाता ग्रामीण इलाके में रहते हैं। सिर्फ 11.23 प्रतिशत मतदाता ही शहरी हैं। 2020 विधानसभा चुनाव के मुताबिक मधेपुरा विधानसभा में कुल 330734 मतदाता हैं।
2020 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में मधेपुरा से कुल 18 प्रत्याशी मैदान में उतरे। आरजेडी ने दो बार के विधायक रहे चंद्रशेखर पर भरोसा जताया। उनके सामने जेडीयू ने निखिल मंडल को उतारा। आरजेडी प्रत्याशी चंद्रशेखर ने 15,072 मतों के अंतर से तीसरी बार चुनाव जीते। चंद्रशेखर को कुल 79,839 और निखिल मंडल को 64,767 वोट मिले। जन अधिकारी पार्टी से चुनाव में उतरे पप्पू यादव समेत बाकी सभी 16 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।
मौजूदा विधायक का परिचय
मधेपुरा से आरजेडी विधायक चंद्रशेखर का विवादों से पुराना नाता है। रामचरितमानस पर उनकी टिप्पणी राष्ट्रीय स्तर पर छाई रही। तीन बार से विधायक चंद्रशेखर यादव महागठबंधन की सरकार में आपदा प्रबंधन और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। मधेपुरा के भलेवा गांव के रहने वाले चंद्रशेखर के पिता शिक्षक थे। उनके बड़े भाई रामचंद्र यादव दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर थे। चंद्रशेखर यादव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत पूर्णिया से मौजूदा सांसद पप्पू यादव के समर्थन से हुई थी।
दो बार पप्पू यादव के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। 2020 में चंद्रशेखर यादव ने उन्हीं पप्पू यादव को चुनाव हराया, जिनके सहारे वह सियासत में उतरे थे। 2020 के चुनावी हलफनाम के मुताबिक चंद्रशेखर यादव के पास 2 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और 50 लाख रुपये का कर्ज है। उनकी पत्नी शिक्षक हैं। हलफनामे में विधायक ने खुद को प्रवक्ता बता रखा है।
विधानसभा सीट का इतिहास
मधेपुरा विधानसभा सीट पर अब तक कुल 16 चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक चार बार आरजेडी ने जीत हासिल की। कांग्रेस ने तीन और जेडीयू ने दो बार सफलता मिली। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को भी दो बार अपना विधायक बनाने का मौका मिला। जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार जीत दर्ज की।
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1957 में भूपेंद्र नारायण मंडल पहली बार बतौर निर्दलीय विधायक बने। 2010 से आरजेडी नेता चंद्रशेखर लगातार तीन बार के विधायक हैं। राधा कांत यादव और चंद्रशेखर तीन-तीन बार जीत का परचम लहराया। मधेपुरा सीट पर बीपी मंडल, भोली प्रसाद मंडल और मनिंद्र कुमार मंडल ने दो बार चुनाव जीता।
मधेपुरा विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1957 |
भूपेंद्र नारायण मंडल |
निर्दलीय |
1962 |
बीपी मंडल |
कांग्रेस |
1967 |
एपी यादव |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 |
भोली प्रसाद मंडल |
कांग्रेस |
1972 |
बीपी मंडल |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1977 |
राधा कांत यादव |
जनता पार्टी |
1980 |
राधा कांत यादव |
जनता पार्टी (SC) |
1985 |
भोली प्रसाद मंडल |
कांग्रेस |
1990 |
राधा कांत यादव |
जनता दल |
1995 |
परमेश्वरी प्रसाद निराला |
जनता दल |
2000 |
राजेंद्र प्रसाद यादव |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
मनिंद्र कुमार मंडल |
जेडीयू |
2005 (नवंबर) |
मनिंद्र कुमार मंडल |
जेडीयू |
2010 |
चंद्रशेखर |
आरजेडी |
2015 |
चंद्रशेखर |
आरजेडी |
2020 |
चंद्रशेखर |
आरजेडी |
नोट: आकंड़े भारत निर्वाचन आयोग