मनेर विधानसभा सीट बिहार की राजधानी पटना में आती है। यह पटना के दानापुर अनुमंडल में स्थित एक प्रखंड स्तरीय नगर है। यह सूफी संत मखदूम याह्या मनेरी (13वीं सदी) और मखदूम शाह दौलत (16वीं सदी) की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है नगर है। मनेर संस्कृति और शिक्षा का समृद्ध केंद्र रहा है। यहां संस्कृत के महान व्याकरणाचार्य पाणिनि ने अध्ययन किया था। इससे पहले यह स्थान बौद्ध शिक्षा का भी केंद्र रह चुका था। आज के मनेर में ग्रामीण और शहरी दोनों लोग रहते हैं। वर्तमान में यहां शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है।
मनेर की पटना से दूरी 24 किलोमीटर और आरा से भी 24 किलोमीटर है। मनेर में सोन, घाघरा, गंगा नदी में आकर मिल जाती हैं, जिससे यहां त्रिवेणी संगम बनता है। वर्तमान में मनेर के कुछ मुद्दे हैं जो हमेशा चर्चा में रहे हैं। ये मुद्दे- रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाएं हैं।
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मौजूदा समीकरण?
मनेर विधानसभा सीट साल पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का पिछले 20 सालों से दबदबा है। यह साल 2005 से ही आरजेडी के कब्जे में है। यहां से भाई वीरेंद्र यादव पिछले तीन बार से आरजेडी के विधायक हैं। उसने पहले आरजेडी के ही श्रीकांत निराला विधायक थे। मनेर विधानसभा के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां के वोटर आरजेडी के पक्ष में रहते हैं। सीट पर अकेले 26 फीसदी यादव वोटर हैं। यादव वोटर मनेर सीट पर जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा यहां, 17 फीसदी राजपूत, 6 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इसके अलावा अतिपिछड़ा वर्ग की अच्छी-खासी संख्या है।
2020 में क्या हुआ था?
मनेर विधानसभा सीट पर 2020 में आरजेडी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में आरजेडी के भाई वीरेंद्र ने बीजेपी के निखिल आनंद को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 32,917 वोटों का था। आरजेडी के भाई वीरेंद्र ने 47.44 फीसदी वोट पाते हुए 94,223 वोट हासिल किया था, जबकि निखिल आनंद को 61,306 वोट मिले थे। इस सीट पर जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी चुनाव लड़े थे। उनको शर्मनाक हार मिली थी।
वहीं, इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों में अच्छा-खासा वोट पाया था। निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व विधायक श्रीकांत निराला को 14,615 वोट और विकास कुमार को 4,024 वोट हासिल हुए थे।
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विधायक का परिचय
वर्तमान विधायक भाई वीरेंद्र बिहार के चर्चित विधायकों में से एक हैं। पिछले दिनों उनका क ऑडिया वायरल हुआ था, जिसमें वह पंचायत सचिव को धमकाते हुए सुनाई दिए थे। वह मनेर से लगातार 15 साल यानि साल 2010 से आरजेडी के विधायक हैं। वह इससे पहले साल 2000 में मनेर से समता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 64 साल के भाई वीरेंद्र बिहार आरजेडी के पुराने और दिग्गज नेताओं शुमार किए जाते हैं।
भाई वीरेंद्र यादव की पढ़ाई की बात करें तो वह पटना विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने साल 1984 में पटना से परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, दुग्ध व्यापार और खेती है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 2.5 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
मनेर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी। मनेर बिहार के उन विधानसभा सीटों में से है, जहां बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है। इस पर अभी तक कुल 18 चुनाव हुए हैं। यहां 7 बार कांग्रेस, 5 बार आरजेडी चुनाव जीती है। मनेर विधानसभा सीट पाटिलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
1952- रामेश्वर प्रसाद शास्त्री (कांग्रेस)
1957- श्रीभगवान सिंह (सीपीआई)
1962- भूदेव सिंह (कांग्रेस)
1967- राम नगीना यादव (निर्दलीय)
1969- महाबीर गोप (कांग्रेस)
1972- राम नगीना यादव (कांग्रेस)
1977- सूर्यदेव सिंह (जनता पार्टी)
1980- राम नगीना यादव (निर्दलीय)
1984- राजमति देवी (कांग्रेस)
1985- राजमति देवी (कांग्रेस)
1990- श्रीकांत निराला (कांग्रेस)
1995- श्रीकांत निराला (जनता दल)
2000- भाई वीरेंद्र यादव (समता पार्टी)
2005- श्रीकांत निराला (आरजेडी)
2005- श्रीकांत निराला (आरजेडी)
2010- भाई वीरेंद्र यादव (आरजेडी)
2015- भाई वीरेंद्र यादव (आरजेडी)
2020- भाई वीरेंद्र यादव (आरजेडी)