बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी आजादी के बाद से दशकों तक नहीं के बराबर रहीं। 1950 से 1980 के दशक तक विधानसभा में महिला का प्रतिनिधित्व बेहद कम रहा। पहले विधानसभा चुनाव में कुल 380 सदस्यों में केवल 10 महिलाएं ही चुनाव जीती थीं। गिन-चुन कर जो महिलाएं राजनीतिक पदों तक पहुंच पाईं वे अक्सर नामचीन पॉलिटिकल घरानों से थीं, जो यह दिखाता है कि आम महिलाओं के लिए सक्रिय राजनीति में आने रास्ते सीमित थे। अभी होने वाले विधानसभा 2025 के चुनाव और इससे पहले महिलाओं की स्थिति बिहार की राजनीति में कैसी रही आइए समझते हैं।
बिहार की राजनीति में महिलाओं की स्थिति विरोधाभासों से भरी हुई है—एक ओर वे चुनावी जीत के लिए 'किंगमेकर' बन चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर कानून बनाने के स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व अभी भी काफी कम है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जिन पार्टियों की लिस्ट आई है उसमें JDU और BJP ने अपनी-अपनी सीटों (101-101) में से लगभग 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है। यह कुल सीटों का 15% से भी कम है। सीएम नीतीश कुमार, जो महिला सशक्तीकरण के पक्षधर रहे हैं, उनकी पार्टी JDU में भी 2020 के 22 महिला उम्मीदवारों की तुलना में यह संख्या कम रही है। कांग्रेस ने अपनी 48 उम्मीदवारों की पहली सूची में 5 महिलाओं को टिकट दिया है। अब जानते हैं शुरुआत से उनकी स्थिति-
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राजनीति में इनकी स्थिति
- शुरुआती सालों में विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम था। 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में, 330 सीटों में से केवल 10 महिलाएं ही सदन में पहुंच पाई थीं। 1957 में यह संख्या बढ़कर 30 हो गई थी। जो महिलाएं राजनीति में थीं, वे अक्सर मजबूत राजनीतिक परिवारों या बाहुबली नेताओं की पत्नी/बहन थीं।
- साल 2006 के बाद राज्य में उनकी स्थिति के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, जब सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं के लिए कई बड़े नीतिगत फैसले लिए।
- मतदान में ऊंची भागीदारी के बावजूद राज्य विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है। 2020 चुनाव में कुल 26 महिला विधायक चुनी गईं जो कुल सीटों का लगभग 10.7% था। 2015 के चुनाव में 28 महिला विधायक थीं और 2010 के चुनाव में यह 34 रहा। राजनीतिक दल महिलाओं को अभी भी टिकट देने में संकोच करते हैं।
- 2010 से ही बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं वोटिंग परसेंट पुरुषों की तुलना में लगातार अधिक रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 243 में 167 से अधिक सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले थे। यह ट्रेंड दिखाता है कि महिलाएं साइलेंट लेकिन निर्णायक वोट बैंक बन गई हैं।
- नीतीश कुमार ने शुरू में महिलाओं को पंचायतों में 50% आरक्षण, बच्चियों को साइकिल, जीविका जैसी योजनाओं से उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया था। पंचायतों और स्थानीय निकायों में लाखों महिलाएं चुनकर आईं। वे मुखिया, सरपंच और प्रमुख बनकर सीधे शासन-प्रशासन में भाग लेने लगीं।
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बिहार में अब तक जितनी भी बड़ी नेता हुई हैं उसमें खासकर ज्यादातर महिलाएं किसी न किसी बड़े परिवार से ताल्लुक रखती है। आइए एक बार नजर डालते हैं इस लिस्ट पर-
1. राबड़ी देवी - बिहार की पहली महिला सीएम। तीन बार मुख्यमंत्री रहीं। इन्होंने लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद अचानक राजनीति में आने का फैसला लिया।
2. मीरा कुमार- भारत की पहली महिला लोकसभा स्पीकर। वह पूर्व डिप्टी पीएम बाबू जगजीवन राम की बेटी हैं। वह बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं।
3. रेनू देवी - बिहार की पहली महिला डिप्टी सीएम। वह बेतिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। बिहार की राजनीति में BJP की तरफ से वह एक बड़ा महिला चेहरा हैं।
4. मीसा भारती - लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की बेटी। वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं।
5. श्रेयशी सिंह - फेमस शूटर और युवा विधायक। वह बड़े नेता दिग्विजय सिंह की बेटी हैं और जमुई से विधायक हैं।
6. लेशी सिंह - बिहार सरकार में मंत्री। वह लंबे समय से नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल रही हैं।
7. शांभवी चौधरी- 2024 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली युवा नेता। वह बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं।
बिहार की राजनीति में महिलाएं अब मतदाता के रूप में पूरी तरह से सशक्त हैं और चुनाव परिणामों को बदलने की क्षमता रखती हैं। हालांकि, उनकी यह स्थिति राजनीति में सीधे तौर पर शामिल होने में नहीं बदल पाई।