पालीगंज विधानसभा बिहार की राजधानी पटना में आती है। यह पटना जिले का एक अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो बिहार की राजनीति में एक खास स्थान रखता है। पालीगंज कांग्रेस के दिग्गज नेता शेर-ए-बिहार के नाम से मशहूर रामलखन सिंह यादव (रामलखन बाबू) की सीट रही है। रामलखन यादव यहां से पांच बार विधायक रहे। वह स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ थे। पालीगंज समाजवादी नेता चंद्रदेव प्रसाद वर्मा की भी सीट रही है, जो यहां से पांच बार विधायक रहे।
पालीगंज सोन नदी के किनारे बसा है। यहां से पटना की दूरी 51 किलोमीटर है, जबकि जहानाबाद जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है। पालीगंज में 1995 के बाद से बीजेपी आरजेडी और सीपीआई के उम्मीदवारों ने चुनाव जीते हैं। वर्तमान में यह सीट सीपीआई (ML) लिबरेशन के कब्जे में है।
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सामाजिक समीकरण
पालीगंज विधानसभा पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का हिस्सा है। पालीगंज के मतदाताओं का मिजाज ऐसा है कि वह किसी एक पार्टी पर लगातार भरोसा नहीं करते बल्कि संतुष्ट नहीं होने पर अपना विधायक बदल देते हैं। यहां अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 18.76 फीसदी, राजपूत 16 फीसदी, यादव 14 फीसदी, ब्राह्मण 9 फीसदी और मुस्लिम मतदाता लगभग 9 फीसदी हैं। यह सीट ग्रामीण मतदाता बाहुल्य है।
2020 में क्या हुआ था?
पालीगंज विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में CPI (ML)L के संदीप सौरव ने जेडीयू के जयवर्धन यादव को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 30,915 वोटों का था। CPI (ML)L संदीप सौरव ने 43.73 फीसदी वोट पाते हुए 67,917 वोट हासिल किया था, जबकि जयवर्धन यादव को 37,002 वोट मिले थे। वहीं, इस सीट पर रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा की प्रत्याशी उषा विद्यार्थी को 16,102 वोट मिले थे। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP की प्रत्याशी मधु मंजरी 5,467 वोट मिले थे।
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विधायक का परिचय
पालीगंज के वर्तमान विधायक डॉक्टर संदीप सौरव हैं। वह युवा नेता हैं, जिनकी उम्र 37 साल है। संदीप मनेर के रहने वाले हैं। संदीप ने विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए अपनी असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी थी। वह पालीगंज से पहली बार विधायक चुने गए हैं। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद वह आगे की उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय रुख किया। उन्होंने 2009 में JNU से एम.ए., एम.फिल. और 2014 में हिंदी में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की।
संदीप के 2020 के हलफनामे पर गौर करें तो उनके पास मात्र 3.5 लाख रुपये की संपत्ती थी। उनकी कमाई का मुख्य स्रोत विधायकी के रूप में मिलने वाला वेतन है।
विधानसभा सीट का इतिहास
पालीगंज विधानसभा बिहार की ऐतिहासिक सीटों में से एक है। इस सीट पर अभी तक कुल 19 चुनाव हो चुके हैं। यह रामलखन सिंह यादव और चंद्रदेव प्रसाद वर्मा की सीट रही है। शुरुआती चुनावों में यह सीट कांग्रेस के अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के पास रही। निर्दलीय प्रत्याशी भी पालीगंज से विधायक चुने गए। इस बार भी पालीगंज में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में पालीगंज और दुल्हिनबाजार दो प्रखंड आते हैं।
1952- राम लखन सिंह यादव
1957- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा
1962- राम लखन सिंह यादव
1967- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा
1969- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा
1972- कन्हाई सिंह
1977- कन्हाई सिंह
1980- राम लखन सिंह यादव
1985- राम लखन सिंह यादव
1990- राम लखन सिंह यादव
1991- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा
1995- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा
1996- जनार्धन शर्मा
2000- दिनानाथ सिंह यादव
2005- नंद कुमार नंदा
2005- नंद कुमार नंदा
2010- उषा विद्यार्थी
2015- जयवर्धन यादव
2020- संदीप यादव