पातेपुर विधानसभा: हर बार बदलते हैं विधायक, इस बार क्या हैं समीकरण?
चुनाव
• VAISHALI 15 Sept 2025, (अपडेटेड 15 Sept 2025, 2:42 PM IST)
पातेपुर विधासभा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा है। वैशाली की इस विधानसभा सीट पर क्या सियासी समीकरण बन रहे हैं, किन पार्टियों का यहां वर्चस्व रहा है, पढ़ें अपने हर सवाल का जवाब।

पातेपुर विधानसभा सीट। (Photo Credit: Khabargaon)
बिहार की पातेपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के लखेंद्र कुमार रोशन विधायक हैं। यह विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। विधानसभा की सीट संख्या 130 है। इस विधानसभा में पातेपुर ब्लॉक और जंडहा ब्लॉक की ग्रामसभाएं आती हैं। मानसिंहपुर बिजरौली, कुमार बाजितपुर, राघोपुर नरसंडा, आदलपुर, नारी खुर्द और लक्ष्मीपुर बरबट्टा ग्राम पंचायतों से मिलकर बनी यह विधानसभा, बिहार की पिछड़ी विधानसभाओं में शुमार है। यहां की ज्यादातर आबादी किसान है।
पातेपुर से राजधानी पटना की दूरी करीब 44 किलोमीटर है। वैशाली जिला यहां से 29 किलोमीटर दूर है। हाजीपुर यहां से 14 किलोमीटर दूर है। यहां से मुजफ्फरपुर जिले की दूरी 51 किलोमीटर है। इस विधानसभा सीट से कभी राष्ट्रीय जनता दल जीतती है, कभी भारतीय जनता पार्टी। ज्यादातर चुनावों में हर साल, यहां अलग-अलग पार्टी को जीत मिली है।
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विधानसभा का परिचय
पातेपुर विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। यहां की सीट संख्या 130 है। पातेपुर में कुल वोटरों की संख्या 305375 है। पुरुष मतदाताओं की संख्या 159510 है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 145856 है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 9 है। विधानसभा के ज्यादतर हिस्से ग्रामीण है। पातेपुर बूढ़ी गंडक और बाया नदी के किनारे बसा है। यह मैदानी इलाका है, यहां अच्छी खेती होती है। लोग किसान हैं, रोजगार का साधन भी कृषि ही है। यहां धान, गेंहू और मक्के की खेती होती है। कुछ जगहों पर गन्ने की भी खेती होती है। पटना से लेकर वैशाली तक की दूरी यहां से 50 किलोमीटर से कम है इसलिए किसानों की पहुंच बाजार तक है।
सामाजिक ताना बाना
पटेपुर विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा है। यहां अनुसूचित जाति के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। करीब 23 फीसदी वोटर अनुसूचित जाति हैं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 15 फीसदी है। यह ग्रामीण इलाका है। ठाकुर और यादव मतदाता भी निर्णायक भूमका निभाते हैं।
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मुद्दे क्या हैं?
रोजगार के लिए यहां की बड़ी आबादी आसपास के शहरों में जाती है। यहां कोई बड़े उद्योग-धंधे नहीं हैं। हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और पटना यहां के नजदीकी शहर हैं। पलायन यहां बड़ा सियासी मुद्दा है। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति भी यहां ठीक नहीं है। कुछ इलाके बाढ़ प्रभावित हैं, मॉनसून के दिनों में यहां मुश्किलें बढ़ जाती हैं। यहां पलयान की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 60 फीसदी से कम वोटिंग हुई है।
2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
हाल के कुछ चुनावों में यह विधानसभा, हर बार विधायक बदलती रही है। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से अशोक कुमार रजक इस इलाके में सक्रिय नजर आ रहे हैं। वह दमखम से चुनाव प्रचार में उतरे रहे हैं। अगर यह सीट एनडीए के खेमे में आती है तो यहां से एक बार फिर बीजेपी लखेंद्र कुमार रोशन को उतार सकती है।
2020 का चुनाव कैसा रहा?
साल 2020 में इस विधानसभा सीट से लखेंद्र कुमार रौशन ने जीत दर्ज की। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार शिव चरण राम को करीब 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। लखेंद्र कुमार को 86509 वोट पड़े, वहीं आरजेडी के शिव चरण राम को 60670 वोट पड़े। निर्दलीय उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार पासवान तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 3237 वोट पड़े।
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विधायक का परिचय
लखेंद्र कुमार रोशन वैशाली जिले के लोमा गांव के रहने वाले हैं। वह दुसाध समुदाय से आते हैं। राजनीति में आने से पहले वह व्यवसायी थे। उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1 करोड़ रुपये से ज्यादा घोषित की है। उन पर 5 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज है। वह स्नातक हैं, उन्होंने बीआरए, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से पढ़ाई की है। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज है।
सीट का इतिहास
यह विधानसभा साल 1951 में अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर अब तक यहां कुल 19 चुनाव हुए हैं, जिनमें उपचुनाव भी शामिल हैं। यह विधानसभा साल 1952 से 1977 तक यह मुजफ्फरपुर दक्षिण लोकसभा सीट का हिस्सा रही, फिर 1977 से 2009 तक हाजीपुर लोकसभा सीट के साथ जोड़ी गई। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद से यह समस्तीपुर जिले की उजियारपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस विधानसभा से कांग्रेस, आरजेडी और जनता दल ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है। जनता पार्टी, बीजेपी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दो-दो बार, जबकि सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, सीपीआई और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की।
- विधानसभा चुनाव 1952: नथुनी लाल महतो, सोशलिस्ट पार्टी
- विधानसभा उपचुनाव चुनाव 1952: बी. दुबे, कांग्रेस
- विधानसभा चुनाव 1957: मंजूर अहसन, कांग्रेस
- विधानसभा चुनाव 1962: कमलेश राय, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
- विधानसभा चुनाव 1967: पलटन राम, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- विधानसभा चुनाव 1969: पलटन राम, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- विधानसभा चुनाव 1972: रीघन राम, CPI
- विधानसभा चुनाव 1977: पलटन राम, जनता पार्टी
- विधानसभा चुनाव 1980: शिव नंदन पवन, जनता पार्टीॉ
- विधानसभा चुनाव 1985: बलेश्वर पासवान, कांग्रेस
- विधानसभा चुनाव 1990: रामसुंदर दास, जनता दल
- विधानसभा चुनाव उपचुनाव 1991: एल महतो, जनता दल
- विधानसभा चुनाव 1995: महेंद्र बैथा, जनता दल
- विधानसभा चुनाव 2000: प्रेमा चौधरी, RJD
- विधानसभा चुनाव 2005 (फरवरी): महेंद्र बैथा, LJP
- विधानसभा चुनाव 2005 (अक्टूबर): प्रेमा चौधरी,RJD
- विधानसभा चुनाव 2010: महेंद्र बैथा, BJP
- विधानसभा चुनाव 2015: प्रेमा चौधरी, RJD
- विधानसभा चुनाव 2020: लखेंद्र रौशन, BJP
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