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फुलपरास सीट: क्या JDU लगा पाएगी जीत का चौका या RJD दर्ज करेगी जीत

फुलपरास सीट पर पिछले तीन बार से जेडीयू लगातार जीत दर्ज कर रही है। अब इस बार देखना है कि क्या फिर से जेडीयू जीत दर्ज कर पाती है या कि आरेजेडी दांव मारेगी।

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फुलपरास विधानसभा सीट बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित मधुबनी जिले की एक अहम ग्रामीण सीट है, जो झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यह इलाका सीमांचल क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है, जो सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद विविध और जटिल माना जाता है। फुलपरास एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय क्षेत्र रहा है, जहां समाजवादी आंदोलनों, कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा और सामाजिक न्याय की राजनीति का गहरा असर रहा है। यहां के सामाजिक ढांचे में पिछड़ा वर्ग, दलित, मुस्लिम और सवर्ण सभी की निर्णायक भूमिका होती है, जो चुनावी समीकरणों को पेचीदा बनाते हैं।

 

भूगोल की दृष्टि से यह क्षेत्र हर साल बाढ़ की चपेट में आता है। खासकर भुतही बलान नदी का उफान यहां की ज़िंदगी और चुनावी मुद्दों दोनों को प्रभावित करता है। बाढ़, सड़क और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण विकास का सवाल हर चुनाव में छाया रहता है। कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था, सीमित शहरीकरण और पलायन जैसे मुद्दे यहां के जनजीवन की सच्चाई हैं।

 

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राजनीतिक रूप से देखा जाए तो यह सीट कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती थी, लेकिन 1990 के दशक के बाद समाजवादी और फिर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां अपना प्रभाव मजबूत किया। वर्तमान में यह सीट जेडीयू विधायक शीला कुमारी के पास है और पार्टी का जनाधार मजबूत है।

मौजूदा समीकरण

फुलपरास सीट पर जेडीयू का दबदबा बना हुआ है। पिछले दो विधानसभा चुनावों (2015 और 2020) में इस सीट पर इसी की जीत हुई है। बाढ़ नियंत्रण, सड़क, ग्रामीण विकास, प्रदेश की अन्य सीमांचल सीटों की तरह यहां भी ये प्रमुख मुद्दे हैं। जातिगत समीकरण में पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2020 का चुनाव परिणाम

 

शीला कुमारी- जेडीयू-  75,116 वोट 


कृपानाथ पाठक - कांग्रेस -64,150 वोट

 

 बिनोद कुमार सिंह - एलजेपी - 10,088

विधायक का परिचय

शीला कुमारी वर्तमान में नीतीश कुमार सरकार में परिवहन मंत्री हैं। 15 दिसंबर 1970 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं शीला कुमारी ने गृह विज्ञान में एमए की डिग्री प्राप्त की है। 1991 में उनकी शादी इंजीनियर शैलेंद्र मंडल से हुई, और उनका एक बेटा और बेटी हैं।

 

2020 के विधानसभा चुनाव में शीला कुमारी ने पहली बार जेडीयू के टिकट पर फुलपरास से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को 10,966 मतों से हराकर जीत हासिल की। यह जीत काफी महत्त्वपूर्ण  थी, क्योंकि उन्होंने 1952 से अब तक सबसे अधिक मतों का रिकॉर्ड बनाया। पहली बार विधायक बनते ही उन्हें नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री बनाया गया, जो 42 वर्षों में फुलपरास के किसी विधायक को मिला पहला मंत्रिपद था। 2022 में सत्ता परिवर्तन के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली।

 

शीला कुमारी अतिपिछड़ी धानुक जाति से हैं, और उनके परिवार का राजनीति से पुराना नाता है। उनके चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल फुलपरास से विधायक, बिहार विधानसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के राज्यपाल रह चुके हैं। उनके पति के बड़े भाई भारत भूषण मंडल लौकहा से आरजेडी विधायक हैं। शीला को 2017 में सावित्री बाई फूले राष्ट्रीय पुरस्कार और 2018 में सशक्त नारी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

विधानसभा सीट का इतिहास

फुलपरास विधानसभा सीट की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी। शुरुआत में यहां से काशीनाथ मिश्रा कांग्रेस के टिकट पर पहले विधायक चुने गए थे। इसके बाद कई दशकों तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ बनी रही और वर्ष 1967 से लेकर 1980 तक संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। वर्ष 1990 में पहली बार जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद 1985 में कांग्रेस को जीत मिली और फिर 1990 में पहली बात जनता दल ने इस सीट से दर्ज की।

 

साल 2005 में हुए दो चुनावों में फरवरी में समाजवादी पार्टी के देवनाथ यादव ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2010 से लगातार यहां पर जेडीयू के विधायक हैं। वर्ष 2010 और 2015 के चुनावों में जेडीयू की उम्मीदवार गुलजार देवी ने लगातार दो बार जीत हासिल की और पार्टी की पकड़ को मजबूत किया। इसके बाद 2020 के चुनाव में जेडीयू की ही शीला कुमारी ने इस सीट पर विजय प्राप्त की और पार्टी का वर्चस्व कायम रखा।

 

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कब कौन जीता

2020- शीला कुमारी- जेडीयू

2015- गुलजार देवी - जेडीयू

2010- गुलजार देवी- जेडीयू

2005- देवनाथ यादव - समाजवादी पार्टी

2000- रामकुमार यादव- जनता दल

1995- देवनाथ यादव- कांग्रेस

1990- राम कुमार यादव - जनता दल

1985- हेमलता यादव - कांग्रेस

1980 - सुरेंद्र यादव- जनता पार्टी

1977- कर्परी ठाकुर/देवेंद्र प्रसाद यादव- जनता पार्टी

1972- उत्तम लाल यादव- संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी

1969- धनिक लाल मंडल- संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी

1967- धनिक लाल मंडल- संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी

1962- रशिक लाल यादव- कांग्रेस

1957- रशिक लाल यादव- कांग्रेस

1952- काशी नाथ मिश्रा- कांग्रेस

 

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