जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर तीखा हमला बोला। प्रशांत किशोर ने कहा कि सम्राट चौधरी, हत्या के एक मामले में आरोपी थे, उन्हें इस केस से नाबालिग बनाकर बाहर लाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि सम्राट चौधरी, 10वीं की परीक्षा नहीं पास कर सके थे, उनके पास डी-लिट की डिग्री कहां से आ गई।
प्रशांत किशोर ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शनिवार को यह दावा किया। उन्होंने कि सम्राट चौधरी नाम बदलने में माहिर हैं, कक्षा नौवीं से लेकर अब तक, कई बार उनके नाम बदले गए हैं। प्रशांत किशोर के इस दावे पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
प्रशांत किशोर ने जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य मंत्री अशोक चौधरी पर भी गंभीर आरोप लगाए। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि अशोक चौधरी ने पिछले तीन वर्षों में 'संदिग्ध और अवैध' तरीकों से 200 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि जनता ऐसे नेताओं को बेनकाब करेगी।
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सम्राट चौधरी पर क्या आरोप लगा रहे प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर, संस्थापक, जन सुराज:-
सम्राट चौधरी, बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। भाई साहब नाम बदलने के विशेषज्ञ हैं। इनका नाम राकेश कुमार। बाद में हुआ राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी। इनका असली नाम सम्राट कुमार मौर्य। यह उनका पहला नाम है। 1998 में इन पर एक हत्या का आरोप लगा। सदानंद सिंह, कांग्रेस के बड़े नेता थे, इनके परिवार के राजनीतिक विरोधी थे, उनको बम से मारकर उनकी हत्या कर दी गई। लोग बताते हैं कि इस हत्याकांड में 6 लोगों की मौत हुई। उस केस में आज के सम्राट चौधरी और तब के सम्राट कुमार मौर्य, आरोपी थे। बकायदा जेल गए। 6 महीने के बाद जेल से निकले। नाबालिग होने के नाम पर इन्हें जेल से निकाला गया।
प्रशांत किशोर ने कहा, 'पहले तो सम्राट चौधरी, उनके समर्थक, चाल चरित्र चेहरा की बात करने वाले भाजपाई, उनसे भी बढ़कर बिहार में बीजेपी-एनडीए को वोट देने वाले लोग, जान जाइए, आपका उपमुख्यमंत्री हत्या का आरोपी है, जेल में रहा है, जेल से इसलिए छूटा क्योंकि हम नाबालिग हैं, सदानंद सिंह, जिनकी हत्या हुई, जिसमें ये जेल गए, उसमें ये नामजद अभियुक्त हैं।'
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'सम्राट चौधरी नाम बदलने के एक्सपर्ट', प्रशांत किशोर का दावा
प्रशांत किशोर ने कहा, 'जब ये बिना विधायक, विधानसभा परिषद के मंत्री बने तो कम उम्र होने की वजह से इन पर एक केस हुआ। बाद में इन्हें बर्खास्त किया गया। यह बात हर कोई जानता है। सम्राट चौधरी भी कहते हैं कि मामला पुराना है, सब सेटल हो गया है। अब क्या सेटल नहीं हुआ है, वह हम से सुनिए।'
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प्रशांत किशोर:-
उस केस की याचिका में सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दिया गया है, इन्होंने जब मैट्रिक की परीक्षा दी सम्राट कुमार मौर्य के नाम से, सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में यह लिखा गया, सम्राट कुमार मौर्य उस समय के, उन्होंने अपना नाम, रोल नंबर, सब लिखा, जो सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज में है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से इनकी उम्र और सर्टिफिकेट के बारे में पूछा गया तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने कहा कि इन्हें कुल 234 नंबर आया था, यह मैट्रिक परीक्षा फेल हो गए थे। यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में है। 1998 में जो सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया गया है, उस केस के निर्धारण में जिसकी भूमिका है, सम्राट कुमार मौर्य, मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं कर पाए, उन्हें फेल कर दिया गया। 2010 में सम्राट चौधरी ने जो अपना हलफनामा दिया, उसमें लिखा कि मैं सातवीं पास हूं।'