संजय सिंह, पटना: प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज महागठबंधन की तुलना में एनडीए पर कुछ ज्यादा ही हमलावर है। हाल ही में प्रशांत ने बीजेपी और जेडीयू के आधे दर्जन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उनके लगाए गए आरोपों के कारण बीजेपी और जेडीयू के नेताओं की छवि पर भी असर पड़ा है।
लगातार सियासी हमलों की वजह से मतदाता भी पक्ष और विपक्ष पर अपनी राय रख रहे हैं। प्रदेश के वोटरों को जन सुराज ने तीसरा विकल्प दे दिया है। इन विकल्प के तहत वोटरों का रुख बदलता है तो एनडीए के सामने एक बड़ी बाधा खड़ी हो सकती है। अब एनडीए भी प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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सम्राट पर ज्यादा हमलावर हैं पीके
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी प्रशांत किशोर के हिट लिस्ट में हैं। सम्राट को एक पुराने हत्या कांड में घेरा जा रहा है। वे बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। कुशवाहा वोट बैंक के अलावा उनकी पकड़ पिछड़ी और अतिपिछड़ी वोट बैंकों पर है। उनके समर्थक उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखते हैं। हालांकि सम्राट चौधरी ने पीके के सवालों का जोरदार जवाब भी दिया है। सम्राट चौधरी का कहना है कि पुराने मुद्दे को उठाकर उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले पर उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को कानूनी प्रक्रिया के तहत लाभ मिल चुका है। उनके फैन भी इस मामले में सक्रिय हो चुके हैं। उनका कहना है कि सम्राट चौधरी पिछड़ों के नेता हैं। उनकी छवि साफ सुथरी है। राजनीति में पिछड़ा आगे नहीं बढ़े इस कारण चौधरी को घेरने की कोशिश की जा रही है और यह राजनीतिक विवाद अगड़ा बनाम पिछड़ा का रूप धारण करते जा रहा है।
अशोक चौधरी पर भी सवाल उठा रहे प्रशांत किशोर
सूबे के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने भी प्रशांत किशोर के खिलाफ ताल ठोक दी है। उनका कहना है कि मेरे घोषित संपत्ति से एक धुर कोई ज्यादा जमीन बता दे तो मैं जीवनभर गुलामी करता रहूंगा। मैं दलित का बेटा हूं। सीने पर चढ़कर राजनीति करूंगा। बाबा भगवान सिंह ने बड़ा दिल दिया है। मुझ पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उसका कोई साक्ष्य तो दे।
अशोक चौधरी ने कहा, 'किसी के कागज दिखाने से वह मेरी संपत्ति कैसे हो जाएगी। मैंने अपनी संपत्ति घोषित कर रखी है। मैं अपने संघर्ष के दम पर यहां तक पहुंचा हूं। सार्वजनिक जीवन में आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन उसे प्रमाणित करना बहुत कठिन है।'
अशोक चौधरी के इस बयान के बाद प्रशांत किशोर का कोई नया बयान नहीं आया है। वह इतना जरूर कह रहे हैं कि जल्द ही अन्य साक्ष्यों को सामने लाकर उसे उजागर किया जाएगा। अशोक चौधरी के समर्थकों का भी यही आरोप है कि दलित होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। इस तरह का आरोप सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए लगाए जा रहे हैं। गलत आरोप लगाकर वोटरों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
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एनडीए नेताओं पर चुन-चुनकर हमले कर रहे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने सबसे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को घेरा था। उनपर अल्पसंख्यक कॉलेज को हथियाने का आरोप लगाया था, लेकिन इस आरोप को ज्यादा हवा नहीं मिली। बेतिया के सांसद संजय जायसवाल भी भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे थे। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अपने ऊपर लगे आरोप का मुंहतोड़ जवाब दिया था।
संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर ही गंभीर आरोप लगा दिए थे।
मंगल पांडेय पर भी फ्लैट खरीदने में गड़बड़ी का आरोप लगा था, लेकिन मंगल पर लगा आरोप भी ठंडा पड़ गया। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित पार्टी के चारों नेता बीजेपी के आधार स्तंभ हैं। इन चारों पर चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी भी है। टिकट बंटवारे में भी इनकी भूमिका अहम है। पीके को ऐसा लगता है कि बीजेपी और जेडीयू को घेरने से लाभ मिलेगा।
तीसरा फ्रंट बना रहे हैं पीके?
महागठबंधन और एनडीए से नाराज वोटरों के लिए जन सुराज तीसरा कोण बनकर उभर रहा है। आरजेडी का एमवाई समीकरण मजबूत है। पीके इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। उनका मानना है कि बीजेपी पर हमलावर हुए बिना मुस्लिम वोट उनके पाले में नहीं आ सकता है। भ्रष्टाचार का आरोप सबसे ज्यादा युवा वर्गों पर पड़ता है। ऐसे गंभीर आरोप लगाकर युवाओं को साधने की कोशिश भी की जा रही है। युवाओं पर जाति पाती का असर भी कम रहता है। पीके का यदि यह जादू चल गया तो एनडीए के लिए सत्ता में वापसी एक बड़ी चुनौती होगी।