logo

ट्रेंडिंग:

राजनगर विधानसभा: क्या बीजेपी तीसरी बार जीतेगी या RJD मारेगी बाजी?

इस सीट पर बीजेपी ने पिछले दो बार से अपना कब्जा जमा रखा है। अब देखना है कि क्या वह तीसरी बार भी जीत दर्ज कर पाएगी या कि नहीं।

news image

बिहार में मिथिलांचल के मधुबनी जिले की राजनगर विधानसभा सीट को हमेशा ही राजनीतिक दृष्टि से विशेष रूप से देखा जाता है। यह इलाका नेपाल सीमा के बेहद करीब बसा है और इसके कई गांव सीमावर्ती क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र को कमला नदी, सड़क व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और शैक्षणिक संसाधनों के अभाव जैसे पुराने समस्याओं से जूझते हुए देखा गया है।

 

राजनगर की भौगोलिक स्थिति इसे सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। यहां बाढ़ और नदी कटाव की समस्या ने खेती और जनजीवन को लंबे समय से प्रभावित किया है। साथ ही, यह विधानसभा क्षेत्र मिथिला संस्कृति और भाषा का प्रतिनिधित्व करता है। यहां की जनसंख्या मुख्यतः ग्रामीण है और शिक्षा, रोजगार तथा आधारभूत सुविधाओं की मांग चुनावी मुद्दों का चेहरा बनती रही है।

 

यह भी पढ़ें: कल्याणपुर विधानसभा: रजिया खातून या सचिंद्र सिंह, NDA का भरोसा किस पर?

राजनीतिक इतिहास

2008 के परिसीमन के बाद राजनगर विधानसभा सीट का स्वरूप बदला। इससे पहले यह क्षेत्र अंधराठाढ़ी और झंझारपुर विधानसभा के हिस्सों में बंटा हुआ था। परिसीमन के बाद इसे एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली। इस सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है, जिससे यहां जातीय समीकरण का असर चुनाव परिणामों पर सीधे तौर पर पड़ता है।

 

यहां के प्रमुख सामाजिक वर्गों में दलित, यादव, मुसलमान और ब्राह्मण शामिल हैं। अनुसूचित जाति की आबादी यहां निर्णायक भूमिका निभाती है। इसके साथ-साथ, कुछ खास पंचायतों में मुस्लिम और ओबीसी मतदाताओं का भी असर दिखाई देता है। लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों— बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस— की यहां पकड़ रही है।

2020 विधानसभा चुनाव

साल 2020 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राम प्रीत पासवान को जीत मिली। उन्होंने आरजेडी के राम अवतार पासवान को हराकर अपने खाते में यह सीट की थी। राम प्रीत को कुल 89,459 वोट मिले थे जबकि राम अवतार को 70,338 वोट मिले थे। इस सीट पर 1977 से लेकर अभी तक जेडीयू तीन बार और बीजेपी दो बार जीत चुकी है।

विधायक का परिचय

रामप्रीत पासवान ने 2015 और 2020 में दो बार यहां से जीत हासिल की, एवं वर्तमान में बिहार विधानसभा में अपने दूसरे लगातार कार्यकाल में हैं। उन्होंने बिहार सरकार में सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियोजन विभाग (Public Health Engineering Department) में साल 2020 से 2022 तक मंत्री के रूप में काम किया। शैक्षणिक स्तर पर, पासवान ने एलएनएम यूनिवर्सिटी, दरभंगा से पोस्ट‑ग्रेजुएट (1987), एलएलबी (1993) और फिर Ph.D. (2019) किया।

 

राम प्रीत पासवान पेशे से किसान हैं और पेंशन पर निर्भर हैं। उनकी पत्नी सरकारी कर्मचारी हैं। 2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में संपत्ति लगभग ₹1.05 करोड़ बताई गई, जिसमें बैंक बैलेंस, LIC, वाहन, सोना-चांदी शामिल हैं। उनके नाम क़रीब ₹10 लाख की देनदारी भी दर्ज है।

क्या हैं मुद्दे?

राजनगर में आज भी सड़क, सिंचाई, स्कूल-कॉलेज, और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग सबसे अहम मुद्दों में बनी हुई है। सीमावर्ती इलाका होने के बावजूद सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से विशेष योजनाओं का अभाव इस क्षेत्र के विकास में बाधा बनता है। कई गांवों में आज भी बिजली और पेयजल आपूर्ति नियमित नहीं है।

 

कमला नदी की बाढ़ और तटबंधों की जर्जर स्थिति हर साल मानसून में खतरा पैदा करती है। बेरोजगारी और उच्च शिक्षा के संसाधनों की कमी भी युवाओं को अन्य राज्यों में पलायन के लिए मजबूर करती है।

 

यह भी पढ़ें: नरपतगंज विधानसभा: बीजेपी-RJD के बीच दिलचस्प मुकाबला, कौन मारेगा बाजी?

कब कौन जीता?

1977- कृष्ण देव नारायण- जेएनपी

1980- रामदेव सिंह- कांग्रेस

1985- प्रभुनाथ सिंह- आईएनडी

1990- प्रभुनाथ सिंह- जेडीयू

1995-अशोक सिंह- जेडीयू

2000- तारकेश्वर सिंह- आरजेडी

2005- केदारनाथ सिंह- जेडीयू

2010- रामलखन सिंह- आरजेडी

2015- राम प्रीत पासवान- बीजेपी

2020- राम प्रीत पासवान- बीजेपी

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap