रामगढ़ विधानसभा: RJD की होगी वापसी या BJP के हाथ ही रहेगी कमान?
रामगढ़ विधानसभा सीट पर लंबे समय से आरजेडी का दबदबा रहा है। पिछले उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई, लेकिन यहां बीएसपी भी बड़ी भूमिका निभाती है।

बिहार के कैमूर जिले में स्थित रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण इलाका है। यह क्षेत्र मोहनिया अनुमंडल के अंतर्गत आता है और इसका मुख्य नगर रामगढ़, जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर तथा मोहनिया से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दो राष्ट्रीय राजमार्ग इसे बक्सर, आरा और पटना जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं, जबकि ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड इसे कोलकाता, वाराणसी, आगरा, कानपुर और दिल्ली तक जोड़ती है।
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र केवल रामगढ़ प्रखंड तक सीमित नहीं है; इसमें नुआंव और दुर्गावती जैसे सामुदायिक विकास प्रखंड भी शामिल हैं। सामाजिक संरचना के लिहाज से देखा जाए तो अनुसूचित जातियों की मतदाता हिस्सेदारी 23.23 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 8.5 प्रतिशत है, जबकि शहरी मतदाता केवल 2.31 प्रतिशत हैं। बातचीत की प्रमुख भाषा भोजपुरी है, हालांकि हिंदी और उर्दू का प्रयोग भी व्यापक रूप से होता है।
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भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र कैमूर पठार का हिस्सा है। कर्मनाशा नदी इस क्षेत्र के पास से बहती है, जो इसकी कृषि और प्राकृतिक सुंदरता दोनों में अहम भूमिका निभाती है। हालांकि गंगा नदी सीधे इस क्षेत्र से नहीं गुजरती, फिर भी उसकी निकटता यहां की भौगोलिक और जलवायु संरचना को प्रभावित करती है।
मौजूदा राजनीति
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो रामगढ़ कभी रेड कॉरिडोर का हिस्सा रहा है — यानी वह इलाका जहां नक्सल-माओवादी उग्रवाद का प्रभाव लंबे समय तक बना रहा। हालांकि अब सुरक्षा उपायों और सरकारी पहलों के चलते कैमूर में नक्सल प्रभाव लगभग समाप्ति की ओर है।
1951 में स्थापित रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अब तक 19 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें दो उपचुनाव (2009 और 2024) भी शामिल हैं। पिछले सात दशकों में यहां की राजनीति का रुझान लगातार समाजवादी विचारधारा की ओर झुका रहा है—आरेजेडी ने छह, कांग्रेस ने चार, जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने तीन बार जीत दर्ज की है। जनता दल और बीजेपी ने दो-दो बार, तथा जनता पार्टी और लोक दल ने एक-एक बार सफलता पाई है। यह परंपरा दर्शाती है कि रामगढ़ का राजनीतिक चरित्र जातिगत और वर्गीय असमानताओं के इर्द-गिर्द विकसित हुआ है, जहां समाजवादी विचारधारा को लंबे समय तक जनसमर्थन मिला।
लगातार मजबूत हो रहे बसपा के जनाधार ने यह संकेत दिया है कि 2025 के विधानसभा चुनावों में यह दल ‘डार्क हॉर्स’ की भूमिका निभा सकता है, जिससे रामगढ़ की राजनीति और भी त्रिकोणीय व प्रतिस्पर्धी बन सकती है।
2020 की स्थिति
2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आरजेडी सुधाकर सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 58,083 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 32.4 प्रतिशत था। दूसरे स्थान पर बीएसपी के अंबिका सिंह रहे थे जिन्हें 57,894 वोट मिले थे। यानी कि वोटों का अंतर मात्र 189 था।
वहीं बीजेपी कैंडीडेट तीसरे स्थान पर चले गए और उन्हें 56,084 वोट मिले। हालांकि, 2024 में सुधाकर सिंह बक्सर लोकसभा सीट से सांसद चुन लिए गए तो यह सीट खाली हो गई, जिसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने बीएसपी के सतीश कुमार सिंह को 1362 मतों से हराकर जीत हासिल की।
विधायक का परिचय
अशोक कुमार सिंह इसके पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में भी रामगढ़ से जीत हासिल की थी। उन्होंने आरजेडी के अंबिका सिंह को चुनाव हराया था। हालांकि, 2020 के चुनाव में वे हार गए थे और बीएसपी कैंडीडेट अंबिका सिंह के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।
उन्होंने 1990 में एमजीआर विद्यापीठ वाराणसी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की है। कुल संपत्ति की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने अपनी कुल संपत्ति लगभग 1,15,49,057 (लगभग 1.15 करोड़ रुपये) दर्शाई थी। उसी तरह 2015 के चुनाव में उनकी कुल संपत्ति लगभग 94,99,930 रुपये थी। आपराधिक रिकॉर्ड की बात करें तो उनके खिलाफ कुछ खास आपराधिक मामले नहीं हैं।
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विधानसभा का इतिहास
1952- दुलार चंद राम- कांग्रेस
1957- दशरथ तिवारी - प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1962- विश्वनाथ राय- कांग्रेस
1967- सच्चिदानंद सिंह- संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1969- विश्वनाथ राय- कांग्रेस
1972- सच्चिदानंद सिंह - संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1977- सच्चिदानंद सिंह- जनता पार्टी
1980- प्रभावती सिंह- कांग्रेस
1985- जगदानंद सिंह - लोकदल
1990- जगदानंद सिंह - लोकदल
1995- जगदानंद सिंह - लोकदल
2000- जगदानंद सिंह - राष्ट्रीय जनता दल
2005- जगदानंद सिंह - राष्ट्रीय जनता दल
2005- जगदानंद सिंह - राष्ट्रीय जनता दल
2009- अंबिका यादव - राष्ट्रीय जनता दल
2010- अंबिका यादव - राष्ट्रीय जनता दल
2015- अशोक कुमार सिंह- बीजेपी
2020- सुधाकर सिंह- आरजेडी
2024- अशोक कुमार सिंह- बीजेपी
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