बिहार की तरैया विधानसभा सीट सारण जिले के अंतर्गत आती है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जहां दर्शन करने हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं। यह मंदिर, बिहार के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद तरैया में पानापुर और इशुआपुर सामुदायिक विकास खंड को शामिल किया गया। इस विधानसभा में डुमरी, चंचलिया, मधोपुर और चैनपुर पंचायतों को शामिल किया गया है।
तरैया कस्बाई इलाका है। विधानसभा के दूसरे हिस्से ग्रामीण हैं। यह विधानसभा महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। तरैया कस्बे का हाल ही जरा सी बारिश में बेहाल हो जाता है। यहां चौड़ी सड़क है लेकिन जलभराव आम है। कस्बाई असर होते हुए भी ज्यादा इलाके पिछड़े हैं। सड़क, शिक्षा और रोजगार का मुद्दा आए दिन उठता है।
तरैया से छपरा की दूरी 38 किलोमीर है। मरहौरा 12 किलोमीटर, मशरख 15 किलोमीटर की दूरी पर है। सीवान से यहां की दूरी 42 किलोमीटर है। राजधानी पटना की दूरी 95 किलोमीटर है।
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विधानसभा पर एक नजर
तरैया विधानसभा, गंगा के मैदानी हिस्से में बसा है। यहां अच्छी खेती होती है। गंडक नहर और मौसमी नदियों की वजह से पानी की किल्लत नहीं होती है। खेती यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। धान, गेहूं, मक्का और दालें प्रमुख फसलें हैं। यहां गन्ना और सब्जियों की भी खेती होती है। यहां भोजपुरी भाषा का प्रभाव है।
मुद्दे क्या हैं?
यहां बड़े उद्योग नहीं हैं लेकिन छोटे चावल मिल, ईंट भट्ठे और कृषि व्यापार हैं, जो बिहार की दूसरी विधानसभाओं की तुलना में ज्यादा बेहतर हैं। पलयान के लिए एक बड़ी आबादी बाहर रहती है लेकिन स्थानीय स्तर पर भी लोग बाजारों में काम करते हैं। पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा अब भी बड़ा मुद्दा है। हाल ही में यहां एक सरकारी अस्पताल बना है।
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सामाजिक ताना-बाना
तरैया में कुल वोटरों की संख्या 530947 है। पुरुष मतदाताओं की संख्या 275125 और महिला मतदाताओं की संख्या 255822 है। यहां क्षत्रिय वर्ग के वोटर मजबूत स्थिति में हैं। उनकी आबादी 19 प्रतिशत से ज्यादा है। यादव और मुस्लिम मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं।
विधायक का परिचय
तरैया के विधायक जनक सिंह डोइला गांव के रहने वाला हैं। वह बिहार बीजेपी के उप मुख्य सचिव रह चुके हैं। वह अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। राजनीति में आने से पहले वह सामाजिक कार्यों से जुड़े थे। कृषि और डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं। उनके खिलाफ 2020 में कुल 6 आपराधिक मामले लंबित थे। उनकी कुल संपत्ति 6 करोड़ से ज्यादा है, उन पर 36 लाख रुपये का कर्ज भी है। वह बिहार के छपरा जिले के जगदम कॉलेज से ग्रेजुएट हैं। यह विद्यालय,बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
2020 का चुनाव कैसा था?
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जनक सिंह ने यहां से जीत हासिल की। उन्हें 53430 वोट हासिल हुए वहीं आरजेडी के सिपाही लाल महतो को 42123 वोट पड़े। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार सुधीर कुमार सिंह रहे। उन्हें 15442 वोट पड़े।
अब क्या समीकरण बन रहे हैं?
राष्ट्रीय जनता दल यहां से जीतती रही है। बीजेपी को 2020 में जीत मिली है। इंडिया गठबंधन की ओर से यह सीट एक बार फिर आरजेडी के खाते में जा सकती है। कांग्रेस भी दावेदारी पेश कर रही है। बीजेपी एक बार फिर जनक सिंह पर भरोसा जता सकती है।
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सीट का इतिहास
तरैया विधानसभा में पहली बार साल 1967 में चुनाव हुआ। अब तक इस सीट पर 13 चुनाव और एक उपचुनाव हो चुके हैं। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने यहां से एक बार चुनाव जीता है। जनता पार्टी को दो बार जीत मिली है। कांग्रेस ने भी दो बार जीत हासिल की है। बीजेपी ने दो बार जीत दर्ज की तो जनता दल को भी दो बार जीत मिली। आरेडी यहां से 2 बार और लोक जन शक्ति पार्टी एक बार चुनाव जीती है।
- 1967: धरम नाथ सिंह, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- 1969: प्रभु नारायण सिंह, जनता पार्टी
- 1972: प्रभुनाथ सिंह, कांग्रेस
- 1977: धरम नाथ सिंह, जनता पार्टी
- 1980: प्रभुनाथ सिंह, कांग्रेस
- 1985: राम दास राय, बीजेपी
- 1990: राजीव प्रताप रूडी, जनता दल
- 1995: राम दास राय, जनता दल
- 2000: राम दास राय, RJD
- 2005 (फरवरी): जनक सिंह, लोक जनशक्ति पार्टी
- 2005 (अक्टूबर): राम दास राय, राष्ट्रीय जनता दल
- 2010: जनक सिंह, बीजेपी
- 2015: मुद्रिका प्रसाद राय, आरजेडी
- 2020: जनक सिंह, भारतीय जनता पार्टी