बिहार की तारापुर विधानसभा सीट मुंगेर जिले का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव में जमुई में पड़ता है। 1951 से अब तक दो उपचुनाव को मिलाकर कुल 21 बार चुनाव हो चुके हैं। विधानसभा क्षेत्र में असरगंज, तेतिया बंबर, संग्रामपुर और खड़गपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायतें शामिल हैं। 1995 के चुनाव में तारापुर में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें कुल 9 लोगों की जान गई थी। शकुनी चौधरी समेत 33 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 41 किमी दूर तारापुर उप-मंडलस्तर का कस्बा है। लोगों की जीविका मुख्यत: कृषि पर आधारित है। उलई और गड़खे जैसी नदियों की कारण विधानसभा क्षेत्र की मिट्टी उपजाऊ है। तारापुर की कुल संख्या 4.56 लाख है। पहले तीन चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। 2000 में पहली बार आरजेडी ने सफलता हासिल की।
यह भी पढ़ें: कटोरिया: यहां RJD और BJP में कांटे की टक्कर, अबकी कौन मारेगा बाजी?
मौजूदा समीकरण
तारापुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.10 लाख मतदाता हैं। इस सीट पर कुशवाहा (कोइरी) समुदाय का दबदबा माना जाता है। यहां अनुसूचित जाति के 15.1 और 6.8 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। तारापुर में शकुनी चौधरी का सियासी दबदबा जगजाहिर है। वह यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं। उनकी पत्नी ने भी एक बार जीत हासिल की। 2015 के विधानसभा चुनाव में हार के ठीक चार साल बाद 2019 में शकुनी चौधरी ने सियासत से संन्यास ले लिया। उनके बेटे सम्राट चौधरी बिहार के डिप्टी सीएम और भाजपा के बड़े नेता हैं।
2020 चुनाव का परिणाम
पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 25 प्रत्याशी मैदान में थे। आरजेडी ने दिव्या प्रकाश को टिकट दिया था। जेडीयू ने मेवालाल चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया। मेवालाल को कुल 64,468 वोट मिले। वहीं दिव्या प्रकाश को 57,243 मत मिले। जेडीयू प्रत्याशी ने 7,225 मतों के अंतर से चुनाव जीता। एलजेपी प्रत्याशी मीना देवी को 11,264 वोट मिले थे। 2021 में विधायक मेवालाल का अचानक निधन हो गया। उपचुनाव में भी जेडीयू प्रत्याशी राजीव कुमार सिंह ने जीत दर्ज की।
मौजूदा विधायक का परिचय
तारापुर से मौजूदा विधायक राजीव कुमार सिंह ने उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार अरुण कुमार साह को हराया था। राजीव को कुल 79,090 मत मिले थे। अरुण साह के खाते में 75,238 वोट आए थे। साल 2000 में राजीव सिंह ने समता पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। पांच साल बाद जेडीयू ने साल 2005 में उन्हें दोबारा मौका दिया। मगर उन्हें शकुनी चौधरी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
चुनावी हलफनामे के मुताबिक राजीव कुमार सिंह के पास दो करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। छह लाख रुपये की देनदारी है। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है। 2021 के हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ तारापुर पुलिस थाने में तीन मामले दर्ज थे।
यह भी पढ़ें: बेलहर विधानसभा: क्या अबकी RJD तोड़ पाएगी JDU का दबदबा?
विधानसभा सीट का इतिहास
तारापुर सीट से कांग्रेस कुल पांच बार जीती है। आरजेडी को शकुनी चौधरी तीन बार जीता चुके हैं। समता पार्टी को मिलाकर जेडीयू ने सबसे अधिक छह बार जीत का परचम लहराया। सीपीआई, जनता पार्टी, शोषित पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत मिली। तारापुर विधानसभा सीट पर शकुनी चौधरी का दबदबा रहा है। वह यहां से छह बार विधायक बने। बासुकीनाथ राय और तारिणी प्रसाद सिंह ने दो-दो बार फतेह हासिल की। मेवालाल चौधरी दो बार और उनकी पत्नी नीता चौधरी एक बार विधायक बनीं।
1952 |
बासुकीनाथ राय |
कांग्रेस |
1957 |
बासुकीनाथ राय |
कांग्रेस |
1962 |
जय मंगल सिंह |
कांग्रेस |
1967 |
बीएन प्रशांत |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 |
तारिणी प्रसाद सिंह |
शोषित दल |
1972 |
तारिणी प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1977 |
कौशल्या देवी |
जनता पार्टी |
1980 |
नारायण यादव |
सीपीआई |
1985 |
शकुनी चौधरी |
निर्दलीय |
1990 |
शकुनी चौधरी |
कांग्रेस |
1995 |
शकुनी चौधरी |
समता पार्टी |
1998 |
पार्वती देवी (उपचुनाव) |
समता पार्टी |
2000 |
शकुनी चौधरी |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
शकुनी चौधरी |
आरजेडी |
2005 (नवंबर) |
शकुनी चौधरी |
आरजेडी |
2010 |
नीता चौधरी |
जेडीयू |
2015 |
मेवालाल चौधरी |
जेडीयू |
2020 |
मेवालाल चौधरी |
जेडीयू |
2021 |
राकेश कुमार सिंह (उपचुनाव) |
जेडीयू |