तेघरा विधानसभा सीट बिहार के बेगूसराय जिले में आती है। यह क्षेत्र गंगा नदी के किराने बसा हुआ है। तेघरा की भौगौलिक स्थिती ऐसी है कि यहां से बूढ़ी गंडक और सुनकोसी नदियां भी बहती हैं। तेतेघरा के लोगों की मुख्य आजीविका का स्रोत कृषि है। यहां से बरौनी औद्योगिक क्षेत्र पास में ही है, जिसकी दूरी मात्र 6 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा तेघरा से मोकामा की दूरी 11 किलोमीटर, बेगूसराय जिला मुख्यालय 22 किलोमीटर है। भगवती स्थान, काली स्थान मंदिर औ कोल्हवारा मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल हैं। हालांकि, तेघरा में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ में यहां उच्च शिक्षा के लिए ढांचे की मांग होती रही है।
तेघरा, बेगूसराय जिले का एक उपमंडल है, यह बिहार के उन क्षेत्रों में आता है जहां आज भी वामपंथी सियासत जिंदा है और यहां अपना प्रभाव भी रखती है। इस सीट पर एक लंबे अरसे तक चुनाव नहीं हुए लेकिन 2010 में तेघरा में एक बार फिर से मतदान करवाए गए।
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मौजूदा समीकरण?
तेघरा विधानसभा सीट पर 2010 में बीजेपी, 2015 में आरजेडी और 2020 में सीपीआई ने चुनाव जीता। इससे पहले हुए तीन चुनावों में दो बार कांग्रेस और एक बार सीपीआई ने जीत दर्ज की थी। यहां के सामाजिक समीकरण की बात करें तो तेघरा में 10.78 फीसदी अनुसूचित जाति, 13.3 फीसदी मुस्लिम, 14 फीसदी राजपूत मतदाता हैं। तेघरा में ग्रामीण और शहरी मतदाताओं दोनों की मौजूदगी है।
2020 में क्या हुआ था?
तेघरा विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में सीपीआई से राम रतन सिंह ने जेडीयू के बिरेंद्र कुमार को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 47,979 वोटों का था। सीपीआई के राम रतन सिंह ने 49.8 फीसदी वोट पाते हुए 85,229 वोट हासिल किया था, जबकि बिरेंद्र कुमार को 37,250 वोट मिले। वहीं, इस सीट पर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ने जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। एलजेपी के ललन कुमार को 29,936 वोट मिले थे। हालांकि, इस बार चिराग पासवान एनडीए में शामल होकर चुनाव लड़ सकते हैं।
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विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक राम रतन सिंह तेघरा से 2020 में पहली बार सीपीआई के टिकट पर विधायक चुने गए। वह बेगूसराय के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैं। राम रतन कांग्रेस नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के चाचा हैं। 70 साल के राम रतन की पढ़ाई की बात करें तो वह 12वीं पास हैं। उन्होंने बेगूसराय के गणेश दत्त कॉलेज से साल 1964 में 12वीं की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, कृषि और सामाजिक कार्य है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 4.35 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
तेघरा विधानसभा सीट निर्वाचन क्षेत्र संसदीय एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश के बाद साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। परिसीमन के बाद पहली बार हुए चुनाव में बीजेपी जीत गई थी। मगर धीरे-धीरे सीपीआई ने यहां अपनी मौजूदगी एक बार फिर से मजबूत की। इससे पहले इसपर 1952, 1957 और 1962 में चुनाव हुए थे। इस तरह से अभी तक तेघरा में कुल 6 ही चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 143 है। विधानसभा में तेघरा सामुदायिक विकास खंड है। तेघरा विधानसभा सीट बेगूसराय लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।
1952- राम चरित्र सिंह (कांग्रेस)
1957- राम चरित्र सिंह (कांग्रेस)
1962- चन्द्रशेखर सिंह (सीपीआई)
2010- ललन कुमार (बीजेपी)
2015- बिरेंद्र कुमार (आरजेडी)
2020- राम रतन सिंह (सीपीआई)