बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद गठबंधन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मशक्क्त चल रही है। इसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बाजी मार ली है। NDA के सीट बंटवारे का एलान हो गया है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) को बराबर यानी 101 सीट, चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को 29 सीटें दी गई हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) और उपेन्द्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के 6-6 सीटें दी गई हैं। इस सीट बंटवारे से एक बात साफ हो गई कि खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान का पलड़ा भारी रहा।
शुरुआत में चिराग ने 40 सीटों की मांग की थी जिस पर बात नहीं बन पा रही थी। इसके बाद से वह 30 सीटों पर अड़ गए। बीजेपी लीडरशिप को आखिरकार 29 सीटें देने पर मजबूर होना पड़ा। इसका साफ मतलब है कि NDA के बाकी घटक दलों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। ऐसा क्यों है कि NDA खासकर बीजेपी को चिराग के सामने झुकना पड़ा?
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चिराग पासवान के पास मुख्य रूप से तीन प्रमुख ताकतें हैं, जिनके कारण बीजेपी और जेडीयू को उनके साथ समझौता करना पड़ा:
1. 2020 में चिराग ने कराया नुकसान
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था। उस समय नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री न बनने देने की पूरी कोशिश की थी। जेडीयू के उम्मीदवारों के खिलाफ कई सीटों पर चिराग पासवान ने कैंडिडेट उतार दिए थे। उनका साफ कहना था वह पीएम मोदी के खिलाफ नहीं बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। विभाजन से पहले 2020 में एलजेपी ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 135 पर चुनाव लड़ा था। 64 विधानसभा सीटों पर पार्टी तीसरे या उससे नीचे स्थान पर रही। इन सीटों में चिराग ने करीब 27 सीटों पर जेडीयू को सीधे नुकसान पहुंचाया था।
हालांकि, उनकी पार्टी केवल एक सीट पर ही जीत पाई थी लेकिन उनकी मौजूदगी के कारण जेडीयू को भारी नुकसान हुआ था। इस के चलते, बीजेपी और जेडीयू दोनों चाहते हैं कि आगामी चुनावों में चिराग पासवान उनके गठबंधन में बने रहें ताकि एनडीए का वोट न बंटे और गठबंधन एकजुट रहे।
2. लोकसभा चुनाव का स्ट्राइक रेट
पार्टी के विभाजन के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर चुनाव की कमान संभालने के बाद बिहार में चिराग ने खुद को साबित किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में, चिराग पासवान की पार्टी ने गठबंधन के तहत मिली सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट 100% रहा। इस परफॉर्मेंस ने विधानसभा सीटों के बंटवारे के दौरान उनकी मांगों को मानने पर बीजेपी को मजबूर किया। लोकसभा की पांच सीट जिन पर पार्टा ने अच्छा प्रदर्शन किया-
1. हाजीपुर (रिजर्व) से चिराग पासवान
2. समस्तीपुर (रिजर्व) से शांभवी चौधरी
3. जमुई से अरुण भारती
4. खगड़िया से राजेश वर्मा
5. वैशाली से वीणा देवी
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बिहार में प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। चिराग ने इसी तर्ज पर विधानसभा सीटों की मांग की थी। 5 लोकसभा सीटों के हिसाब से 30 सीटें मांगी गई। उनके लोकसभा प्रदर्शन के कारण गठबंधन में बीजेपी और जेडीयू के बाद तीसरे सबसे बड़े भागीदार बने।
3. पासवान समुदाय का वोट बैंक
बिहार में कुल मतदाताओं में लगभग 6% पासवान समुदाय के मतदाता हैं जो दलित वर्ग के तहत आते हैं। गठबंधन की नजर चिराग के माध्यम से 6% पासवान वोटर को अपने पाले में करने पर है। चिराग अपने पिता रामविलास पासवान के राजनीतिक वारिस होने के कारण इस समूह पर गहरी पकड़ रखते हैं।
2020 में NDAके तीन बड़े दलों का प्रदर्शन
- जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें 43 सीटें जीती। इसमें दल का कुल वोट शेयर 19.46% था।
- भाजपा 110 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें 74 सीटें जीती। इसमें दल का कुल वोट शेयर 15.39% था।
- लोजपा (तब अविभाजित) अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र एक पर जीत हासिल कर पाई। इनका वोट शेयर 5.56% रहा।