बिहार के मोकामा में बाहुबली दुलारचंद की हत्या हुई, जिसका आरोप अनंत सिंह पर लगा। इसके करीब 60 घंटे के बाद पुलिस ने अनंत सिंह को गिरफ्तार करके बेऊर जेल भेज दिया है। अब वह जेल से चुनाव लड़ेंगे। उनकी पत्नी इसमें उनका साथ देंगी और वह प्रचार की कमान संभालेगी। इससे पहले सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर मैदान में हैं। अब समझते हैं कि नीलम देवी के मोर्चा संभालने का फायदा अनंत सिंह को होगा या नहीं?
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के तुरंत बाद नीलम देवी ने मोकामा में चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है। अनंत सिंह की पत्नी ने जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया। वह लोगों से अपने पति के पक्ष में वोट देने की अपील कर रही हैं। अनंत सिंह का सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी और जनसुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी से है।
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जेल से चुनाव लड़ने का इतिहास
इस बार के चुनाव में दुलारचंद की हत्या के बाद ठीक वैसा ही हाल बन रहा है, जैसा 2015 के विधानसभा चुनाव में बना था। लगभग 10 साल पहले यानी 2015 चुनाव के दौरान मोकामा में यादव समुदाय के बड़े नेता पुटुस यादव की हत्या हुई थी। इसमें अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया। चुनाव से ठीक पहले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मर्डर में नाम आते ही नीतीश कुमार से उनके संबंध खराब हो गए थे। 2015 में जेल में रहते हुए बतौर निर्दलीय अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया और 18,348 वोट से जीत हासिल की। उनकी यह जीत 2010 के चुनाव से भी बड़ी थी।
2020 का विधानसभा चुनाव RJD के टिकट पर लड़े और जीते भी। 2022 में लोअर कोर्ट से उनको अवैध हथियार रखने के मामले में सजा हो गई। उन्होंने जेल में रहते हुए अपनी पत्नी नीलम देवी को मोकामा का उपचुनाव लड़वाया। नीलम पहली बार चुनाव लड़ रही थीं और 16 हजार से ज्यादा वोट से जीती।
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महिला VS महिला
मोकामा में इस बार के चुनाव में वीणा देवी पहले से ही मैदान में थी। अब अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी भी प्रचार कर रही हैं। देखा जाता है कि अगर बाहुबली नेता खुद चुनाव नहीं लड़ पाते तो वे अक्सर अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा कर देते हैं। नीलम देवी पहले भी प्रचार कर चुकी हैं और चुनाव भी लड़ चुकी हैं। दोनों में उन्होंने अपने पतियों को जीत दिलाई।
सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी भी RJD के प्रत्याशी के तौर पर उतरी हैं। सूरजभान यहां इस सीट से केवल एक बार जीत हासिल किए थे। इसके बाद ऐसा कभी नहीं हुआ। दिलचस्प बात है कि दोनों बाहुबलियों की पत्नियां मैदान में हैं।
कुल मिलाकर अनंत सिंह हो या सूरजभान सिंह, दोनों की पत्नियों का सामने आना यह दिखाता है कि बिहार की राजनीति में परिवार का दखल अभी भी गहरा है। आने वाले दिनों में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि नीलम देवी कैसे चुनावी जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत करती हैं और साथ ही अपने पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में सफल हो पाती हैं या नहीं।