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धुरंधर में अर्जुन रामपाल ने निभाया किरदार, आखिर क्या है इलयास कश्मीर की कहानी?

फिल्म धुरंधर में अर्जुन रामपाल ने जो रोल निभाया है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह इलयास कश्मीरी का रोल है। पढ़िए उसकी पूरी कहानी।

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इलयास कश्मीर की कहानी, Photo Credit: Khabargaon

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एक आंख गायब, मोटी दाढ़ी जिस पर हिना का रंग, एक उंगली कटी हुई और चेहरे पर मोटे काले एविएटर चश्मे। इसी हुलिए का शख्स एक कटा हुआ सिर लेकर अपनी गाड़ी पर रखकर घुमा रहा था। कहां?- पाकिस्तान के कब्जे वाले शहर कोटली में। सिर किसका था?- भारतीय सैनिक मारूती भाउसाहब तालेकर का। पाकिस्तान में इस सिर को ट्रॉफी की तरह लहराया जा रहा था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक,  गाड़ी से उतारने के बाद इसके साथ फुटबॉल खेला गया। फिर इसे पेश किया गया पाकिस्तानी ऑर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्फ को। मुशर्रफ सिर देखकर इतने खुश हुए कि उन्होंने तुरंत उस शख्स को 1 लाख रुपये इनाम में दिए।

 

अगले दिन पाकिस्तानी अखबारों के फ्रंट पेज पर उस शख्स की तस्वीरें छपीं। यह पूरी घटना साल 2000 की है। पाकिस्तानी अवाम के लिए वह आदमी हीरो बन चुका था लेकिन पूरी दुनिया के लिए वह ओसामा बिन लादेन के बाद सबसे बड़ा जिहादी था। जिसे अल-कायदा का मिलिट्री दिमाग कहा जाता था। नाम- इलयास कश्मीरी। जिसने दुनिया भर में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया। जिसे अमेरिकी फौज कई बार ड्रोन हमलों से मारने का दावा करती थी पर हर हमले के बाद उसके जिंदा होने की खबर आ जाती पर इलयास की कहानी आज क्यों? कारण है एक फिल्म- धुरंधर। इस फिल्म में अर्जुन रामपाल जिस शख्स का किरदार निभा रहे हैं, माना जा रहा है कि वह इलयास कश्मीरी ही है।

 

कौन है इलयास कश्मीरी? क्या पाकिस्तानी सेना का एक कमांडो मुजाहिदीन का सबसे बड़ा लीडर बना था? क्यों लादेन के बाद इस शख्स को मारने के लिए अमेरिका ने अपनी फौज लगा दी?

 

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Bill Rogio नाम के अमेरिकी पत्रकार बताते हैं कि उन्होंने साल 2009 में इलयास कश्मीरी का इंटरव्यू किया था। 

उन्होंने इलयास से एक सवाल पूछा, 'मान लो अगर कश्मीर का मसला हल हो गया, तब क्या तुम और तुम्हारे लड़के हथियार डाल देंगे और नॉर्मल जिंदगी जिएंगें?' 
इस पर इलयास ने जवाब दिया, 'कश्मीर तो सिर्फ शुरुआत है। कश्मीर छुड़ा लेंगे तो फिर हैदराबाद, जूनागढ़ और मनावर भी हिंदुओं से वापिस लेना है।'
पत्रकार ने आगे पूछा, 'मान लिया ये तीनों भी छीन लिए उसके बाद?' 
इलयास ने कहा, 'तब भी जिहाद खत्म नहीं होगा। दुनिया में जहां भी मुसलमानों पर ज़ुल्म होगा। वहां जाना है और जिहाद तो पूरी दुनिया में चाहिए।' 
इलयास के दिमाग की उपज क्या थी वह आप इन लाइनों से समझ चुके होंगे। अब शुरू से शुरू करते हैं इलयास की कहानी। 

पढ़ाई छोड़ बना मुजाहिद्दीन

 

इलयास कश्मीरी के बचपन के बारे में बस इतनी ही जानकारी है कि उसका जन्म कब और कहां हुआ। 10 फरवरी 1964 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के समहनी घाटी में बिंबर नाम की जगह पर। जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ जंग शुरू हुई। तब वह सिर्फ 15 साल का लड़का था। जब जंग खत्म हुई तो वह 25 साल का हो चुका था। अफगान जंग के शुरुआती सालों में इलियास इस्लामाबाद की अल्लामा इकबाल ओपन यूनिवर्सिटी में मास कम्युनिकेशन की ग्रेजुएशन कर रहा था। 1984 में उसने पहला साल पास किया और बीच में ही पढ़ाई छोड़कर अफगानिस्तान जिहाद में चला गया। उस समय पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) नाम का संगठन बहुत ऐक्टिव था, इसलिए इलियास ने इसी संगठन को जॉइन कर लिया। 

 

 

HuJI को पाकिस्तान की जमात उलेमा इस्लाम (JuI) और तबलीगी जमात ने मिलकर बनाया था।  यह संगठन 1979 में सोवियत-अफगान जंग के दौरान शुरू हुआ। पहले यह खुद ही मुजाहिद अफगानिस्तान भेजता था। बाद में पाकिस्तान की ISI ने हर संगठन को साथ लिया और HuJI भी रूसी फौज से लड़ने के लिए मुजाहिद भेजने और ट्रेनिंग देने लगा। जल्दी ही यह अफगान मुजाहिदीन के लिए भर्ती और ट्रेनिंग का बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया। इसी दौरान जब पाकिस्तानी सेना को लड़ाकों को ट्रेन करने के लिए लोग चाहिए थे तो इलयास को ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया। ट्रेनर बनकर आर्मी के साथ अफगानिस्तान गया, लैंडमाइन का मास्टर बना और लड़ाकों को सिखाता रहा। इस बीच यह भी कहा जाता था कि इलियास पाकिस्तानी फोर्सेज़ में स्पेशल कमांडो था। ऐसा इसलिए माना जाता था क्योंकि LoC पर हमला करते वक्त पाकिस्तानी आर्मी कश्मीरी को कवर फायर देती थी। हालांकि, इस बात का कोई भी प्रूफ या रिकॉर्ड नहीं है। इलियास कश्मीरी HuJI के साथ ही वफादार रहा और अफगान जंग के आखिरी दिन तक लड़ता रहा। इसी लड़ाई में उसकी एक आंख चली गई। उम्र सिर्फ 25 साल थी लेकिन कश्मीरी HuJI का टॉप कमांडर बन चुका था। 

 

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रूसी सेना से लड़ने के बाद कश्मीरी को कोटली से 20 किमी दूर HuJI का बड़ा ट्रेनिंग कैंप सौंप दिया गया। इसी संगठन ने 1991 में पहली बार कश्मीर में घुसपैठ शुरू की। घुसपैठ का दौर जारी रहा और 1993 में जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के DGMO बनाए गए। यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस। सरकार  बेनज़ीर भुट्टो की थी। मुशर्रफ में सरकार के सामने प्लान रखा कि कश्मीर में भारत को कमज़ोर करने के लिए सारे जिहादी ग्रुप को साथ लाना होगा। मुशर्रफ ने HuJI, हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को साथ लाने की कोशिश की पर ये संगठन आपस में ही अलग लड़ाई लड़ रहे थे। बाद में मुशर्रफ इन सारे संगठनों को एक साथ ले ही आए। अब तक इलियास का नाम भारतीय सेना के दिमाग में नहीं। उनके लिए बड़े शिकार मसूद अज़हर, लादेन थे पर साल 2000 में LoC पर हुए हमले ने इलयास का नाम हर भारतीय सुरक्षा एजेंसी के पन्नों पर ला दिया। 

सिर काटकर पाकिस्तान में बना हीरो

 

इतिहासकार सरोज कुमार रथ अपने रिसर्च पेपर 'Ilyas Kashmiri through the Prism of HuJ' में कश्मीर के बारे में कुछ बातें बताते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2000 के फरवरी महीने  में पाकिस्तान ने भारत पर इल्ज़ाम लगाया कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास कोटली सेक्टर में 14 आम नागरिकों को मार डाला है। तब भारत ने इस इल्ज़ाम को पूरी तरह खारिज कर दिया गया था। इस इल्ज़ाम के ठीक 2 दिन बाद, 27 फरवरी 2000 को इलयास कश्मीरी ने अपने 25 से ज़्यादा आतंकियों के साथ LoC के पार हमला कर दिया। पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने इलयास कश्मीरी अपने 25 आतंकियों के साथ नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ कर चुका था। हमला सेना की अशोक लिसनिंग पोस्ट पर हुआ।
 
यह पोस्ट तीन तरफ से पाकिस्तान से घिरी हुई थी। पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलीबारी और मोर्टार से कवर फायर दिया ताकि इलयास कश्मीरी का ग्रुप अंदर घुस सके। पोस्ट पर सिर्फ 8 भारतीय जवान थे। हमले के कारण 2 भारतीय जवान शहीद हो गए और 2 जवान लापता हो गए। 2 लापता जवानों में से एक सिपाही भाऊसाहेब मारुति तळेकर जो 17 मराठा लाइट इन्फैंट्री के जवान थे। सिपाही भाऊसाहेब का सिर इलियास कश्मीरी ने काट लिया और उसे पाकिस्तान ले गया। पाकिस्तानी अखबारों ने बड़े गर्व से लिखा कि इलियास कश्मीरी ने यह हमला भारत से बदला लेने के लिए किया।  पाकिस्तान में उसे एक लाख रुपये इनाम भी दिया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने उसकी तारीफ भी की।

 

यही वह घटना थी जिसने उसे पाकिस्तान में 'हीरो' और भारत में खतरनाक आतंकवादी बना दिया। इस हमले के बाद 1 मार्च 2000 को भारत ने पाकिस्तानी डिप्टी हाई कमिश्नर अकबर ज़ेब को बुलाया और कड़ा प्रोटेस्ट नोट थमा दिया। फिर 17 अप्रैल 2001 को कोटली में इलयास कश्मीरी मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा- 'भारत बातचीत का ऑफर दे रहा है? यह सब धोखा है! सीज़फायर बस एक चाल है ताकि हम जिहादियों और कश्मीरी अवाम में फूट डाल दे। भारत को कश्मीर पर कब्ज़ा बनाए रखने और कश्मीरियों को मारने का मौका नहीं मिलेगा। अमेरिका और इसराइल का कितना भी साथ हो, भारत को बचने नहीं देंगे।' इन हमलों के बाद इलयास कश्मीरी ने अपनी खुद की आतंकवादी यूनिट बनाना का फैसला लिया। यह यूनिट थी ब्रिगेड 313. 

ब्रिगेड 313

 

ब्रिगेड 313 एक खास कमांडो-स्टाइल आतंकवादी यूनिट थी। इसका नाम इस्लामिक इतिहास की जंग-ए-बदर से लिया गया था, जहां पैगंबर मुहम्मद के सिर्फ 313 साथियों ने बड़ी फौज को हरा दिया था।  इस यूनिट को 2002-2003 में इलयास कश्मीरी ने खुद बनाया था और यह पहले हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) का सबसे एलीट हिस्सा थी। बाद में 2007-2009 के बीच इलयास कश्मीरी ने पूरी ब्रिगेड 313 को अल-कायदा को सौंप दिया और यह अल-कायदा की शैडो आर्मी बन गई।

 

इसमें सिर्फ चुनिंदा, बहुत अच्छे ट्रेनिंग वाले लड़ाके होते थे – ज्यादातर पाकिस्तानी, अफगान। इनकी खासियत थी कमांडो स्टाइल घुसपैठ, सटीक हमले, बम बनाना और बिना डरे मौत को गले लगाना। इलयास कश्मीरी इसका पहला और सबसे लंबा कमांडर रहा – 2003 से अपनी मौत तक। अलकायदा में वह ओसामा बिन लादेन और आयमान अल-जवाहिरी के बाद तीसरा या चौथा सबसे बड़ा मिलिट्री लीडर बन चुका था।

 

इलियास कश्मीरी के नेतृत्व में ही ब्रिगेड 313 ने सबसे बड़े-बड़े हमले किए– 2000 में नौशेरा में भारतीय जवान भाऊसाहेब तळेकर का सिर काटकर लाना, 2008 मुंबई 26/11 में मदद। इसका ज़िक्र 26/11 के मास्टरमांड डेविड हेडली ने खुद किया था। इसके अलावा  अफगानिस्तान में CIA के कैंप चैपमैन पर सुसाइड अटैक, 2010 पुणे जर्मन बेकरी बम धमाका और भी कई हमले। 

पाकिस्तानी आर्मी से नफरत

 

इन हमलों के दौरान ही पाकिस्तानी सेना का प्यार इलयास के लिए नफरत में बदल गया। खासकर 9/11 हमलों के बाद। अमेरिका पर हमले हुए तो मुशर्रफ ने तालिबान का साथ छोड़ दिया और पाकिस्तान में कई जिहादी ग्रुप्स पर बैन लगा दिया। इलयास कश्मीरी को यu बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। आर्मी से उसका पुराना रिश्ता खत्म हो चुका था। Adrian Levy की किताब Spy Stories के मुताबिक, इसी के चलते 2003 में मुशर्रफ पर जानलेवा हमला भी हुआ। पहला हमला 14 दिसंबर 2003 को हुआ जब रावलपिंडी में मुशर्रफ की बख्तरबंद मर्सिडीज़ पुल पर थी। तभी पुल में छिपा बम फटा, कार बुरी तरह हिली, मुशर्रफ फर्श पर गिरे।

 

इसके सिर्फ 11 दिन बाद, 25 दिसंबर को इस्लामाबाद में दूसरा हमला – 200 किलो C4 से कार हवा में उछली, दूसरा धमाका भी हुआ, जैश का एक 23 साल का लड़का सुसाइड बॉम्बर था। तीसरा हमला जुलाई 2007 में हवाई था – मुशर्रफ का प्लेन टेकऑफ कर रहा था, तभी एंटी-एयरक्राफ्ट गन, मशीन गन और शोल्डर मिसाइलें दागी गईं; हथियार जाम होने से जान बची। इन सारे हमलों के पीछे इलयास कश्मीरी का दिमाग और सैकड़ों नाराज़ पूर्व फौजियों का हाथ था, जिन्होंने कसम खाई थी कि मुशर्रफ को किसी भी कीमत पर खत्म कर देंगे। 

 

हालांकि, सबूत नहीं मिलने के कारण उसे कुछ ही हफ्तों में छोड़ दिया गया। 2005 में वह अपनी '313 ब्रिगेड' लेकर कश्मीर छोड़कर सीधा पाकिस्तान के ट्राइबल एरिया यानी वज़ीरिस्तान में शिफ्ट हो गया। वहां अल-कायदा और तालिबान के साथ मिलकर अमेरिकी फौज से लड़ने लगा। इसके बाद तो उसने पाकिस्तान के अंदर भी आर्मी-ISI को निशाना बनाना शुरू कर दिया। 2006 में कराची में अमेरिकी कौंसुलेट पर सुसाइड बॉम्बिंग की। अब उसका प्लान सिर्फ भारत तक नहीं था, वह पश्चिमी देशों को भी निशाना बनाने लगा। उसने डेनमार्क के उस अखबार पर हमला प्लान किया जिसने पैगंबर मुहम्मद के कार्टून छापे थे। इसके अलावा मुंबई 26/11 की रेकी करने वाला डेविड हेडली उससे दो बार मिला था।  इसी बीच यह खबर फैली कि साल 2009 में हुए अमेरिकी ड्रोन हमलों में कश्मीरी मारा गया है। 2 महीने तक ऐसा माना गया लेकिन 2 ही महीने बाद कश्मीरी मीडिया को इंटरव्यू देने लगा। 

 

जिंदा होने की खबर मिलते ही के पूरा यूरोप और अमेरिका हाई अलर्ट पर आ गया था। NBC न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इलयास ने यह कहा था कि मुंबई हमले उस मुकाबले उन हमलों के सामने कुछ भी नहीं हैं, जिन्हें हमने आगे के लिए प्लान किया है। यूरोप में यह खौफ फैल गया कि इलयास कहीं लंदन, पेरिस, बर्लिन में मुंबई जैसा हमला तो नहीं प्लान कर रहा है। इसके अलावा इलयास ने अमेरिका में लॉकहीड मार्टिन कंपनी के CEO को मारने का भी प्लान बनाया था क्योंकि उसे गलतफहमी थी कि ड्रोन इसी कंपनी में बनते हैं। 2011 में जब ओसामा बिन लादेन मारा गया तो कश्मीरी को लादेन का उत्तराधिकारी बनाने की लिस्ट में शामिल किया गया था। लादेन के मरने के बाद अमेरिका ने इलयास कश्मीरी के सिर पर 5 मिलियन डॉलर करीब 42 करोड़ रुपये का इनाम रखा। उसी साल अमेरिका ने उसे ग्लोबल टेररिस्ट और HUJI को 'विदेशी आतंकी संगठन' घोषित कर दिया। 

चाय पीते हुई मौत?

 

इलयास पाकिस्तान में बैठकर प्लानिंग कर रहा था पर अमेरिका कुछ नहीं कर पा रहा था। फिर खबर आई कि कश्मीरी अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारा गया है। पाकिस्तान में  यह हमला साउथ वज़ीरिस्तान के एक गांव लामन के पास रात में हुआ। पाकिस्तानी अफसरों ने बताया कि कश्मीरी अपने 8-9 साथियों के साथ एक सेब के बाग में चाय पी रहा था, तभी ड्रोन से चार मिसाइलें दागी गईं – दो-दो के दो राउंड। इसी हमले में सब मारे गए पर दुनिया को अब भी भरोसा नहीं था।
 
 313 ब्रिगेड के स्पोक्सपर्सन ने दो टीवी चैनलों को मैसेज भेजकर कन्फर्म कर दिया, 'हमारा कमांडर शहीद हो गया है, अमेरिका से इसका बदला लिया जाएगा।' हालांकि, भारतीय एजेंसी RAW ने उसकी मौत को तब तक नहीं माना जब तक कि DNA सबूत नहीं मिल गए, क्योंकि वह पहले भी कई बार अपनी मौत की झूठी खबरें फैला चुका था। अल-कायदा के बड़े -बड़े प्लान को हकीकत में बदलने वाले आतंकी को अमेरिका ने मार गिराया था। इसी तरह लादेन की जगह लेने वाले का भी अंत हुआ।

 

 

 

 

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