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नींद न आने की वजह से बिगड़ती है दिमागी सेहत? इंसोमेनिया का डिमेंशिया कनेक्शन

जिन लोगों को अच्छी नींद नहीं आती है, उनमें डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा क्यों होता है, नई स्टडी क्या कहती है, आइए जानते हैं।

Sleeping

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Image, Photo Credit: Sora)

अगर आप अनिद्रा का शिकार हैं, नींद नहीं आती है तो आप मुसीबतों में पड़ सकते हैं। ऐसा हो सकता है कि आप भूलने की बीमारी का शिकार हो जाएं। न्यूरोलॉजी जर्नल की एक रिसर्च में दावा किया गया है कि 12 फीसदी अमेरिकी लोगों को गंभीर अनिद्रा की शिकायत है। दिमागी सेहत पर असर डालने वाले कई कारण हमारे नियंत्रण में नहीं होते लेकिन अनिद्रा को सुधारा जा सकता है।

नींद की समस्या अगर आप ठीक कर ले जाते हैं तो इससे न केवल थकान और मानसिक परेशानियां कम होतीं हैं, बल्कि आपके दिमाग के स्वस्थ्य होने की संभावना भी ज्यादा रहती है। अच्छी नींद से भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य और दिमाग के उम्र बढ़ने की गति को भी नियंत्रित किया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट अच्छी नींद को अनिवार्य बताते हैं। 

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नींद की कमी से क्या होता है?

नींद न आने की वजह से डिमेंशिया का खतरा होता है। एक नई रिसर्च कहती है कि नींद ठीक आने से डिमेंशिया से बचाव हो सकता है।अमेरिका में 12% लोग क्रॉनिक अनिद्रा से पीड़ित हैं। जीन या उम्र जैसे फैक्टर तो कंट्रोल नहीं होते, लेकिन अनिद्रा को आप सुधार सकते हैं। न्यूरोलॉजी जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक, अनिद्रा से कॉग्निटिव इंपेयरमेंट का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। यह बीमारी, दिमाग की कमजोरी से संबंधित है। 

किन पर की गई है स्टडी?

यह स्टडी 2750 लोगों पर 5 साल तक लगातार की गई। हर साल ब्रेन स्कैन, स्लीप हैबिट्स और न्यूरोलॉजिकल टेस्ट किया जाता है। अनिद्रा वाले लोगों में दिमागी कमजोरी लगातार बढ़ी है। उनमें भूलने की बीमारी भी बढ़ती चली गई। जिन्हें भरपूर नींद आ रही थी, उनका मस्तिष्क ज्यादा स्वस्थ नजर आया। 

किन वजहों से बिगड़ती है दिमागी सेहत?

नींद दिमाग से कचरा साफ करती है। दिन भर जमा प्रोटीन बेहतर नींद की वजह से उत्सर्जन अंगों के जरिए निकल जाते हैं। इसका असंतुलन अल्जाइमर बढ़ा देता है। स्टडी में दावा किया गया है कि अनिद्रा की वजह से सूजन बढ़ती है, मेमोरी कमजोर होती है। बुजुर्गों में समस्या ज्यादा होती है। डॉ. शाहिद अख्तर बताते हैं कि जिन लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा होती है, उन्हें बुढ़ापे में नींद कम आती है। यह सामान्य है।

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कब आपको दिमाग पर ध्यान देने की जरूरत है?

स्टडी में बताया गया है कि अगर आप रातभर जगते हैं, दिन में हमेशा थकान बनी रहती है, चिड़चिड़ापन का शिकार रहते हैं, गुस्से आ रहा है तो यह सामान्य नहीं है। नींद न आने की समस्या को कभी नजरअंदाज मत करें। 

क्या सुझाव देते हैं डॉक्टर?

इस स्टडी पर जब डॉ. शाहिद अख्तर से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि स्लीपिंग पैटर्न सुधारते ही कई बार सेहत सुधर जाती है। इसके लिए कॉग्निटिव बिहैवियरल थेरेपी फॉर इंसोमैनिया (CBTI) की मदद ली जाती है। 

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अच्छी नींद पर क्या कहते हैं स्लीप एक्सपर्ट?

  • सोने जगने का सही पैटर्न चुनें
  • नाश्ते से लेकर डिनर तक का एक तय समय चुनें
  • सोते वक्त किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूर रहें
  • सोने से 1 घंटे पहले ही किसी भी स्क्रीन से दूरी बरतें
  • शाम के बाद शराब या कैफीन के सेवन से बचें
  • दिन में कसरत करें, रात में खाना खाकर टहलें  

डिस्क्लेमर: अगर घरेलू उपाय फेल हों तो स्लीप स्पेशलिस्ट से मिलें। दवा भी मदद कर सकती है, लेकिन दवा का सेवन तभी करें, जब डॉक्टर आपको दवा लेने के लिए कहें, सिर्फ डॉक्टरों की लिखी दवाइयां ही लें।  

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