दुनियाभर में डायबिटीज़ (Diabetes) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी में भारत को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में डायबिटीज़ ने दुनियाभर में 82.8 करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाया है जिसमें एक चौथाई भारतीय हैं। भारत में साल 2022 में करीब 21.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित थे। इसके बाद सबसे ज्यादा डायबिटीक मरीजों वाले देशों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर चीन (14.8 करोड़), फिर अमेरिका में (4.2 करोड़), पाकिस्तान (3.6 करोड़), इंडोनेशिया (2.5 करोड़) और ब्राजील के (2.2 करोड़) शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि लोगों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज का ग्लोबल रेट साल 1999 से 2022 के बीच में 7 गुना से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गया है। ये स्टडी एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबोरेशन (NCD) ने की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के आंकड़ों के मुकाबले डायबिटीज के मरीजों की संख्या 4 गुना ज्यादा बढ़ी है। इसमें कम उम्र के लोगों के मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।
युवा में बढ़ी डायबिटीज की संख्या
एनसीडी रिस्क एक वैश्विक संगठन है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन से साथ मिलकर काम करता है और ये विभन्न देशों के नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के बारे में जानकारी देता है। याउंडे 1 विश्वविद्यालय, कैमरून के लेखक जीन क्लाउड मबान्या ने कहा कि हमारे निष्कर्ष से पता चलता है कि छोटे और मध्यम आय वाले देशों में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है। ये बहुत ही चिंता का विषय है खासतौर पर उन लोगों के लिए जो इस बीमारी का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।
लैंसेट की रिपोर्ट पर उठे सवाल
WHO ने पहले अपने एक रिपोर्ट में कहा था कि डायबिटीज से करीब 42 लोग पीड़ित है। ये बीमारी ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ने से होती है। अगर इस बीमारी को समय पर ठीक नहीं किया गया तो इससे आपके हार्ट, ब्लड वेसल्स,नर्वस सिस्टम और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है। लैंसेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में 21 करोड़ से ज्यादा डायबिटीज के मरीज है। वहीं, आईसीएमआर ने अपनी 2023 की रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 10.1 करोड़ डायबिटीक मरीज हैं और प्री डायबिटीक मरीज की संख्या 13 करोड़ से ज्यादा है।