इस साल 12 जून को गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI 171 के दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार एक यात्री को छोड़कर बाकी सभी लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में जिंदा बचे यात्री का नाम विश्वाश कुमार रमेश है, जो एक बार फिर से दुनिया के सामने आए हैं।
हादसे के साढ़े चार महीने बाद, एकमात्र जीवित बचे 39 साल के विश्वाश कुमार शारीरिक रूप से घायल, आर्थिक रूप से तनावग्रस्त और गहरे सदमे में हैं। भारत में थोड़े समय के इलाज के बाद, रमेश 15 सितंबर को इंग्लैंड लौट आए थे लेकिन उनका कहना है कि उन्हें अभी तक NHS मनोचिकित्सा इलाज नहीं मिला है।
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241 की हुई थी मौत
विश्वाश कुमार इमरजेंसी एग्जिट के बगल वाली सीट 11A पर बैठे थे। एयर इंडिया के विमान में जैसे ही आग लगी वह जलते हुए मलबे के साथ ही नीचे जमीन पर गिरे लेकिन वह बच निकले। इस विमान में सवार 242 लोगों (230 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य) में से 241 की मौत हो गई थी। विश्वाश के छोटे भाई अजय कुमार, जो 11J पर बैठे थे उनकी भी मौत हो गई थी।
विश्वाश ने बताया कि उन्हें चलने में दिक्कत होती है, वे कार नहीं चला सकते और लीसेस्टर स्थित अपने घर में ज्यादातर अलग और अकेले रहते हैं। उन्होंने कहा, 'मानसिक रूप से, मैं पूरी तरह से टूट चुका हूं।'
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मछली पकड़ने का बिजनेस हुआ ठप
विश्वाश अपने दिवंगत भाई के साथ मिलकर मछली पकड़ने का बिजनेस चलाते थे। उन्होंने बताया कि उनका बिजनेस लगभग ठप हो गया है और उनकी कमाई के स्रोत बंद हो गए हैं। दुर्घटना के बाद दो महीने के लिए भारत यात्रा पर जाने की वजह से उनकी पत्नी का यूनिवर्सल क्रेडिट रुक गया था।
हालांकि, एयर इंडिया ने 21,500 पाउंड (25 लाख रुपये) का भुगतान देने की पेशकश की है। विश्वास रमेश इस पैसे को ब्रिटेन में रहने के खर्च और अपनी चल रही मेडिकल जरूरतों को देखते हुए कम बता रहे हैं।
एयर इंडिया ने कहा कि वह विश्वास रमेश और सभी प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत है। इसमें यह भी कहा है कि टाटा समूह के वरिष्ठ अधिकारियों ने परिवारों से मुलाकात की है और विश्वास के संपर्क में भी रहेगी। फिलहाल, विश्वास कुमार रमेश अपनी चोट का इलाज कराने के ऊपर ध्यान दे रहे हैं। विश्वास ने अपने भविष्य को लेकर चिंता जताई है।