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बम की धमकी मिलने के बाद विमान को आसमान में पहरा कैसे दिया जाता है?

जब किसी विमान को बम की धमकी मिलती है, तो उसे आसमान में सुरक्षा दी जाती है। आसमान में विमान को पहरा देने या सुरक्षा प्रदान करने के लिए कौन से बड़े कदम उठाए जाते है। यहां पढ़ें

American Airlines Bomb threat

विमान, Photo Credit: Pixabay

23 फरवरी को न्यूयॉर्क से दिल्ली जाने वाली अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट को बम की धमकी मिलने के बाद इटली की राजधानी रोम की ओर डायवर्ट करना पड़ा। अमेरिकन एयरलाइंस ने कहा कि फ्लाइट रोम में सुरक्षित लैंड हुई, जिसके बाद विमान का इंसपेक्शन किया गया। अब विमान सोमवार यानी 24 फरवरी को दिल्ली के लिए उड़ान भरेगी। फ्लाइट 292 में 199 यात्री समेत चालक दल सवार थे। 

 

फ्लाइट को सुरक्षित रोम के लियोनार्डो दा विंची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड किया गया और कानून प्रवर्तन ने इसकी जांच की जिसके बाद विमान को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दी गई। रोम हवाईअड्डे पर लैंड होने तक अमेरिकी एयरलाइंस के इस विमान को इतालवी वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने आसमान पर पहरा दिया और सुरक्षित तरीके से लैंड कराया। लैंडिंग की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है, जिसमें विमान को इतावली लड़ाकू जेट विमानों द्वारा एस्कॉर्ट किया जाता हुआ दिखाया गया।

 

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ऐसे में सवाल यह है कि बम की धमकी मिलने के बाद विमान को आसमान में पहरा कैसे दिया जाता है? बिना किसी सूचना के किसी भी एयरपोर्ट पर अगर विमान लैंड होता है तो विमान में सवार यात्रियों के लिए क्या सुविधाएं होती हैं? इस दौरान क्या प्रोटोकॉल अपनाए जाते है? आइये सबकुछ जानें...

 

विमान को आसमान में पहरा कैसे दिया जाता है?

जब किसी विमान को बम की धमकी मिलती है, तो उसे आसमान में सुरक्षा देने के लिए कई स्तरों पर काम किया जाता है। यह सुरक्षा लड़ाकू विमानों, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा एजेंसियों की मदद से मिलती है। आसमान में विमान को पहरा देने या सुरक्षा प्रदान करने के लिए कई बड़े कदम उठाए जाते है। सबसे पहले पायलट और ATC के बीच क्मयूनिकेशन होती है। अगर विमान को अचानक बम की धमकी मिलती है तो पायलट तुरंत मेडे (Mayday) या पैनिक कोड (जैसे 7500, 7700)  ट्रांसपोंडर के जरिए ATC को मैसेज भेजता है। ATC संबंधित एजेंसियों (IAF, DGCA, CISF, एयरलाइन सिक्योरिटी) को अलर्ट करता है। इसके बाद विमान को सुरक्षित एयरस्पेस की ओर डायवर्ट करने के निर्देश दिए जाते हैं। 

 

 

फाइटर जेट्स आसमान में बनाती है सुरक्षा घेरा

फाइटर जेट्स को तैनात किया जाता है। संबंधिक देश की वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों को तेजी से उड़ान भरने का आदेश जारी करती है। फाइटर जेट्स विमानों के दोनों और सुरक्षा घेरा बनाते हैं और उस पर लगातार नजर रखते हैं। पायलट को रेडियो के जरिए निर्देश दिए जाते हैं और विमान के व्यवहार का विश्लेषण किया जाता है। अगर खतरा गंभीर हो, तो विमान को कम आबादी वाले इलाके या समुद्र की ओर डायवर्ट किया जाता है। इसे किसी नजदीकी सुरक्षित हवाई अड्डे पर लैंड कराने की योजना बनाई जाती है।

 

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विमान के अंदर हो रही गतिविधियों पर रखती है कड़ी नजर

विमान के अंदर संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाती है। पायलट और क्रू को यात्रियों के व्यवहार पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए जाते हैं। अगर कोई हाईजैकिंग का संकेत मिलता है तो एंटी-हाईजैकिंग प्रोटोकॉल एक्टिवेट किया जाता है। जब विमान सुरक्षित एयरपोर्ट पर लैंड हो जाता है तो बम डिस्पोजल स्क्वॉड और स्पेशल फोर्सेस विमान की पूरी तरह जांच करती हैं। यात्रियों और क्रू को सुरक्षित बाहर निकाला जाता है और उनकी सुरक्षा जांच की जाती है।

 

 

अन्य देश पर बिना परमिशन के विमान लैंड कराए जाने पर यात्रियों को क्या सुरक्षा मिलती है? 

अगर किसी विमान को बिना परमिशन के किसी अन्य देश में सुरक्षा चिंताओं के कारण लैंड कराया जाता है तो यात्रियों की सुरक्षा और उनके अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संबंधित देश के नियमों पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर ऐसे मामलों में प्रोटोकॉल लागू किया जाता हैं और इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन के नियमों का पालन किया जाता है। यह नियम कहता है कि किसी विमान को आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे ईंधन खत्म होना, बम की धमकी मिलना, तकनीकी खराबी, खराब मौसम, मेडिकल इमरजेंसी) में किसी भी देश में लैंड की अनुमति दी जा सकती है। अगर विमान जबरदस्ती लैंड होता है तो ICAO और संयुक्त राष्ट्र (UN) मानवाधिकार कानून लागू हो सकते हैं।

 

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कहां रखा जाता है यात्रियों को?

इस दौरान यात्रियों को डिटेंशन में रखा जाता है और काउंसर एक्सेस दिए जाते है। आसान भाषा में समझें तो संबंधित देश में मौजूद उनके देश के दूतावास या काउंसलेट से संपर्क करने की अनुमति होती है। किसी भी यात्री के साथ अवैध हिरासत, दुर्व्यवहार करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ माना जाएगा। 

 

अगर विमान हाईजैक हो जाता है और विमान किसी अन्य देश में जबरन लैंड किया जाता है तो यात्रियों की सुरक्षा उस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों पर निर्भर करेगी। वहीं, अगर कोई देश विमान को लैंड करने पर मजबूर करता है, तो यात्रियों को आमतौर पर इमिग्रेशन अथॉरिटीज द्वारा जांच से गुजरना पड़ता है। यात्रियों को उनके वीजा स्टेटस और नागरिकता के आधार पर सुरक्षा दी जाती है। उदाहरण के लिए, 2021 में बेलारूस सरकार ने रयानएयर फ्लाइट को जबरन लैंड कराया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद हुआ। 

 

NOTE: अगर ऐसी किसी समस्या में फंसते है तो यात्रियों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध स्थिति में दूतावास से संपर्क करना चाहिए। 

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