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चीन ने लैब में बना दिया सुपर डायमंड, समझ लीजिए क्यों खास है यह हीरा

चीन के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम हीरा बनाने में सफलता प्राप्त की है। इस हीरे की खास बात यह है कि यह प्राकृतिक हीरे से भी सख्त है। आइए जानते हैं कृत्रिम हीरे की विशेषता।

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प्रतीकात्मक तस्वीर Photo Credit: Freepik

चीन की कॉपी करने की तकनीक अब यहां तक पहुंच चुकी है कि प्राकृतिक चीजों को भी चीन के वैज्ञानिकों ने कॉपी कर लिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने हाल ही में कृत्रिम रूप से हीरे का निर्माण किया है।यह कृत्रिम हीरा प्राकृतिक हीरे से भी कहीं ज्यादा सख्त है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कृत्रिम हीरा है सख्ती के मामले में किसी प्राकृतिक हीरे से भी कई कदम आगे है। चीन ने इस कृत्रिम हीरे को दुनिया के सामने 'सुपर डायमंड' के रूप में पेश किया है।

 

हालांकि, लैब में पहले भी हीरा बनाने की कई कोशिशें की गईं लेकिन कभी सफलता नहीं  मिल सकी। इससे पहले भी कई बार वैज्ञानिकों ने हीरा बनाने की कोशिश की थी। मगर उन हीरों में वह सख्ती नहीं मिलती थी, जो प्राकृतिक हीरे में होती है लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने वह मुश्किल हल कर दी है। अब सवाल यह है कि क्या यह हीरा भविष्य में गहने बनाने में काम आ सकता है? अगर आ सकता है तो कैसे और इसका दाम क्या होगा? क्या इस हीरे का महत्व प्राकृतिक हीरे से कम होगा? आइए जानते हैं सुपर डायमंड की विशेषता।

 

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हीरा क्यों होता है इतना सख्त?

हीरा कार्बन का ही एक रूप है और यह प्राकृतिक पदार्थों में सबसे कठोर होता है। इसकी कठोरता का कारण इसकी संरचना और परमाणुओं के बीच बना हुआ बंधन होता है। प्राकृतिक हीरे की संरचना अटॉमिक स्ट्रक्चर क्यूबिक (घन) होती है, जिसकी वजह से ये सख्त होते हैं। अब चीन के जिलिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ और सख्त हीरे को बनाने में सफलता हासिल की है। उन्होंने ग्रेफाइट को खास परिस्थितियों में संकुचित करके उच्च गुणवत्ता वाले हेक्सागोनल हीरे का निर्माण किया है। हेक्सागोनल संरचना अन्य संरचनाओं से और भी ज्यादा सख्त होती है, इसे लॉन्स्डेलाइट कहा जाता है। यह संरचना आमतौर पर उल्कापिंडों के टकराने से बनती है।

सुपर डायमंड की विशेषता

जब इस कृत्रिम हीरे की प्राकृतिक हीरे से तुलना की गई, तब जो रिजल्ट निकलकर आया उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। कृत्रिम हीरे की सख्ती 155 GPa तक मापी गई है, जबकि प्राकृतिक हीरे की सख्ती सिर्फ 100 GPa होती है। यही नहीं यह हीरा 1,100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को भी सहन करने में सक्षम है, जो कि सामान्य हीरों से कहीं अधिक है। इसका मतलब है कि यह हीरा न सिर्फ सख्त है, बल्कि उच्च तापमान में भी अपने गुणों को बनाए रखने वाला है। 

 

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क्या-क्या फायदे हो सकते हैं?

यह कृत्रिम हीरा औघोगिक क्षेत्र में काम आ सकता है। लोगों का मानना है कि यह खोज कई क्षेत्रों में बदलाव ला सकती है, जैसे खनन, निर्माण, और यहां तक की चिकित्सा उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है।


इस शोध ने हीरे के निर्माण को लेकर दुनिया को नया नजरिया दिया है।  इस प्रक्रिया से भविष्य में उच्च गुणवत्ता वाली सख्त सामग्रियों का निर्माण संभव हो सकता है, जो औद्योगिक और अन्य क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक हेक्सागोनल हीरों को लैब में बनाने में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई थी लेकिन इस नई प्रक्रिया के साथ वैज्ञानिकों को बेहतर निर्माण तकनीकों की उम्मीद है।

क्या ज्वैलरी में भी इस्तेमाल होंगे सुपर डायमंड?

इसका औद्योगिक इस्तेमाल तो साफ है मगर वैज्ञानिकों ने एक और दिलचस्प संभावना भी व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि हो सकता है भविष्य में इस सुपर डायमंड का इस्तेमाल गहनों में भी किया जाए। हालांकि, वर्तमान में इसका मुख्य ध्यान औद्योगिक उपयोग पर है लेकिन जैसे-जैसे तकनीकि विकसित होगी,  इसे ज्वैलरी बनाने में भी यूज कर सकते हैं। 

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