ताइवान के पास चीन अपनी सैन्य ताकत लगातार बढ़ाता जा रहा है। अब नई सैटेलाइट तस्वीरों में चीन की सबमरीन फ्लीट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। तस्वीरों से पता चलता है कि चीन की नौसेना, खासकर उसकी न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन्स ताइवान के पास तेजी से बढ़ रही हैं।
यूएस सन ने गूगल मैप्स से ली सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बताया है कि चीन की सबमरीन किंगदाओ के पास नेवी बेस पर देखी गई हैं। यहां कम से कम 6 न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन्स देखी गईं हैं। यह बेस येलो सी के पास है, ताइवान, जापान और साउथ कोरिया के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है।
ऑस्ट्रेलिया के एक विश्लेषक एलेक्स लक ने X पर इन तस्वीरों को साझा किया है। उन्होंने तस्वीरें साझा कर बताया है कि ताइवान के पास चीन की 5 सबमरीन्स हैं, जो हथियारों से लैस है। इनमें दो Type 091 और दो Type 093A सबमरीन हैं। तस्वीरों में चीन की एकमात्र Type 092 बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन को भी देखा जा रहा है, जिसे अब Type 094 में रिप्लेस कर दिया गया है।
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चीन से लड़ने की तैयारी में जुटा ताइवान!
एक तरफ, चीन अपनी परमाणु सबमरीन की संख्या तेजी से बढ़ा है तो दूसरी तरफ ताइवान भी उससे लड़ने की तैयारी में जुटा है। पिछले महीने ही ताइवान ने अंदेशा जताया था कि 2027 में चीन उस पर हमला कर सकता है। इसे देखते हुए ताइवान 14 दिन की मिलिट्री ड्रिल भी कर रहा है। इस दौरान ताइवान M1A2T टैंक, HIMARS रॉकेट और एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की टेस्टिंग भी करेगा। ताइवान के रक्षा मंत्री विलिंगटन कू ने कहा था कि यह मिलिट्री ड्रील 2027 में चीन के संभावित हमले से बचने की तैयारी के लिए की जा रही है।
चीन के पास कितनी पनडुब्बियां?
चीन के पास कुल 59 सबमरीन्स हैं, जिनमें न्यूक्लियर और डीजल-इलेक्ट्रिक दोनों शामिल हैं। न्यूक्लियर सबमरीन्स में Type 091 और Type 093A सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि यह लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती हैं और बैलिस्टिक मिसाइल्स लॉन्च कर सकती हैं। इसके अलावा, चीन की नौसेना के पास 370 से ज्यादा जंगी जहाज हैं। 2030 तक चीन के पास 425 वॉरशिप्स होने का अनुमान है।
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चीन और ताइवान में किस बात पर है लड़ाई?
चीन और ताइवान कभी एक ही हुआ करते थे लेकिन 1949 में यह दो अलग-अलग मुल्क बन गए। 1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' तो ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा। चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। जबकि, ताइवान खुद को अलग देश मानता है। उसका अपना संविधान है। उसकी अपनी सरकार है। चीन का कहना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा जरूर बनेगा। यही कारण है कि चीन बार-बार ताइवान के पास मिलिट्री ड्रील करके उसे डराने-धमकाने की कोशिश करता है।