डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को रेसिप्रोकल की घोषणा क्या की कि पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया। इसको लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। एक्सपर्ट्स ने अपनी अपनी राय भी देनी शुरू कर दी। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया तो वहीं चीन के ऊपर 34 प्रतिशत का। वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों पर भी हाई टैरिफ लगाने का डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया।
अब ट्रंप के इस कदम की प्रतिक्रिया दिखनी शुरू हो गई है। अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ पर पलटवार करते हुए चीन ने 34 अतिरिक्ट टैक्स अमेरिकी सामान पर लगाने की घोषणा की है। चीन ने कहा कि यह टैरिफ 10 अप्रैल से लगाया जाएगा।
यह भी पढ़ेंः डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने का तरीका क्या है? देशों पर क्या होगा असर
क्या कहता है चीन?
इसके अलावा चीन ने हाई-टेक प्रोडक्ट्स में प्रयोग किए जाने वाले भारी और रेयर अर्थ मटीरियल पर 4 अप्रैल से ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'चीन सरकार द्वारा कानून के अनुसार जरूरी वस्तुओं पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लागू करने का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की बेहतर सुरक्षा करना तथा परमाणु अप्रसार जैसे अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करना है।'
खबरों के मुताबिक चीन यह भी कोशिश कर रहा है कि 27 अमेरिकी कंपनियों को उन कंपनियों की लिस्ट में डालेगा जिन पर वह सैंक्शन लगाएगा या फिर एक्सपोर्ट कंट्रोल में लाएगा। चीन ने यह भी कहा कि वह डब्ल्यूटीओ में ट्रंप के इस कदम के खिलाफ लॉसूट डालेगा।
ट्रंप ने लागू किया था टैरिफ
ट्रम्प ने बुधवार को कुछ देशों पर ज्यादा टैक्स की दर के साथ आयात पर न्यूनतम 10% टैरिफ की घोषणा की। इस घोषणा ने पूरी दुनिया की बाजारो को हिला के रख दिया। ये टैरिफ 10 प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक लगाए गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया, चीन पर 34%, वियतनाम पर 46% और ब्रिटेन पर 10% टैरिफ लगाया। वहीं, यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगाया, जबकि कंबोडिया पर 49% टैरिफ लगाया गया है। दक्षिण कोरिया से आयात पर 25% टैरिफ लगेगा।
यह भी पढ़ेंः टैरिफ का असर, अमेरिकी स्टॉक मार्केट लुढ़का, कई कंपनियों को भारी नुकसान
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में टैरिफ की घोषणा करते हुए कहा, 'करदाताओं को 50 से अधिक वर्षों से ठगा जा रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है।'
ब्लूमबर्ग के अनुसार, हालिया टैरिफ सभी चीनी उत्पादों पर औसत अमेरिकी टैरिफ को 65% तक बढ़ा देते हैं। इस दर में पहले ट्रम्प कार्यकाल के मौजूदा टैरिफ शामिल हैं जिन्हें पिछले बाइडेन प्रशासन द्वारा बनाए रखा गया था।