अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों दुनिया के 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इसमें चीन का भी नाम शामिल है। अमेरिका के इस फैसले का ड्रैगन ने खुले मंच से विरोध करते हुए ट्रंप को चुनौती दी है। इसी बीच अमेरिका ने चीन के ऊपर 245 फीसदी का भारी-भरकम टैरफ लगा दिया। मगर अब चीन बीच का रास्ता तलाश रहा है।
चीन ने अमेरिका के साथ कुछ शर्तों के साथ में ट्रेड टॉक फिर से शुरू करने की इच्छा जताई। चीन ने अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि वह 'लड़ने से नहीं डरता'। हालांकि, चीन ने कहा कि अगर अमेरिका इस मामले को सुलझाना चाहता है, तो उसे समानता, सम्मान और एक दूसरे के फायदे के आधार पर बात करनी चाहिए।
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धमकी देना बंद करे अमेरिका- चीन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, 'अगर अमेरिका वास्तव में इस मुद्दे को हल करना चाहता है, तो उसे धमकी देना बंद कर देना चाहिए और समानता, सम्मान और पारस्परिक फायदे के आधार पर चीन से बात करनी चाहिए।'
चीन की प्रमुख मांगें क्या हैं?
- अमेरिका की तरफ से चीन के लिए की जा रहीं अपमानजनक बयानों पर रोक लगाई जाए।
- व्यापार मामलों पर अमेरिका एक समान रुख अपनाए।
- अमेरिकी प्रतिबंधों और ताइवान पर अमेरिकी नीति के बारे में चीन की चिंताओं का समाधान किया जाए।
- डोनाल्ड ट्रंप से स्पष्ट समर्थन प्राप्त एक प्रमुख वार्ताकार की नियुक्ति की जाए। अमेरिका ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करे, जो दोनों देशों के बीच समझौता तैयार करने में सक्षम हो। ताकि जिसपर ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ही औपचारिक रूप से हस्ताक्षर कर सकें।
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चीन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया
चीन ने अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर के विवाद के बीच ही बुधवार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया। चीन ने यह कदम अमेरिका के उस बयान के बाद उठाया है जिसमें डोनाल्ड ट्रंप कहा था कि टैरिफ गतिरोध को खत्म करने के लिए समझौता करने की जिम्मेदारी अब चीन पर है। दरअसल, चीन को अब अमेरिका में आयात पर 245% तक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ली चेंगगांग को वांग शॉवेन की जगह तरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया गया है। शॉवेन ने चीन और अमेरिका के बीच 2020 के व्यापार समझौते के लिए व्यापार वार्ता में चीन का प्रतिनिधित्व किया था। विश्लेषकों का कहना है कि ली चेंगगांग की नियुक्ति को चीन पर भारी टैरिफ के बीच ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत शुरू करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।