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ट्रंप ने क्यों रोकी हार्वर्ड की $2.3 अरब की फंडिंग? क्या होगा इम्पैक्ट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.3 अरब डॉलर की फंडिंग रोक दी है। उन्होंने हार्वर्ड को मिलने वाली टैक्स छूट को भी खत्म करने की धमकी है। ऐसे में जानते हैं कि ट्रंप ने यह कदम क्यों उठाया और इसका असर क्या होगा?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (Photo Credit: PTI/Harvard)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की फंडिंग को फ्रीज कर दिया है। ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड को दी जाने वाली 2.3 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपये) की फंडिंग रोक दी है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर हार्वर्ड ने उनकी मांगों को नहीं माना तो उसकी टैक्स छूट को भी खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि, हार्वर्ड ने साफ कर दिया है कि वह ट्रंप की मांगों को नहीं मानेगा।


हार्वर्ड अमेरिका की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है। अमेरिका के 8 राष्ट्रपति भी हार्वर्ड से ही पढ़कर निकले हैं, जिनमें जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा भी शामिल है। 


हालांकि, ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद ही अमेरिका की यूनिवर्सिटी पर लगाम लगाना शुरू कर दिया था। इससे पहले ट्रंप सरकार ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली 40 करोड़ डॉलर की फंडिंग भी रोक दी थी। बाद में जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने मांगों को मान लिया था।

 

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क्या हैं ट्रंप सरकार की मांगें?

  • शिक्षकों-कर्मचारियों की भर्ती और एडमिशन प्रोसेस में जाति, लिंग, धर्म या बाकी डेमोग्राफिक फैक्टर्स को ध्यान में रखना बंद कर दें।
  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अपनी भर्ती और एडमिशन प्रोसेस का ऑडिट करवाए। यह ऑडिट सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था ही करेगी।
  • यहूदी विरोधी भावनाओं को खत्म करने के लिए इजरायल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • प्रशासनिक ढांचे का नए सिरे से गठन किया जाए और ऊंचे पदों पर उन लोगों की नियुक्ति करे जो सरकार की मांगों को माने और उसका पालन करे।

हार्वर्ड ने क्या कहा?

हार्वर्ड ने ट्रंप सरकार की इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया है। हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने सोमवार को एक चिट्ठी में लिखा, 'यह मांगें यूनिवर्सिटी के संविधान का उल्लंघन करती हैं और सरकार के अधिकारों की सीमाओं को पार करती है।'

 


गार्बर ने लिखा, 'कोई भी सरकार, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो, वह किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी को यही नहीं बता सकती कि उसे किसे भर्ती करना है, किसे एडमिशन देना है और क्या पढ़ाना है।'

 

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ओबामा ने की हार्वर्ड की तारीफ

हार्वर्ड से ही पढ़कर निकले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हार्वर्ड सरकार के इस फैसले की तारीफ की है। साथ ही ट्रंप सरकार की तरफ से फंडिंग रोकने की आलोचना की है।

 


ओबामा ने X पर लिखा, 'शैक्षणिक स्वतंत्रता को दबाने के एक गैरकानूनी और अमानवीय कोशिश को खारिज कर हार्वर्ड ने अमेरिका की दूसरी यूनिवर्सिटीज के लिए एग्जांपल सेट कर दिया है। उम्मीद करते हैं कि बाकी संस्थान भी ऐसा ही करेंगे।'

मगर किया क्यों गया?

दरअसल, 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल और हमास की जंग शुरू होने के बाद अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी में इजरायल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी इस तरह के प्रदर्शन हुए। इस दौरान हार्वर्ड के मैनेजमेंट पर यहूदी छात्रों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम रहने के आरोप भी लगे।


फंडिंग फ्रीज करने का ऐलान करते हुए अमेरिका के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने लिखा, 'यहूदी छात्रों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अगर वह फंडिंग जारी रखना चाहते हैं तो इस समस्या को गंभीरता से लें और बदलाव करें।'


इस पर हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा कि कैंपस में यहूदी विरोधी भावनाओं को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'सरकार की कुछ मांगों का मकस यहूदी विरोधी भावनाओं से निपटना है लेकिन ज्यादातर मांगें हार्वर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करती हैं।'

 

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हार्वर्ड पर क्या होगा इसका असर?

फिलहाल तो हार्वर्ड पर फंडिंग रुकने का कुछ खास असर नहीं होगा, क्योंकि यूनिवर्सिटी के पास 53 अरब डॉलर से ज्यादा का एंडोमेंट फंड है, जो उसे कुछ वक्त तक वित्तीय संकट से बचा सकता है। 


हालांकि, अगर फंडिंग लंबे वक्त तक रुकती है तो इसका बड़े पैमाने पर असर हो सकता है। दरअसल, हार्वर्ड को जो फंडिंग मिलती है, उसका इस्तेमाल साइंस, मेडिकल और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च पर होता है। इसके अलावा, इस फंडिंग से छात्रों को स्कॉलरशिप और फेलोशिप भी मिलती है। फंडिंग रुकने से ऐसे छात्रों पर असर पड़ सकता है।

 


इतना ही नहीं, ट्रंप ने हार्वर्ड को मिलने वाली टैक्स छूट को भी खत्म करने की धमकी दी है। अभी अमेरिका में कई सारी यूनिवर्सिटीज और धार्मिक संस्थाओं को टैक्स में छूट मिलती है। हार्वर्ड को अपने एंडोमेंट फंड से जो कमाई होती है, उस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। हार्वर्ड को अपने एंडोमेंट से हर साल अरबों डॉलर की कमाई होती है। इसके अलावा, हार्वर्ड को अभी प्रॉपर्टी टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। बोस्टन और कैंब्रिज में हार्वर्ड की 12.7 अरब डॉलर की संपत्तियां हैं। इसके अलावा, हार्वर्ड हर साल कुछ बॉन्ड्स जारी करता है, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता। 


अगर ट्रंप सरकार हार्वर्ड की टैक्स छूट को खत्म करती है तो इससे उसे हर साल कम से कम 50 करोड़ डॉलर का टैक्स भरना होगा। फंडिंग रुकने और टैक्स छूट खत्म होने से हार्वर्ड पर वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है।

 

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अमेरिका पर भी होगा असर?

हार्वर्ड अमेरिका की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है। इसकी स्थापनी 8 सितंबर 1636 को हुई थी। 1639 में इसका नाम जॉन हार्वर्ड के नाम पर रखा गया। जॉन हार्वर्ड ने अपनी आधी से ज्यादा संपत्ति और लाइब्रेरी इस यूनिवर्सिटी को दान में दे दी थी। 


अमेरिका के 8 राष्ट्रपति- जॉन एडम्स, जॉन क्विंसी एडम्स, रदरफोर्ड बी. हेस, थियोडोर रूजवेल्ट, फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट, जॉन एफ. कैनेडी, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही छात्र रहे हैं। साल 2000 के बाद से अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के 8 चीफ जस्टिस में 4 ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।


हालांकि, अब ट्रंप सरकार ने जिस तरह से फंडिंग रोकने का फैसला लिया है, उसकी आलोचना की जा रही है। ट्रंप सरकार पर शैक्षणिक संस्थानों पर अपना एजेंडा थोपने के आरोप लग रहे हैं। जानकारों का मानना है कि हार्वर्ड समेत यूनिवर्सिटीज की फंडिंग रोकने से अमेरिका का ही नुकसान होगा।


दरअसल, सरकाीर फंडिंग की बदौलत इन यूनिवर्सिटीज में कई क्षेत्रों में रिसर्च होती है। फंडिंग रुकने से इन रिसर्च पर सीधा असर पड़ेगा। 


इसे ऐसे समझिए कि 1957 में जब सोवियत संघ (अब रूस) ने स्पूतनिक सैटेलाइट लॉन्च की थी तो इससे अमेरिका को बड़ा झटका लगा था। इसके बाद अमेरिका ने अपनी यूनिवर्सिटीज को भारी-भरकम फंडिंग की। उसके बाद से ही चाहे mRNA वैक्सीन हो या AI तकनीक, यह सारी खोजें अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में ही हुई हैं। 


फंडिंग रुकने से रिसर्च और इनोवेशन पर असर पड़ेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इससे चीन और रूस जैसे देशों को फायदा हो सकता है, जो तकनीक पर लगातार काम कर रहे हैं।

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