logo

ट्रेंडिंग:

ट्रंप के नए ऑर्डर से कैसे बढ़ सकती है भारतीय दवा कंपनियों की मुश्किल?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों में 59% की कटौती करने वाले एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए हैं। ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकियों को फायदा होगा। ऐसे में जानते हैं कि ट्रंप के इस फैसले से भारत पर क्या असर पड़ेगा?

donald trump

डोनाल्ड ट्रंप। (File Photo Credit: PTI)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब एक नया एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पास किया है। इससे अमेरिका में दवा की कीमतों में 59 फीसदी तक कम हो जाएंगी। ट्रंप का दावा है कि कुछ-कुछ मामलों में दवा की कीमतें 80 से 90 फीसदी तक कम होंगी। ट्रंप ने आरोप लगाया कि यूरोपीय कंपनी अपने लोगों को सस्ती दवाएं बेचती हैं और मुनाफा कमाने के लिए अमेरिका में कीमतें बढ़ा देती हैं।


ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'मैं एक मोस्ट फेवर्ड नेशन की पॉलिसी लागू करूंगा, जिसके तहत अमेरिका उसी कीमत पर दवा खरीदेगा, जिस कीमत पर वह अपने देश में बेचते हैं।' 


ट्रंप ने दावा करते हुए कहा, 'अमेरिका में भले ही दुनिया की सिर्फ 4% आबादी रहती है लेकिन दवा कंपनियां अपने मुनाफे का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा अमेरिका में कमाती हैं।' उन्होंने यूरोपियन यूनियन की दवा कंपनियों को 'क्रूर' बताया है। 

 

यह भी पढ़ें-- पीएम मोदी के संबोधन पर क्या कह रहे हैं पाकिस्तान के नेता?

ट्रंप ने क्यों लिया यह फैसला?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि यूरोपियन कंपनियां अपने देशों में सस्ती दवाएं बेचती हैं लेकिन अमेरिका में इसकी कीमतें बढ़ा देती हैं। ट्रंप ने कहा, 'सबको बराबर कीमत चुकानी चाहिए'। ट्रंप ने कहा कि दवाओं की कीमतें कम करने के लिए अगर कंपनियों ने 30 दिन में कुछ नहीं किया तो और सख्त कार्रवाई की जाएगी।


ट्रंप ने वेट लॉस करने वाले इंजेक्शन का उदाहरण दिया। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि लंदन में वेट लॉस इंजेक्शन की कीमत 88 डॉलर है जबकि अमेरिका में इसकी कीमत 1,300 डॉलर है।

 


राष्ट्रपति ट्रंप ने आदेश में कहा है कि डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर पर्चेजिंग प्रोग्राम बनाने पर विचार करें, ताकि दूसरे देशों में जिस कीमत पर दवा मिल रही है, उसी कीमत पर अमेरिका में भी मिल सके।


अमेरिकी संसद ने पिछले साल अक्टूबर में अनुमान लगाया था कि विदेश में बिक रही दवाओं की कीमतों के आधार पर 'मैक्सिमम प्राइस' तय करने अमेरिका में बिकने वाली दवाओं की कीमतों में औसतन 5 फीसदी की कमी आएगी।

 

यह भी पढ़ें-- अमेरिका की धमकी और इंदिरा गांधी की जिद, 1971 की जंग की कहानी

क्या इससे वाकई कुछ फायदा होगा?

ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकियों को फायदा होगा। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इससे बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद नहीं है।


PhRMA के सीईओ स्टीफन उबल ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इससे मरीजों को मदद मिलेगी या दवाओं तक उनकी पहुंच में सुधार होगा। उन्होंने कहा, 'इससे अरबों डॉलर का नुकसान होगा। इस कारण हम नई दवाओं के लिए चीन पर पहले से ज्यादा निर्भर हो जाएगे।'


फार्मा इंडस्ट्री का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले से विदेशी सरकारों को अमेरिका में दवाओं की कीमतें तय करने में 'अपर हैंड' मिल जाएगा।

 


माना जा रहा है कि ट्रंप के इस फैसले से सिर्फ उन दवाओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है, जो मेडिकेयर पार्ट B में कवर होती हैं। मेडिकेयर एक तरह का बीमा है, जिससे डॉक्टरों के पास जाने वाले मरीजों को दवाओं में कुछ छूट मिलती है। इसका सारा खर्च अमेरिकी सरकार उठाती है। ट्रंप सरकार के पहले कार्यकाल की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में मेडिकल पार्ट B की दवाओं पर सरकार ने 33 अरब डॉलर खर्च किए थे।


ट्रंप का कहना है कि इससे अमेरिकियों को फायदा होगा। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इससे सिर्फ अस्पतालों और मेडिकेयर में आने वाली दवाओं पर ही असर पड़ेगा। मेडिकेयर में लगभग 7 करोड़ बुजुर्गों को कवर किया गया है। जानकारों का कहना है कि बेशक इससे सरकार के खर्च में कटौती आएगी लेकिन फार्मेसी में बिकने वाली दवाओं की कीमतों पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा।

 

यह भी पढ़ें-- बदला पूरा, PAK को सबक; ऑपरेशन सिंदूर से भारत को क्या मिला?

भारत पर क्या पड़ेगा असर?

भारत की फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका बड़ा बाजार है। भारत हर साल करीब 40 अरब डॉलर के फार्मा प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करता है। इसमें से 10 से 12 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट सिर्फ अमेरिका को होता है। 


फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका का फार्मा मार्केट की कुल वैल्यू 96 अरब डॉलर है। इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 11% है लेकिन 40% मार्केट पर भारतीय कंपनियों का कब्जा है। इससे पता चलता है कि भारत की दवाएं काफी सस्ती हैं। 


ट्रंप के इस फैसले से फार्मा कंपनियों पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट शशांक कृष्णकुमार ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया, 'जेनेरिक दवाओं की कीमतें पहले से ही काफी कम हैं। अगर दवाओं की कीमतें 80% तक कम हो जाती हैं तो ऐसे में भारतीय कंपनियां अमेरिका को आपूर्ति नहीं कर पाएंगी।'


भारत की सन फार्मा, बायोकॉन और जायडस लाइफ जैसी कंपनियां अमेरिका में दवाएं बेचती हैं। दवाओं की कीमतें कम होने से इनका मुनाफा कम हो सकता है। माना जा रहा है कि ऐसी स्थिति में कंपनियां अपना मुनाफे के लिए भारत में दवाएं महंगी कर सकती हैं। कुल मिलाकर, ट्रंप के फैसले से भारत पर दो असर पड़ेंगे। पहला यह कि भारतीय कंपनियों को या तो अमेरिकी बाजार छोड़ना पड़ेगा। और दूसरा यह कि अमेरिकी बाजार में बने रहने के लिए भारत में दवाएं महंगा करना पड़ेगा।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap