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क्या ईरान में सत्ता परिवर्तन की प्लानिंग कर रहे हैं ट्रंप?

इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिकी की एंट्री के बाद मिडिल ईस्ट में संकट और ज्यादा गहरा होता हा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ईरान में सत्ता परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता?

Donald Trump । Photo Credit: PTI

डोनाल्ड ट्रंप । Photo Credit: PTI

इजरायल और ईरान के बीच युद्ध एक नए मोड़ पर आ चुका है। इसमें अमेरिका की एंट्री हो चुकी है और रूस ने भी यह कहकर कि ईरान को कई देश परमाणु हथियार देने को तैयार हैं, अपनी अप्रत्यक्ष एंट्री की घोषणा कर दी है। अमेरिका ने हमला करके ईरान के तीन न्यूक्लियर फेसिलिटी को तबाह करने की कोशिश की। ईरान ने भी कहा कि अमेरिका ने यूएन चार्टर का उल्लंघन किया है और सही समय पर इसका जवाब दिया जाएगा।

 

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना पर सवाल उठाया। यह बयान अमेरिका ने ईरान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद आया है। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर लिखा, ‘सत्ता परिवर्तन शब्द का इस्तेमाल करना राजनीतिक रूप से सही नहीं माना जाता, लेकिन अगर ईरान की मौजूदा सत्ता या शासन 'मेक ईरान ग्रेट अगेन' यानी कि 'ईरान को फिर से महान' नहीं बना सकता, तो शासन परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता???’

 

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शनिवार को अमेरिका ने ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर साइट के ऊपर पहाड़ में 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम दागे। इसके जवाब में तेहरान ने कहा कि वह हर कीमत पर अपनी रक्षा करेगा। ईरान और इजरायल के बीच मिसाइल हमले जारी हैं। पश्चिमी ईरान में एक विस्फोट में छह सैनिकों की मौत हो गई, जबकि इससे पहले ईरान की मिसाइलों ने तेल अवीव में कई इमारतों को तबाह कर दिया और दर्जनों लोग घायल हो गए।

अमेरिका की चेतावनी

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने लेबनान में अपने कर्मचारियों के परिवारों को देश छोड़ने का आदेश दिया और क्षेत्र के अन्य नागरिकों को सावधानी बरतने या सीमित यात्रा करने की सलाह दी। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने देश में ‘खतरे के बढ़ते माहौल’ की चेतावनी दी। न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन जैसे बड़े शहरों में पुलिस ने धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनयिक स्थलों पर गश्त बढ़ा दी है।

 

ईरान ने अभी तक अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की धमकी को अंजाम नहीं दिया, जैसे कि अमेरिकी ठिकानों पर हमला या वैश्विक तेल आपूर्ति को रोकना। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस्तांबुल में कहा, ‘अमेरिका ने दिखाया कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान नहीं करता। वह केवल धमकी और ताकत की भाषा समझता है।’ उन्होंने कहा कि जवाबी कार्रवाई के बिना कूटनीति की वापसी नहीं होगी।

नुकसान का पता नहीं

ट्रंप ने हमलों को ‘शानदार सैन्य सफलता’ बताया और दावा किया कि ईरान के प्रमुख न्यूक्लियर संवर्धन केंद्र ‘पूरी तरह नष्ट’ हो गए। लेकिन उनके अपने अधिकारियों ने ज्यादा बेहतर आकलन किया। फोर्डो के पास पहाड़ पर गड्ढों की सैटेलाइट तस्वीरों को छोड़कर, नुकसान का कोई सार्वजनिक डीटेल नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था, IAEA, ने कहा कि हमलों के बाद क्षेत्र में रेडिएशन स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई।

 

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होर्मुज स्ट्रेट पर खतरा

ईरान की संसद ने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। यहां से वैश्विक तेल का लगभग एक-चौथाई हिस्सा गुजरता है। यह जलमार्ग ईरान, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच है। ईरान की प्रेस टीवी के अनुसार, इसे बंद करने के लिए सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मंजूरी चाहिए। अगर ईरान ऐसा करता है, तो वैश्विक तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है और अमेरिकी नौसेना की पांचवीं फ्लीट के साथ संघर्ष तय माना जा रहा है, जो इस जलमार्ग को खुला रखने के लिए तैनात है। सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कमजोर ईरान बम विस्फोटों या साइबर हमलों जैसे गैर-पारंपरिक तरीकों से जवाब दे सकता है।

 

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