ट्रंप को मिल गया जेलेंस्की का खजाना, US-यूक्रेन में हुई मिनरल डील
कई महीनों की तनातनी और असहमति के बाद आखिरकार अमेरिका और यूक्रेन के बीच मिनरल डील हो गई है। अमेरिका और यूक्रेन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की। (AI Generated Image)
अमेरिका और यूक्रेन के बीच मिनरल डील को लेकर बात आखिर बन ही गई। कई हफ्तों की बातचीत और तनाव के बीच आखिरकार दोनों देश एक समझौते पर पहुंच गए हैं। बुधवार को इस समझौते पर दस्तखत भी हो गए। इस समझौते के बाद अब अमेरिका की यूक्रेन के खनिजों तक पहुंच हो जाएगी।
इस डील को लेकर अमेरिका और यूक्रेन के बीच जनवरी से बातचीत चल रही थी। फरवरी के आखिर में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अमेरिका भी गए थे लेकिन वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से तनातनी हो गई थी। इसके बाद जेलेंस्की अमेरिका का दौरा रद्द कर लौट आए थे।
हालांकि, इसके बाद भी दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही थी। हाल ही में पोप फ्रांसिस की अंतिम विदाई के दौरान वेटिकन में ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात को ट्रंप ने 'शानदार' बताया था।
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अब क्या डील हुई है?
अमेरिका और यूक्रेन एक 'रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड' बनाने पर राजी हुए हैं। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने बताया है कि दोनों देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। यूक्रेन की आर्थिक मंत्री यूलिया स्विरीडेन्को ने इस पर दस्तखत किए हैं।
ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एक बयान जारी कर कहा, 'जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका इस क्रूर और निरर्थक युद्ध को खत्म करने में मदद करने के लिए कमिटेड है।'
On April 30, the United States and Ukraine signed an agreement to establish the United States-Ukraine Reconstruction Investment Fund.
— Treasury Department (@USTreasury) April 30, 2025
This historic economic partnership clearly signals the Trump Administration’s commitment to a free, sovereign, and prosperous Ukraine. pic.twitter.com/cKUACUhet9
उन्होंने कहा, 'इस समझौते से रूस को साफ संदेश मिल गया है कि ट्रंप सरकार एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन पर केंद्रित शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है।' उन्होंने कहा कि 'कोई भी देश या व्यक्ति, जिसने रूस की वॉर मशीन को फंडिंग या सप्लाई की है, उसे यूक्रेन के पुनर्निर्माण से लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।'
यूक्रेन की आर्थिक मंत्री यूलिया स्विरीडेन्को ने बताया कि खनिजों का पूरा मालिकाना हक और नियंत्रण यूक्रेन के पास ही रहेगा। उन्होंने कहा, 'यह यूक्रेन तय करेगा कि कहां से क्या निकालना है। खनिजों का पूरा मालिकाना हक यूक्रेन के पास रहेगा, इसका समझौते में साफ तौर पर जिक्र किया गया है।'
3. National assets are protected.
— Yulia Svyrydenko (@Svyrydenko_Y) April 30, 2025
The Agreement does not alter privatization processes or the management of state-owned companies — they will remain Ukrainian. Companies such as Ukrnafta and Energoatom will stay in state ownership.
डील होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इससे अमेरिका को और ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने अपनी बात दोहराते हुए कहा, 'बाइडेन ने यूक्रेनको 350 अरब डॉलर दिए हैं। अब हमने ऐसी डील की है, जिससे हमें और ज्यादा फायदा होगा।'
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इस डील से किसे क्या मिला?
- अमेरिका कोः इस डील से अमेरिका को यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ खनिजों तक पहुंच मिल जाएगी। अब तक अमेरिका इसके लिए चीन पर निर्भर था। मगर इस डील के बाद वह यूक्रेन से यह खनिज लेगा।
- यूक्रेन कोः रूस के साथ तीन साल से जंग लड़ रहे यूक्रेन को अब अमेरिका की मदद मिलती रहेगी। इसके साथ ही युद्ध से तबाह हो चुके यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भी अमेरिका मदद करेगा। हालांकि, यूक्रेन सुरक्षा की गारंटी भी मांग रहा था, जिस पर सहमति नहीं बन सकी।
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कितना बड़ा है यूक्रेन का खनिजों का खजाना?
अभी दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स पर चीन का दबदबा है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 60-70 फीसदी खनिजों का उत्पादन चीन में ही होता है। दुनिया के 90 फीसदी रेयर मिनरल्स चीन में ही प्रोसेस होते हैं। ग्लोबल सप्लाई में भी चीन आगे है। अमेरिका भी इन मिनरल्स के लिए चीन पर निर्भर है। ट्रंप चीन पर इस निर्भरता को कम करना चाहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन के पास उन 30 में से 21 खनिजों का भंडार है, जिन्हें 'रेयर' यानी 'दुर्लभ' माना जाता है। रेयर मिनरल्स का 5 फीसदी भंडार यूक्रेन के पास ही है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूक्रेन के पास सेरियम, डिस्प्रोसियम, अर्बियम, यूरोपियम, गैडोलीनियम, होल्मियम, लैंथेनम, ल्यूटेटियम, नियोडिमियम, प्रेसियोडीमियम, प्रोमेथियम, समैरियम, स्कैंडिंयम, टेरबियम, थ्यूलियम, येटरबियम और इट्रियम जैसे दुर्लभ खनिज हैं। इन खनिजों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार जैसे सामान बनाने में किया जाता है।
यूक्रेन के पास 1.90 करोड़ टन का ग्रेफाइट का भंडार भी है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बनाने में किया जाता है।
रूस के साथ जंग शुरू होने से पहले यूक्रेन ने टाइटेनियम का उत्पादन भी शुरू किया था, जिसका इस्तेमाल हवाई जहाज से लेकर बिजली स्टेशनों तक में किया जाता है।
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