अमेरिका की एक और फेडरल कोर्ट के जज ने ट्रंप सरकार को झटका दिया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दिए जाने फंड में कटौती का फैसला किया था। अब कोर्ट ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन हार्वर्ड के फंड में 2.6 अरब डॉलर की कटौती वाले अपने फैसले को वापस ले। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने फेडरल कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने का मन बना लिया है। व्हाइट हाउस की ओर से इसकी पुष्टि भी की गई है कि इस फैसले को चुनौती दी जाएगी। ऐसे में यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।
ट्रंप प्रशासन सबसे पहले इस फैसले को फर्स्ट सर्किट कोर्ट में चुनौती दे सकता है। सरकार मांग कर सकती है कि फेडरल कोर्ट के इस फैसले पर तत्काल स्टे लगाया जाए। हालांकि, सर्किट कोर्ट पहले इस तरह की मांगों को खारिज भी कर चुकी है। सर्किट कोर्ट से अगर यह मांग खारिज हो जाती है तो यह केस सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। पहले भी इस तरह के कई मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं।
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कोर्ट ने क्या कहा?
बोस्टन के जिला न्यायाधीश एलिसन बरोज ने बुधवार को फैसला सुनाया कि ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी के प्रशासन और नीतियों में परिवर्तन की मांग की और जब यूनिवर्सिटी ने उसे ठुकरा दिया तो बदले के तौर पर इस तरह की कटौती की गई। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हार्वर्ड के अनुदान में कटौती का कारण यहूदी-विरोधी भावना से निपटने में देरी को बताया था। हालांकि, जज ने कहा कि यूनिवर्सिटी के शोध का यहूदियों के विरुद्ध भेदभाव से कोई संबंध नहीं है।
जज एलिसन बरोज ने अपने फैसले में लिखा, ‘प्रशासनिक रिकॉर्ड की समीक्षा करके यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल है कि (सरकार ने) देश की प्रमुख यूनिवर्सिटी को निशाना बनाने के लिए यहूदी-विरोधी भावना के इस्तेमाल के अलावा अन्य कोई कारण है।' उन्होंने लिखा कि देश को यहूदी-विरोध से लड़ना होगा लेकिन साथ ही उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की भी रक्षा करनी होगी।
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के आरोप
बता दें कि इसी केस में मुकदमा दायर करके ट्रंप प्रशासन पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ बदले की कार्रवाई वाला अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था। हार्वर्ड ने आरोप लगाए थे कि उसने 11 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन की कई मांगें नहीं मानी थीं इसलिए ऐसी कार्रवाई की गई। एक पत्र में यूनिवर्सिटी के अंदर विरोध प्रदर्शनों और शिक्षा, दाखिले से संबंधित व्यापक बदलावों की मांग की गई थी। इस पत्र का उद्देश्य सरकार के इन आरोपों से निपटना था कि यूनिवर्सिटी उदारवाद का केंद्र बन गई है और परिसर में यहूदी-विरोधी उत्पीड़न को बर्दाश्त किया जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन की मांगों को अस्वीकार करने के बाद इस साल 14 अप्रैल को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के संघीय अनुदान में कटौती कर दी गई थी।