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दुश्मन या दोस्त? चीन-अमेरिका के बारे में क्या सोचती है दुनिया?

चीन और अमेरिका के प्रति दुनियाभर के लोगों का नजरिया तेजी से बदल रहा है। जहां अमेरिका की छवि तेजी से नकारात्मक हो रही तो वहीं चीन की इमेज में सुधार देखने को मिल रहा है।

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चीन के प्रति लोगों का नजारिया बदल रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद कई देशों के लोगों का भरोसा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर बढ़ा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रति लोगों का नजरिया बिल्कुल उलट है। 2023 की तुलना में 2025 में ऐसी लोगों की संख्या बढ़ी है, जो चीन को अग्रणी आर्थिक शक्ति मानते हैं। दो साल पहले 25 देशों के अधिकांश युवा अमेरिका को दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्था मानते थे। मगर अब इन्हीं देशों के 41 फीसदी युवाओं का मानना है कि चीन दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्था है, जबकि 39% का मानना है कि अमेरिका शीर्ष पर है।

 

दुनियाभर के देशों में अमेरिका के प्रति भरोसा घट रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर ने 25 देशों में चीन और अमेरिका के प्रति लोगों के बीच बदलते नजरिए पर सर्वे किया। पिछले सर्वे की तुलना में 25 में से 15 देशों में चीन के प्रति लोगों का नजरिया सकारात्मक हुआ है।

 

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अमेरिका पर मेक्सिको को भरोसा नहीं

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका और मेक्सिको के बीच रिश्तों में खटास आई है। सर्वेक्षण के मुताबिक मेक्सिको के 45% युवाओं का मानना है कि अमेरिका की अपेक्षा चीन के साथ आर्थिक संबंध रखना अधिक जरूरी है। 10 साल पहले यानी 2015 में ऐसा सोचने वाले युवाओं का हिस्सा सिर्फ 15 फीसदी था। 2019 में यह 37 फीसदी हुआ, लेकिन मौजूदा आंकड़े से कम था। 

चीनी निवेश को अच्छा मानते यह देश

मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, इंडोनेशिया और केन्या जैसे देशों के युवा अपने देश में चीनी निवेश को अच्छा मानते हैं। हालांकि नाइजीरिया में चीन के प्रति नजरिया तेजी से निगेटिव हुआ है। तब भी इन देशों के युवाओं का मानना है कि अमेरिका की तुलना में चीनी निवेश अधिक अच्छा है। भारत में लोगों का सोचना अलग है। यहां अमेरिकी निवेश को अधिक बेहतर माना गया है। केन्या, नाइजीरिया, ब्राजील और इंडोनेशिया चीन के कर्ज को गंभीर समस्या मानते हैं। तमाम चिंताओं के बीच इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका ने चीन को अपना शीर्ष सहयोगी बताया है।

दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया में बदल रही चीन की छवि

2019 में 28 फीसदी दक्षिण अफ्रीकी युवाओं ने चीन को अहम सहयोगी माना था। मगर 2025 में 45 फीसदी लोगों का मानना है कि चीन दक्षिण अफ्रीका का महत्वपूर्ण सहयोगी है। ठीक इसी तरह इंडोनेशिया में जहां छह साल पहले सिर्फ 6 फीसदी लोग ही चीन को सहयोगी मानते हैं थे। अब यह आंकड़ा बढ़कर 16 फीसदी तक पहुंच गया है। 65 फीसदी दक्षिण अफ्रीकी जनता मानवाधिकार पर अमेरिकी नीतियों को गंभीर खतरे के तौर पर देखती है। 

  • इंडोनेशिया: साल 2019 में इंडोनेशिया के लोग अमेरिका की तुलना में चीन को ज्यादा बड़ा खतरा मानते थे। मगर 2025 में अब अमेरिका पहले नंबर पर आ चुका है। 
    दक्षिण अफ्रीका: यहां के लोगों का भी नजरिया पहले से काफी बदला है। यहां के अधिकांश युवाओं का मानना है कि उनके देश की खातिर अमेरिका आज चीन से बड़ा खतरा है।
    लैटिन अमेरिका: ब्राजील में 15 और अर्जेंटीना में 13 फीसदी लोग अमेरिका को पहला खतरा मानते हैं। उसके बाद चीन का नंबर आता है।  
    मेक्सिको: यहां 68 फीसदी युवा अमेरिका को सबसे बड़े खतरे के तौर पर देखते हैं। सिर्फ 5 फीसदी का मानना है कि उनके देश के लिए चीन खतरा है। 
    कनाडा: 2019 में 20 फीसदी कनाडाई अमेरिका को खतरा मानते थे। मगर 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 59 फीसदी तक पहुंच गया।

 

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चीन को बड़ा खतरा मानते हैं यह देश

64 फीसदी अमेरिकी आर्थिक और 61 फीसदी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से चीन को बड़ा खतरा मानते हैं। इटली और नाइजीरिया के लोग चीन को राष्ट्रीय सुरक्षा की अपेक्षा आर्थिक खतरा के तौर पर अधिक देखते हैं। जापान इकलौता देश है, जहां के लोग चीन को आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए खतरा मानते हैं।

 

भारत और दक्षिण कोरिया में एक तिहाई लोग चीन को पाकिस्तान के बाद सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। ऑस्ट्रेलिया के लगभग 50 फीसदी युवा चीन को खतरे के तौर पर देखते हैं। सर्वेक्षण में ओवरऑल चीन की छवि नकारात्मक है, लेकिन पिछले सर्वे की तुलना में लोगों का नजारिया तेजी से बदल रहा है। 

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