अपने अंदरूनी मोर्चे पर घिरे पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ जंग छेड़ दी है। दोनों देशों के बीच सीमा पर भीषण संघर्ष जारी है। 11 अक्तूबर को हुए संघर्ष में तालिबान ने दावा किया कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है। दूसरी तरफ पाकिस्तान ने 200 तालिबानी लड़ाकों को मारने का दावा किया। करीब दो दिन बाद 14 अक्टूबर की रात एक बार फिर पाकिस्तान सेना और तालिबान के बीच ताजा झड़प की शुरुआत हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को हुई झड़प में दोनों पक्षों में 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान को युद्ध करना आसान नहीं होगा। वह अपने घर में ही चार फ्रंट की लड़ाई रह रहा है। अगर पांचवां फ्रंट खुला तो पाकिस्तान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइये जानते हैं कि पाकिस्तान अपने ही घर में किन-किन मोर्चों पर घिरा है।
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बीएलए बना सिरदर्द
पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत दशकों से अलगाव की आग में झुलस रहा है। मौजूदा समय में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तानी सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इसी साल बीएलए ने जफर एक्सप्रेस ट्रेन को अगवा किया था। इसमें कई सैनिकों की जान गई थी। पाकिस्तान की सरकार ने 33 बीएलए के लड़ाकों को मारने का दावा किया था। एक आंकड़े के मुताबिक जनवरी से जून 2025 तक बीएलए के हमलों में करीब 700 पाकिस्तानी सैनिकों को मारा गया। 2024 में इस संगठन ने पाकिस्तान में 150 से ज्यादा हमले किए थे। वहीं 2025 में सिर्फ छह महीने में 286 हमलों को अंजाम दिया।
बीएलए पिछले दो दशक से बलूचिस्तान में सक्रिय है। इस संगठन ने पाकिस्तान सरकार और चीन के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है। इसका सपना पाकिस्तान से अलग होकर अपना एक देश बनाना है। बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत हैं, लेकिन उसकी आबादी सिर्फ 1.5 करोड़ है। 1947 में पाकिस्तान भारत से अलग हुआ। अगले साल 1948 में बलूचिस्तान पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया। तब से वहां अलगाववादी आंदोलन सक्रिय है। पाकिस्तान सेना के जुल्म की वजह से कई लोगों ने विद्रोह का रास्ता चुना। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न बलूचिस्तान पर चीन समेत अन्य देशों की नजरें हैं।
हिंसा की आग में झुलस रहा पंजाब
पाकिस्तान का पंजाब प्रांत भी इन दिनों हिंसा की चपेट में है। लाहौर और मुरीदके में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के कार्यकर्ताओं को वहां की पुलिस ने घेरकर निशाना बनाया। अब तक पांच लोगों की जान गई है और 100 से ज्यादा लोग घायल हैं। सड़कों पर बर्बादी का मंजर है। धुएं का गुबार उठ रहा है। चारों तरफ गोलियों की आवाज आ रही है। सड़क किनारे सैकड़ों जले वाहन खड़े हैं।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने फिलिस्तीनी नागरिकों के समर्थन में एक मार्च निकाला था। कार्यक्रम के मुताबिक उसके हजारों कार्यकर्ताओं को राजधानी इस्लामाबाद जाना था। यहां अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करता था। वहां पहुंचने से पहले पाकिस्तान की पुलिस ने लाहौर और मुरीदके में टीएलपी के कार्यकर्तओं को घेरकर फायरिंग की। एक विशेष ऑपरेशन चलाकर आंदोलन को दबाने की कोशिश की। पंजाब प्रांत में अब भी तनाव का माहौल है। पाकिस्तान की सरकार ने रावलपिंडी और इस्लामाबाद में इंटरनेट सेवा बंद कर दी। इस्लामाबाद को जाने वाली सड़कों पर बड़े-बड़े शिपिंग कंटेनर रखकर ब्लॉक किया गया है।
पीओजेके में भी सबकुछ ठीक नहीं
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में जनता सरकार के खिलाफ उतर चुकी है। इसी महीने पूरे पीओजेके में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। पाकिस्तान की सेना और पुलिस ने इन प्रदर्शनों को दबाने में दमन का सहारा लिया। हिंसक विरोध प्रदर्शन में 3 पुलिसकर्मी समेत 21 से अधिक लोगों की जान गई। पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAC) के नेता शौकत नवाज मीर ने की थी। पाकिस्तान सरकार पर मौलिक अधिकारों के हनन और दमन के आरोप लगे।
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पाकिस्तान पुलिस की दमनकारी कार्रवाई ने हिंसा को और भड़क दिया। कई लोगों की जान जाने के बाद पाकिस्तान सरकार को आखिर झुकना पड़ा और संयुक्त एक्शन कमेटी के साथ बातचीत के बाद आंदोलन थमा। मगर अब भी पीओजेके के लोगों को पाकिस्तान की सरकार पर भरोसा नहीं है।
खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी बना चुनौती
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जंग की वजह तहरीक-ए-तालिबान (TTP) है। यह संगठन पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सक्रिय है। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद टीटीपी ने पाकिस्तान में अपने हमलों की नई लहर शुरू की। यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक टीटीपी के पास करीब 30,000 से 35,000 लड़ाके हैं। पाकिस्तान को इस संगठन से अधिक किसी ने नुकसान नहीं पहुंचाया है। इस्लामाबाद पड़ोसी अफगानिस्तान पर टीटीपी को शरण देने का आरोप लगाता है। हालांकि तालिबान कई मौकों पर इससे इनकार कर चुका है।
7 अक्तूबर की रात पाकिस्तान की सेना ने टीटीपी को निशाना बनाकर अफगानिस्तान पर हवाई हमला किया। जवाब में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की कई सैन्य चौकियों को तबाह कर दिया। इस बीच टीटीपी ने भी पाकिस्तान सेना पर हमला शुरू कर दिया है। एक आंकड़े के मुताबिक टीटीपी ने साल 2022 में कुल 365 हमले किए। इसका मतलब रोजाना एक हमले को अंजाम दिया गया।