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कैसे केंद्र और राज्य की लड़ाई में सुलगा लॉस एंजेलिस? इनसाइड स्टोरी

कैलिफोर्निया के गवर्नर को प्रवासियों के प्रति उदार माना जाता है तो वहीं ट्रंप उनके खिलाफ सख्त हैं। राज्य और संघ के बीच सियासी तनातनी के बीच लॉस एंजेलिस हिंसा की चपेट में है।

Los Angeles Violence.

लॉस एंजेलिस हिंसा। (Photo Credit: Social Media)

केंद्र और राज्य की लड़ाई में अमेरिका का लॉस एंजेलिस शहर जल रहा है। कैलिफोर्निया राज्य में पड़ने वाला लॉस एंजेलिस अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। कैलिफोर्निया में ट्रंप के विरोधी दल डेमोक्रेटिक पार्टी का राज है। वहां फैली अराजकता और हिंसा में ट्रंप प्रशासन के सीधे दखल से राज्य सरकार में नाराजगी है। मामला ट्रंप के खिलाफ मुकदमेबाजी और गवर्नर की गिरफ्तारी तक पहुंच गया है। इस बीच लॉस एंजेलिस की सड़कों पर कारें धू-धूकर जल रही हैं। दुकानों को लूटा जा रहा है। तोड़फोड़ और अराजकता हर जगह फैली है। पूरे शहर में दंगाइयों का कब्जा है। मगर असली लड़ाई केंद्र और राज्य सरकारों के बीच चल रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस राजनीतिक लड़ाई के क्या मायने हैं, ट्रंप पर क्या आरोप हैं, गर्वनर से उनका क्यों 36 का आंकड़ा है? 

 

 

  • गवर्नर क्यों नाराज: कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम केंद्र की ट्रंप सरकार से बेहद नाराज है। इसकी वजह यह है कि हिंसा में उनकी मंजूरी के बिना ट्रंप सरकार ने लॉस एंजेलिस में नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती की। कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोन्टा का कहना है कि संघीय सरकार ने सैनिकों की तैनाती अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की। यह संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन है।

 

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  • बचाव की मुद्रा में ट्रंप: डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल गार्ड तैनात करने के अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। हमने सही काम किया है। जब यह पूछा गया कि आपके प्रशासन के खिलाफ कैलिफोर्निया में केस दर्ज किया जा रहा है तो उन्होंने कहा कि मुझे गवर्नर गैविन से समर्थन मिलने की उम्मीद है। 

 

  • ट्रंप के खिलाफ लामबंदी: लॉस एंजेलिस में नेशनल गार्ड की तैनाती का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। कोलिफोर्निया के गवर्नर ने ट्रंप के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने अन्य राज्यों के गवर्नरों से ट्रंप के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। कहा कि हमें नेशनल गार्ड की तैनाती का विरोध करना होगा। यह तानाशाही की तरफ उठाया गया कदम है, जो हमारे गणतंत्र की नींव को खतरे में डालेगा। हम इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते। 

केंद्र बनाम राज्य कैसे बना?

ट्रंप जहां अपने फैसले के बचाव में उतरे हैं तो दूसरी तरफ कैलिफोर्निया के गवर्नर ने उन पर अराजकता पैदा करने का आरोप लगाया। कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम और अटॉर्नी जनरल रॉब बोन्टा ने एलान किया कि लॉस एंजेलिस में सैकड़ों नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती के जवाब में ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। मुकदमे में ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ का नाम शामिल होगा। जवाब में ट्रंप ने गवर्नर गैविन न्यूसम को गिरफ्तार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा होगा अगर कैलिफोर्निया के गवर्नर को घोर अक्षमता के कारण गिरफ्तार कर लिया जाए।

ट्रंप पर क्या आरोप?

  • राज्य के अधिकारों और संसाधनों का दुरुपयोग करना।
  • संघीय कानून का उल्लंघन करना। 
  • राज्य की सहमति के बिना नेशनल गार्ड की तैनाती।
  • भय और आतंक पैदा करने का आरोप।
  • राजनीतिक उद्देश्य से अराजकता पैदा करना।
  • संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन का आरोप।

गेविन न्यूजॉम पर क्या आरोप?

  • प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कदम न उठाना।
  • लॉस एंजेलिस में आव्रजन एजेंटों पर हमले रोकने में अक्षम।
  • प्रदर्शनकारियों पर स्थानीय प्रशासन की ढिलाई।
  • राज्य पुलिस की प्रतिक्रिया बेहद सुस्त।

ट्रंप और गैविन के बीच क्यों 36 का आंकड़ा?

कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है। यहां डोनाल्ड ट्रंप की विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक के गेविन न्यूजॉम गवर्नर हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन और कमला हैरिस भी डेमोक्रेटिक पार्टी का हिस्सा हैं। गैविन को ट्रंप का मुखर आलोचक बना जाता है। ट्रंप और उनके बीच राजनीतिक मतभेद पुराने हैं। माना जा रहा है कि 2028 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में गैविन डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रमुख चेहरा होंगे। ट्रंप भी तीसरी बार चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। हालांकि उनके सामने कानूनी अड़चनें हैं। 

ट्रंप ने क्या विवादित किया?

लॉस एंजेलिस में अवैध प्रवासियों के खिलाफ आव्रजन कार्रवाई के बाद हिंसा भड़की। ट्रंप ने तुरंत कैलिफोर्निया के 2000 नेशनल गार्ड की तैनाती कर दी। 60 दिनों तक सैनिक यहां तैनात रहेंगे। कैलिफोर्निया आर्मी नेशनल गार्ड की 79वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड कॉम्बैट टीम को मैदान में उतारा गया है। माना जाता है कि किसी राज्य के गवर्नर के अनुरोध के बिना नेशनल गार्ड की तैनाती नहीं की जा सकती है, लेकिन ट्रंप ने यहां बिना अनुरोध के सीधे तैनाती कर दी है। पिछले 6 दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। 

 

अपवाद: अमेरिकी कानून में आपातकाल और विद्रोह जैसी स्थिति में नेशनल गार्ड की तैनाती करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। ऐसी स्थिति में राज्यपाल के अनुरोध की जरूरत नहीं होती है। मगर कैलिफोर्निया के अटॉर्नी का कहना है कि यहां कोई विद्रोह वाली स्थिति नहीं थी। नेशनल गार्ड के भेजे जाने से पहले ही विरोध प्रदर्शन लगभग शांत हो चुके थे, लेकिन उनके आने से स्थिति और बिगड़ी। व्हाइट हाउस का कहना है कि विरोध प्रदर्शन में जिस तरह से कानून का उल्लंघन किया गया, वो विद्रोह जैसा है। 

क्या लागू होगा विद्रोह अधिनियम?

अमेरिका के संविधान में कॉमिटेटस अधिनियम है। इसके तहत संघीय सैन्य कर्मी नागरिक कानून प्रवर्तन में जैसे कामों में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, लेकिन अगर उन्हें केंद्र की सेवा में बुलाया जाता है तो उन्हें संघीय सशस्त्र बलों का हिस्सा माना जाता है। ऐसे में उनकी तैनाती की जा सकती है। विद्रोह अधिनियम की तीन में से दो धाराएं ऐसी हैं, जिनमें किसी भी राज्य के गवर्नर की अनुमति के बिना नेशनल गार्ड की तैनाती की जा सकती है। 1992 में आखिरी बार इस एक्ट को जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने कैलिफोर्निया पर ही लागू किया था। विद्रोह कानून लागू करने के सवाल पर ट्रंप ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि विद्रोह हुआ है या नहीं। 

 

  • ट्रंप की पुरानी ख्वाहिश: ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पूरे अमेरिका में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और हिंसा का दौर देखने को मिला था। तब ट्रंप ने सेना को तैनात करने की मंशा जाहिर की थी। अपने दूसरे कार्यकाल में वह इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। 

 

  • राजनीतिक अवसर और माइलेज की सियासत: ट्रंप हमेशा से ही वामपंथियों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना के इस्तेमाल के पक्षधर रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी कहा था कि अपनी पूरी शक्तियों का इस्तेमाल वामपंथियों के खिलाफ करेंगे। लॉस एंजेलिस की घटना ने ट्रंप को वह अवसर दे दिया, जिसका उनको इंतजार था। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि कानून-व्यवस्था पर सख्ती, अवैध प्रवासियों पर एक्शन और सख्त आव्रजन नीति उनकी जीत का रास्ता मजबूत करेगी। इन फैसलों से ट्रंप के मूल वोटरों में जोश पैदा होगा और अराजकता से चिंतित लोगों का मत बदलेगा। यही वजह है कि रविवार की सुबह ट्रंप ने अपनी जीत का एलान तक कर दिया। हिंसा थमने और नेशनल गार्ड की तैनाती से पहले ही उन्हें धन्यवाद भी दे डाला।

 

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एक अफवाह से कैसे फैली हिंसा?

लॉस एंजेलिस में हिंसा की आग एक अफवाह से फैली। दावा किया गया कि एक हार्डवेयर स्टोर पर दिहाड़ी मजदूरों को आव्रजन अधिकारियों ने घेरकर गिरफ्तार कर लिया है। देखते ही देखते पूरे शहर में इस अफवाह के बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी। आरोपियों ने पुलिस और सैनिकों पर पथराव किया। पेट्रोल बम से हमला किया। सैकड़ों वाहनों को सड़कों पर ही फूंक दिया। बाद में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने स्टोर पर छापे की खबर को अफवाह बताया।

 

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